मोतिहारी के पार्क बदहाली का शिकार: करोड़ों की लागत से बने पार्कों की दुर्दशा, शहरवासी निराश


आदर्श कुमार/ पूर्वी चंपारण: मोतिहारी शहर के प्रमुख पार्क, जिन्हें कभी शहर की हरियाली और मनोरंजन के केंद्र के रूप में विकसित किया गया था, आज उपेक्षा और बदहाली के शिकार हैं. करोड़ों रुपए की लागत से बने ये पार्क अब किसी जंगल की तरह नजर आने लगे हैं. कभी ये स्थान शहरवासियों के पसंदीदा ठिकाने हुआ करते थे, लेकिन अब इनकी हालत देखकर लोग मायूस हो जाते हैं.

सुभाष पार्क, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में बनाया गया था, अब पूरी तरह से उपेक्षित है. यह पार्क मीना बाजार में स्थित है और एक समय पर लोगों का पसंदीदा स्थान हुआ करता था.

सत्याग्रह पार्क: गुलजार शाम से डरावनी वीरानी तक
करीब 2 करोड़ की लागत से बने सत्याग्रह पार्क की हालत भी दयनीय हो गई है. उद्घाटन के समय इसे शहर के लिए एक बड़ा तोहफा बताया गया था. घनी झाड़ियों और टूटे झूलों के कारण यह पार्क उजाड़ दिखता है. शाम के 5 बजे के बाद यह सुनसान और डरावना हो जाता है, जिससे स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है. सुरक्षा की कोई व्यवस्था न होने के कारण यह स्थान असामाजिक गतिविधियों का केंद्र बन सकता है. यदि कोई अनहोनी हो जाए, तो तत्काल जानकारी मिल पाना भी मुश्किल है, जिससे संभावित खतरे और बढ़ जाते हैं.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद बाल उद्यान की स्थिति भी दयनीय है. मुख्य गेट टूटा हुआ है और चारों ओर गंदगी फैली हुई है. पार्क के फाउंटेन बंद पड़े हैं, जिससे इसकी सुंदरता पूरी तरह से नष्ट हो गई है. बच्चों के खेलने के लिए कोई सुरक्षित वातावरण नहीं है क्योंकि न तो सुरक्षा गार्ड हैं और न ही देखरेख करने वाला कोई कर्मचारी. कुछ बच्चे यहां खेलते हुए जरूर दिखते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जो प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है.

वर्तमान स्थिति:
– मुख्य गेट की चारदीवारी टूट चुकी है.
– कोई सुरक्षा गार्ड या देखभाल करने वाला मौजूद नहीं है.
– झूले टूटकर बिखरे पड़े हैं.
– पेड़-पौधे सूख चुके हैं और चारों ओर गंदगी फैली है.
– पार्क के मुख्य गेट के पास एक खतरनाक गड्ढा है, जो दुर्घटना का कारण बन सकता है.

प्रशासन की अनदेखी और सुधार की जरूरत
इन पार्कों की बदहाली पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. करोड़ों की लागत से बने इन पार्कों की मौजूदा स्थिति प्रशासन की अनदेखी और रखरखाव की कमी को उजागर करती है. शहरवासियों और प्रशासन के बीच जागरूकता फैलाना आवश्यक है ताकि इन पार्कों की खोई हुई रौनक वापस लाई जा सके और मोतिहारी का हरित भविष्य सुनिश्चित हो.

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