मोर नगरी गांव के लोग बड़ी खुशी के साथ सीएम नीतीश कुमार का कर रहे थे इंतजार, अचानक ऐसा क्या हुआ कि आ गया गुस्सा


Agency:News18 Bihar

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बिहार में एक ऐसा गांव है जो हमेशा सुर्खियों में रहता है. ये गांव मोर नगरी के नाम से फेमस है. यहां के लोग बड़ी खुशी के साथ सीएम नीतीश कुमार का इंतजार कर रहे थे. लेकिन ऐसा किया हुआ कि वे नाराज हो गए.

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सीएम के आने से नाखुश दिखे सहरसा मोर नगरी गांव के ग्रामीण 

हाइलाइट्स

  • सीएम नीतीश कुमार ने मोर नगरी गांव की ओर नहीं देखा.
  • ग्रामीणों ने 2016 के वादों को याद दिलाया.
  • मोर संरक्षण के लिए कोई काम नहीं हुआ.

सहरसा. बिहार में एक ऐसा गांव जो मोर नगरी के नाम से प्रसिद्ध है. यह गांव हमेशा सुर्खियों में रहता है. इस गांव में प्रवेश करते ही आपको मोर नजर आ जाएंगे. घर के आंगन से लेकर छत पर मोर और मोरनी झूमते नजर आएंगे. जब इस गांव के लोगों को यह खबर मिली के सीएम नीतीश कुमार सत्तर कटैया प्रखंड के मेनहा में आने वाले हैं तब लोगों को एक उम्मीद जगी कि सीएम साहब इस गांव में जरूर आएंगे. लेकिन सीएम साहब जब अपने कार्यक्रम को समाप्त करने के बाद सहरसा के लिए रवाना हुए तो उसी गांव से उनका काफिला गुजरा, लोग यह आस लगाकर बैठे थे कि सीएम साहब की गाड़ी इस गांव में जरूर रुकेगी, लेकिन सीएम नीतीश कुमार ने इस गांव की और एक झलक तक नहीं देखी और चलते बने. इसके बाद लोगों में उदासी छा गई और 2016 में सीएम द्वारा किए गए वादे को याद दिला दिया.

आरन गांव के निवासी कृष्ण कुमार कुंदन ने बताया कि जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2016 में आरन गांव आए थे उस समय उन्होंने मोर संरक्षण की बात कही थी. उन्होंने आश्वासन दिया था कि यहां पर मोर संरक्षण को लेकर बहुत सारा काम किया जाएगा. इसके साथ इस गांव को विकसित करने के लिए राशि भी आवंटित की गई थी, लेकिन विगत 8 सालों में ऐसा कुछ भी इस गांव में देखने को नहीं मिला, जो ऐसा लगे कि मोर के संरक्षण के लिए कोई काम किया गया है. जब सहरसा दौरे पर सीएम नीतीश कुमार आए तो इस गांव की ओर देखा तक नहीं जबकि इसी गांव के रास्ते से सीएम का काफिला गुजरा और ना ही यह जानने का उन्होंने प्रयास किया इस गांव में क्या कुछ काम हुआ है.

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मरने के कगार पर राष्ट्रीय पक्षी
उन्होंने आगे बताया पिछली बार जिस रास्ते से सीएम नीतीश कुमार गुजरे थे उसी रास्ते से सीएम नीतीश कुमार का काफिला गुजरा, लेकिन एक बार भी इस गांव की ओर देखा तक नहीं और ना ही यह जानने का उन्होंने प्रयास किया कि 8 सालों में इस गांव में मोर संरक्षण को लेकर विकास का क्या काम हुआ. मोर आज भी मरने के कगार पर है जिसे देखने वाला कोई नहीं है. मोर की संख्या दिन प्रतिदिन घटती जा रही है. इस गांव में एक ही वंश का सारा मोर है आज यह गांव इस स्थिति पर पहुंच चुकी है कि राष्ट्रीय पक्षी मर रहा है और देखने वाला कोई नहीं है.

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सीएम का इंतजार कर रहे थे मोर नगरी के लोग, अचानक ऐसा क्या हुआ कि आ गया गुस्सा



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