म्यांमार से तेजी से चली आ रही थी बोट, अंदर भरे थे टी बैग, कोस्ट गार्ड ने पकड़कर ली तलाशी तो फटी रह गई आंख
नई दिल्ली. भारत ने समुद्र के रास्ते नार्को टेरेरिज्म को जड़ से खत्म करने का ऑपरेशन शुरू किया है. इंडियन कोस्टगार्ड ने पहले पाकिस्तान की कमर तोड़ी तो अब म्यांमार की बारी है. भारतीय एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन यानी EEZ में किसी भी ऐसी एक्टिविटी पर लगाम लगाने के लिए कोस्ट गार्ड ने अपनी कमर कस रखी है और उसी के तहत 23 नवंबर के अंडमान निकोबार के पास कोस्ट गार्ड के डॉर्नियर एयरक्राफ्ट ने भारतीय EEZ में एक संदिग्ध बोट को नोटिस किया.
कोस्ट गार्ड ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बोट को रोका और उसकी तलाशी ली. बोट की तलाशी में जो कुछ मिला उसे देखकर कोस्ट गार्ड के अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं. यह पूरी बोट ही ड्रग से भरी थी.
टी बैग खोलते ही दंग रह गए अधिकारी
सूत्रों के मुताबिक, इस बोट में टी बैग की पेटियां रखी हुई थी और उन टी बैग्स में सफेद पाउडर भरा हुआ था. प्रोटोकॉल के तहत पोर्टेबल टेस्ट किट से जब ड्रग टेस्ट किया गया तो वह सफ़ेद पाउडर कुछ और नहीं, बल्कि ड्रग्स निकला. सूत्रों के मुताबिक, यह ड्रग मेटाफेटामाइन है, जिसे पिंक ड्रग या याबा के तौर पर भी जाना जाता है.
चौंकाने वाली बात तो यह है ड्रग की क्वांटिटी एक या दो किलो नहीं बल्कि पूरे 5500 किलो निकली. बोट से दो-दो किलो के करीब 3000 पैकेट बरामद हुए. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी कीमत करोड़ों में है. बोट से 6 नाविकों को भी हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच जारी है. अभी तक कोस्ट गार्ड ने एक साथ इतनी बड़ी ड्रग की खेप पहली बार पकड़ी है.
लैंड रूट के बाद सी रूट से भेजी जा रही है पिंक ड्रग
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पहले यह ड्रग म्यांमार से जमीन के रास्ते भारत भेजी जाती रही है. सबसे ज्यादा मिजोरम में इसके मामले सामने आए हैं. चूंकि मिजोरम एक ड्राई स्टेट है और वहां के लोग नशे के लिए ड्रग का ही इस्तेमाल करते हैं, ऐसे में इसे वहां आसानी से खपा दिया जाता है.
म्यांमार में जारी गृह युद्ध के चलते ड्रग की तस्करी विद्रोहियों की आय का सबसे बड़ा साधन बन गई है, लेकिन जब से भारत-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा बलों ने सख्ती बढ़ाई तब से म्यांमार में ऑपरेट करने वाले संगठनों के लिए जमीन के साथ-साथ समुद्र के जरिये भी ड्रग की तस्करी का नया तरीका अपना लिया है.
कोस्ट गार्ड ने जो ड्रग पकड़ी है, उसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है जैसे कि याबा, पिंक ड्रग या मेटामेफ्टामाइन… गोली की शक्ल में मिलने वाले इस ड्रग्स का रंग गुलाबी होता है, जिसकी वजह से इसे पिंक ड्रग के नाम से जाना जाता है. यह गोली म्यांमार के रास्ते भारत के बड़े शहरों तक पहुंचती है. इस ड्रग में मुनाफा काफी ज्यादा है जो गोली म्यांमार में महज 10 रुपये में बिकती है, वह मिजोरम में आकर 300 रुपये और दिल्ली, मुंबई जैसे अन्य महानगरों तक जाते-जाते 2000 रुपये से ज्यादा प्रति गोली में बिकती है. म्यांमार की ड्रग रूट में भारत, लाओस, थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया शामिल हैं और यहीं से इनकी तस्करी की जाती है.
FIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 20:34 IST