यहां महुआ करता है सबको मालामाल! अहले सुबह काम में जुट जाते हैं लोग, झारखंड के किसमिस की खुशबू से गुलजार हुए गांव
रिपोर्ट- चंदन कुमार कश्यप
गढ़वा. इन दिनों गढ़वा जिले के ग्रामीण इलाके पूरी तरह महुआ के फूल की मनमोहक खुशबू से गुलजार हो गए हैं. गढ़वा में झारखंडी किशमिश के नाम से मशहूर महुआ चुनने के लोग सुबह से ही काम में जुट जाते हैं. ग्रामीण अपने परिवार के सदस्यों के साथ अहले सुबह से ही खेतों, जंगलों में लगे हुए महुआ पेड़ों के नीचे गिरने वाले महुआ फूलों को एकत्रित करने में व्यस्त नजर आते हैं. दरअसल जिले के ग्रामीण क्षेत्रो के लिए महुआ की फसल ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है.
ऐसे में महुआ सीजन आने से रोजगार के लिए पलायन करने वाले ग्रामीण भी अब क्षेत्र में वापसी करने लगे हैं. महुआ की फसल होली के बाद से ही थोड़ी-थोड़ी मात्रा में आना प्रारंभ हो जाती है. लेकिन, गर्मी की तपिश बढ़ने के साथ ही महुआ फूलों के गिरने की मात्रा बढ़ने लगती है. इन दिनों ग्रामीण प्रतिदिन बीस से पच्चीस किलो सुखा महुआ फूल एकत्रित कर रहे हैं.
अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है महुआ
बीते दिनों बेमौसम बारिश के कारण महुआ फसल के बिगड़ने की आशंका थी. ग्रामीणों ने बताया कि ज़ब बारिश हुई तो महुआ फूलों की फुनगियां खुली नहीं थीं, जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ. यही पानी अगर फुनगिया खुलने के बाद गिरता तो सारी फसल बिगड़ जाती. महुआ ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है. मार्च से महुआ सीजन के आगमन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में शादी ब्याह भी प्रारंभ हो जाते हैं, जो जुलाई मध्य तक चलते हैं. महुआ सीजन होने से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो जाती है, जिससे क्षेत्र में व्यापार-व्यवसाय में अच्छा उठाव आ जाता है.
महुआ से बढ़ायी जा सकती है आमदानी
ग्रामीणों के लिए महुआ एक प्रमुख वनोत्पाद है. वनोत्पाद के जरीये लोगों को स्वरोजगार हो रहा है. बताया जाता है कि हाल के वर्षों में महुआ पेड़ों की संख्या में कमी आयी है. कहा जाता है कि पहले गढ़वा जिला के लगभग सभी प्रखंडों में महुआ के पेड़ों की संख्या अच्छी थी. लेकिन, अब जंगलों का ह्रास होने के साथ ही महुआ के पेड़ों की संख्या में भी कमी आयी है. सरकारी व निजी स्तर पर महुआ के पेड़ लगा कर ग्रामीणों का आमदानी बढ़ाया जा सकता है. अगर सरकार इस फसल की खरीद बिक्री को लेकर कोई सकारात्मक योजना बनाए तो आने वाले समय में महुआ का बेहतर आर्थिक स्रोत बनेगा.
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FIRST PUBLISHED : April 15, 2024, 19:25 IST