मेवाड़-मारवाड़ अशोक मेला: शाही अश्व ‘राज स्वरूप’ बना आकर्षण का केंद्र, राज परिवार का है प्रिय घोड़ा


मोहित शर्मा/ उदयपुर: उदयपुर के मावली कस्बे में इन दिनों मेवाड़-मारवाड़ अशोक मेले का आयोजन हो रहा है, जहां मेवाड़ राजपरिवार का घोड़ा ‘राजस्वरूप’ प्रमुख आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. शाही लवाजमे के साथ राजस्वरूप को जब मेले में लाया गया, तो दर्शक हैरान रह गए और घोड़े की भव्यता को निहारते रहे. यह पहली बार था जब मेवाड़ राजपरिवार का घोड़ा किसी मेले में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया.

मेवाड़ में घोड़ों का ऐतिहासिक महत्व
मेवाड़ में घोड़ों का हमेशा से विशेष महत्व रहा है. महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक ने युद्ध में उनका साथ दिया था और तभी से मेवाड़ में अश्व पूजन की परंपरा चली आ रही है. नवरात्रि के अवसर पर शस्त्र पूजन के साथ-साथ अश्व पूजन भी किया जाता है. इसी परंपरा के तहत जब मेले में राजपरिवार का प्रिय घोड़ा ‘राजस्वरूप’ पहुंचा, तो हर किसी की नजरें उसी पर टिक गईं.

प्रतियोगिताओं का आयोजन
मेले के संचालक दिनेश जैन ने बताया कि उदयपुर के मावली कस्बे में हर साल मेवाड़-मारवाड़ अशोक मेले की प्रदर्शनी आयोजित की जाती है, जिसमें देशभर से विभिन्न नस्लों के घोड़े भाग लेते हैं. इस प्रदर्शनी में कई प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है, जिसमें अदंत बछेरी डिस्प्ले, अदंत बछेरी प्रतियोगिता, दो दांत बछेरा प्रतियोगिता, प्रजनन योग्य घोड़ी डिस्प्ले और नर घोड़ा प्रतियोगिता’ शामिल हैं.

इस साल की प्रतियोगिताओं में उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, सलूंबर, बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों के घोड़ों ने भाग लिया. प्रदर्शनी में करीब 32 रिंग वाले घोड़े और 27 डिस्पले घोड़ियां आईं, जिनमें राजा-रजवाड़ों और आसपास के गांवों के घोड़े भी शामिल थे.

राजस्वरूप ने मोहा दिल
शाही लवाजमे में ‘राजस्वरूप’ की शाही एंट्री मेले की मुख्य आकर्षण रही. इस भव्य घोड़े की सुंदरता और शौर्य ने हर दर्शक का दिल जीत लिया. मेले में आई भीड़ ने राजस्वरूप को निहारने के लिए लंबी कतारें लगाईं, जिससे मेले की रौनक और भी बढ़ गई.

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