मैं IC-814 हूं… सबसे लंबे हाईजैक की पीड़ा भोगी… इसके साथ खत्म हो गई मेरी जिंदगी


हाइलाइट्स

IC-814 की खुद की जुबानी, वो पीड़ा जो उसने हाईजैक में भोगीभारत में 1976 में आने वाला ये सबसे बड़ा और आधुनिक विमान थाहाईजैक के एक साल बाद ये विमान रिटायर हो गया, फिर इसे तोड़ दिया गया

– IC 814 की कहानी, उसी की जुबानी
“मैं कैसे स्टार बनकर मुंबई में उतरा था. फिर उसी मुंबई में एक दिन चुपचाप खत्म हो गई मेरी जिंदगी”

“दुनिया के सबसे लंबे दिनों के हाईजैक ने लहूलुहान कर दी मेरी आत्मा” 

दिसंबर का महीना मेरे लिए बहुत हाहाकारी रहा है. ये भी दिसंबर ही है. वर्ष 2003. मेरी पूरी बॉडी पर हथौड़ों और लंबी आरियों का प्रहार हो रहा है. मेरे हर पुर्जे और बॉडी के हर हिस्सा अलग किया जा रहा है. मैं नष्ट किया जा रहा हूं. बांबे में एयरपोर्ट से सटी किसी जगह अपनी अंतिम सांसें ले रहा हूं. मैने वैभव देखा..बड़े-बड़े लोगों का सानिध्य देखा. रूतबा देखा. अब मेरा अंतिम समय है..मैं IC- 814 हूं. एक जमाने में इंडियन एयरलाइंस को मुझपर नाज था. मेरी भी एक कहानी है. दिल पर बड़े आघात के साथ दुनिया से विदा लेने वाला हूं.

तो आइए आपको अपनी कहानी सुनाता हूं. ये 70 का दशक था. जब दुनिया की तीन बड़ी विमानन ताकतों फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने हाथ मिलाया. तय किया वो साथ मिलकर दुनिया के लिए बदलते जमाने का बड़ा यात्री विमान बनाएंगे. नई कंपनी को नाम दिया गया एयरबस. शुरू में लोगों को इस नाम पर  कंन्फ्यूजन होता था. उन्हें लगता था कि जैसे हवा में कोई बस उड़ाई जाने वाली हो.

इस बीच बहुत कुछ बदला. अब एयरबस दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी हो चुकी है. उसके मालिकान भी बदल गए. जब मुझको बनाया गया तब मेरी कंपनी के काम पर संदेह था. बहुत कम देशों के आर्डर कंपनी को मिल रहे थे. मैं इंडियन एयरलाइंस का इसलिए शुक्रगुजार हूं कि वह पहली घरेलू एयरलाइंस थी, जिसने शुरू में ही 03 एय़रबस विमानों के लिए ऑर्डर दिये.

फ्रांस में बना और भारत में डिलिवर हुआ
मेरा मॉडल था Airbus A300B2. मुझको फ्रांस के ब्लागनेक शहर में बनाया गया. वहां से उड़ते हुए मैं बांबे पहुंचा, जहां मुझको डिलीवर किया गया. कैनन वाटर सैल्यूट के साथ स्वागत हुआ. मैं तब दुनिया का ऐसा विमान था, जिसमें आधुनिक खासियतें थीं. दो इंजन. तकनीक इतनी बेहतर कि तब भारत को मिला सबसे बेहतरीन विमान था. मैं 36वां एयरबस विमान था, जिसे कंपनी ने बनाकर भारत को डिलीवर किया.

मैं जब मुंबई में उतरा तो नवंबर 1976 का समय था. करीब 5000 किलोमीटर की उड़ान भरते हुए मैं यहां पहुंचा था. भारत में आया पहला एयरबस विमान था. यहां के विमानों में सबसे बड़ा. ज्यादा यात्री क्षमता वाला. 176 फीट यानि 53.6 मीटर लंबा.

मेरा रूट तय हुआ 
हर विमान की तरह मेरा भी रजिस्ट्रेशन हुआ. रजिस्ट्रेशन नंबर था VT-EPW. हम विमानों का रजिस्ट्रेशन कैसे और कहां होता है, ये अलग कहानी है, जिसको बाद में कभी. आने के बाद मेरा रुट तय हुआ – दिल्ली से काठमांडू. मेरी फ्लाइट को जो नाम मिला, वो था IC 814. मैने नियमित तौर पर उड़ान भरनी शुरू की. रोज आना और जाना.

सुबह दिल्ली से काठमांडू की उड़ान भरता. शाम करीब 04 बजे त्रिभुवन इंटरनेशनल एय़रपोर्ट काठमांडू से दिल्ली चल पड़ता. मेरी फ्लाइट इंडियन एयरलाइंस की सबसे शानदार फ्लाइट्स में थी. 250 से ऊपर यात्री मैं लेकर उड़ सकता था. आमतौर पर दो पायलटों समेत 11-12 चालक दल के लोग साथ होते थे.

10000 से ज्यादा उड़ानें
क्या आप जानते हैं कि अपने पूरे जीवन में मैने कम से कम कितनी उड़ानें भरी होंगी. संख्या किसी भी हालत में 10,000 से कम नहीं होगी. मैं खुद को भाग्यशाली समझता था कि पिछले 19 सालों के बेदाग उड़ रहा था. …कहते हैं ना कि किसे मालूम कि जीवन में जब बुरा समय आता है तो बताकर नहीं आता. लेकिन ऐसा खराब समय किसी का नहीं आए.

A320 aircra 3 2024 09 4097896e10f30d63429732403c388646 मैं IC-814 हूं... सबसे लंबे हाईजैक की पीड़ा भोगी... इसके साथ खत्म हो गई मेरी जिंदगी

ये विमान भारत में करीब 26 साल काम करता रहा लेकिन हाईजैक के एक साल बाद ही इसको रिटायर कर दिया गया. (imagine by leonardo ai)

तब एयरहोस्टेस स्नैक्स परोस रही थीं
24 दिसंबर 1999. मेरे जीवन का सबसे भयावह दिन था बल्कि सबसे खतरनाक आठ दिनों की पीड़ा. ठीक 4.00 बजे मैने काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी. एरियल दूरी कोई 820 किलोमीटर. इसमें लगने वाला समय करीब 1 घंटे 45 मिनट या दो घंटे. मुश्किल से 9 मिनट में मैं भारतीय वायु क्षेत्र में था. शाम को एय़रहोस्टेस स्टाफ ने स्नैक्स और चाय परोसनी शुरू की. अचानक एक शख्स खड़ा हुआ. उसने स्टीवर्ट अनिल शर्मा की पीठ पर रिवाल्वर सटा दी. पूरा जहाज घबराहट से सिहरने लगा. विमान हाईजैक हो चुका था.

विमान में घबराहट थी और अनिश्चतता. अब क्या होगा. कब घर पहुंचेंगे. सब सकुशल तो रहेगा.

देखते ही देखते पांच युवक रिवाल्वर और ग्रेनेड लेकर खड़े हो गए. किसी को हिलने की अनुमति नहीं थी. बस मेरे खराब दिन यहीं से शुरू हो गए. पुरुषों को महिलाओं व बच्चों से अलग कर दिया. और तब चीखें गूंज रही थीं. रोने की आवाजें भी. मौत की घबराहट. मैं खुद घबराया हुआ था.

हाईजैकर्स ने दो लोगों को चाकुओं से गोद दिया
मुझको दिल्ली की बजाए पाकिस्तान ले जाने का काम शुरू हुआ. ईंधन था नहीं. लिहाजा पहले अमृतसर में उतारा गया. जब वहां ईंधन भऱने में देर हुई तो मैने वो देखा जो कोई विमान नहीं देखना चाहेगा. दो लोगों को हाईजैकर्स ने चाकू से गोद दिया. एक की मौत तो विमान के अंदर ही हो गई.

चेहरे पर हवाइयां और मौत का डर
टंकी भरने के बाद मैं मैं फिर उड़ा. लाहौर में उतरा. अपहर्ता कुछ महिलाओं और बच्चों को छोडऩे के लिए तैयार थे लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने अनुमति नहीं दी. विमान में फिर ईंधन भरा गया. रात में मैं फिर लाहौर के आकाश पर था. अब मंजिल थी काबुल. ओह वहां तो रात में उतरने की कोई सुविधा नहीं थी, अब मेरा रुख दुबई की ओर मोड़ा गया. हर चेहरे पर हवाइयां थीं. चेहरे पर सवाल ही सवाल. ये तो अच्छा हुआ कि वहां फिर ईंधन के बदले 27 यात्रियों को रिहा किया गया, जिसमें बच्चे और महिलाएं थीं.

ic814 2024 09 6b19c231f6fa2e881fce1da866c0b815 मैं IC-814 हूं... सबसे लंबे हाईजैक की पीड़ा भोगी... इसके साथ खत्म हो गई मेरी जिंदगी

कंधार में हाईजैक होकर IC-814 एक हफ्ते तक खड़ा रहा. इसी में यात्री सीट पर ही लगातार बिठाकर रखे गए. तमाम दुश्वारियों के बाद कई को इतना लंबा बैठे रहने और इसी पोजिशन में सोने से बहुत सारी दिक्कतों का सामना लंबे समय तक करना पड़ा. (NEWS18)

सबसे लंबा हाईजैक
भारत सरकार संपर्क बनाने की कोशिश कर रही थी. हर रास्ता फेल हो रहा था. अगले दिन मैं सुबह कंधार हवाई अड्डे पर उतरा. यही वो जगह है, जहां तय हो गया कि ये पीड़ा और ये आतंक लंबा चलने वाला है. दुनिया का सबसे लंबा हाईजैक. मैं हफ्ते भर वहां खड़ा रहा. यात्रियों को खाने की दिक्कतें थीं. साथ में टायलेट और दूसरी दिक्कतें. कुछ यात्री बीमार थे. उनके पास दवाइयां नहीं थीं. उनका और बुरा हाल था.

बहुत खराब समय था. कंधार हवाईअड्डा सूना था. बस वहां तालिबानियों के जीप की आवाज ही सुनाई देती थी. भारत सरकार आतंकवादियों से बातचीत कर रही थी. सभी यात्री बदतर हालात में पहुंच रहे थे. शायद इतना लंबा खराब समय किसी विमान के हिस्से में नहीं आया होगा, जो मैने भोगा. काश अब ऐसा किसी के साथ भी ना हो.

बातचीत जारी थी. कभी-कभी लगता था कि हाईजैक करने वाले पांचों आतंकवादी मुझको यात्रियों के साथ उड़ा ही ना दें. वो लगातार धमकियां देते रहते थे. सोचिए कितने घंटे आतंक, घबराहट और डूबे हुए दिल के साथ गुजरे होंगे.

hijackers 1 2024 09 b173614f64f9841368489a8209673c17 मैं IC-814 हूं... सबसे लंबे हाईजैक की पीड़ा भोगी... इसके साथ खत्म हो गई मेरी जिंदगी

विमान तो हाईजैक करने वाले पांचों अपहरणकर्ता अफगानिस्तान से रास्ते पाकिस्तान भाग निकले. ये आज तक पकड़े नहीं गए हैं. (graphic photo impose – vividha singh)

मैं आजाद था लेकिन आत्मा लहूलुहान…
खैर 31 दिसंबर को मैने कॉकपिट में सुना कि भारत तीन बड़े आतंकी कैदियों को रिहा कर रहा है. इसके बदले विमान यात्रियों छोड़ दिया जाएगा. दोपहर से शाम के बीच भारत से तीन कैदी कंधार लाए गए. उन्हें लेकर विमान हाईजैकर्स दो जीपों में बैठकर कंधार एयरपोर्ट से निकल गए. अब मैं आजाद तो था लेकिन तन मन और दिल पर जो चोटें मैने झेलीं थीं. वो कोई नहीं समझ पाएगा. पिछले 19 सालों से गर्व के साथ हवा में उड़ने का मेरा गुरूर चकनाचूर हो चुका था. आत्मविश्वास हिल चुका था.

तब पायलट के हाथ मुझको टेकऑफ कराते हुए कांप रहे थे
आठ दिनों की ये पीड़ा या तो मैं समझ सकता हूं या मेरे यात्री या  चालक दल. आठवें दिन जब मुझको उड़ने की अनुमति मिली. कैप्टेन देवी शरण ने मुझको स्टार्ट किया तो ऐसा लग रहा था कि मैं उड़ना भूल चुका हूं. उस दिन शाम को करीब चार घंटे आकाश में रहकर जब मैं दिल्ली लौटा तो सोचसमझ खत्म हो गई थी. प्लेन के कैप्टेन का आत्मविश्वास भी हिला हुआ था, ये बात तो उन्होंने खुद अपनी किताब में लिखी. जब उन्होंने उस दिन मुझको रनवे आगे बढ़ाते हुए टेकऑफ किया तो उन्हें खुद लग रहा था था कि वो विमान उड़ाना भूल चुके हैं. उनके हाथ कांप रहे थे.

दिल्ली में अजीब सा मंजर
31 दिसंबर की रात जब सारी दिल्ली नए साल के जश्न में डूबी थी, तब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा. हर तरह सैनिक, सुरक्षा और वो बदहवाश लोग जो अपने परिजनों को लेने आए हुए थे. ये एक अजीब सा मंजर था.

जल्दी ही रिटायर हो गया
मैं फिर करीब एक महीने तक दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़ा रहा. जहां रोज कई सुरक्षा अधिकारी आकर मेरे अंदर तमाम जांच करते रहे. हर चीज का मुआयना. करीब एक महीने के बाद मुझको इंडियन एयरलाइंस को दोबारा दे दिया गया. ऐसा लगा कि मेरे अंदर सबकुछ खत्म हो चुका है. मैने जैसे तैसे या समझिए किसी तरह दो साल और उड़ान भरी लेकिन मेरी हालत ये हो गई कि रोज मेरे अंदर कोई ना कोई दिक्कत आ ही रही थी, लिहाजा 2002 में मुझको रिटायर कर दिया गया.

…और खत्म हो गई मेरी जिंदगी
अब मुझको मुंबई ले जाया गया. जहां मेरी जिंदगी खत्म होनी थी. चुपचाप और अकेले मैं जमीन पर खड़ा था. अब आकाश, बादलों और यात्रियों से कोई नाता नहीं. फिर दिसंबर 2003 मेरे ऊपर दर्दनाक प्रहार हो रहे थे. मेरी जिंदगी खत्म की जा रही थी. यही मेरी कहानी है. दूसरे विमानों से बिल्कुल अलग. क्योंकि दुनिया का कोई विमान इतने लंबे समय तक हाईजैक करके नहीं रखा गया. मेरे ऊपर मूवी बनने के बाद मैं चर्चा में जरूर हूं लेकिन भौतिक तौर पर बिल्कुल खत्म हो चुका हूं.

Tags: Air india, Air India Flights, Aircraft operation, Airline News, Plane accident



Source link

x