यह राह नहीं आसान: पहले मेला ढोने वाली अलवर की उषा चोमर ने तय किया पद्मश्री तक का सफर



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पीयूष पाठक/अलवर. करीब एक दशक पहले तक अलवर में मैला ढोने का काम करने वाली उषा चौमर के जीवन मे बड़ा बदलाव आया. उषा चौमर ने सुलभ इंटरनेशनल संस्था से जुड़कर पहले खुद को बदला. अब उषा अन्य महिलाओं का जीवन सुधारने में जुटी. अलवर के हुजूरी गेट निवासी उषा चौमर राष्ट्रपति के हाथो पद्मश्री से सम्मानित हो चुकी है.

उषा ने बताया कि अब लोगों को अपने आप मे बदलाव करने की जरूरत है. पहले उनके काम से सब उनको छोटा समझते थे. लेकिन काम से कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है. सभी को अच्छी शिक्षा का अधिकार है. उन्होंने बताया कि जब तक वह मैला ढोती थी तब लोग उनसे दूरी से बात करते थे. लेकिन जब से उन्होंने य़ह काम छोड़कर सुलभ में काम करना शुरू किया तब से उनके प्रति लोगों का नजरियां बदल गया. अब लोग उन्हें बुला के पास बैठाते है और मुख्य अतिथि के रूप में भी बुलाते है.

सुलभ से जुड़ने के बाद जा चुकी विदेश
उषा चौमर ने बताया कि सुलभ संस्था से जुड़ने के बाद उन्हें विदेश यात्रा करने का मौका मिला. जहां उन्हें यह पता लगा कि विदेशों में साफ-सफाई कैसे रखी जाती है. हालांकि, वह कहती हैं कि विदेशों में लोग एक दूसरे को सपोर्ट करते हैं. लेकिन भारत के लोग वैसे सपोर्ट नहीं कर पाते, इसलिए शहरों की सड़कों पर गंदगी रहती है.

अब पास बैठाते है लोग
उन्होंने बताया कि पहले उनसे लोग सही तरीके से बात नहीं करते थे. लेकिन अब उनके बनाए हुए दीपक, बत्तियां, हवा करने के पंखे को लोग अपने घरों तक लेकर जाते हैं. सुलभ संस्था से जुड़ने से पहले लोग उनसे दूर रहते थे और दूर से बात करते थे. लेकिन अब लोग उनके पास आकर बैठते हैं और घंटों बात करते हैं.

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FIRST PUBLISHED : June 14, 2023, 17:26 IST



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