ये है देश की सबसे पुरानी रेजिमेंट, अंग्रेजों के समय हुआ था गठन



<p>देश की रक्षा के लिए बॉर्डर से लेकर देश के अंदर तक सुरक्षाबल के जवान तैनात रहते हैं. देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी जहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पास है, वहीं देश के सभी प्रतिष्ठित और बड़े संस्थानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ और सीआईएसएफ के पास है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की सबसे पुरानी रेजिमेंट कौन सी है, जिसका गठन अंग्रेजों के समय किया गया था.&nbsp;</p>
<p><strong>सुरक्षाबल</strong></p>
<p>सुरक्षाबलों के कारण ही देश की जनता सुरक्षित है. लेकिन आज हम आपको आजादी से पहले अंग्रेजों के समय बनी रेजिमेंट के बारे में बताएंगे, जो अब की सबसे पुरानी रेजिमेंट है. बता दें कि मद्रास रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी पैदल सेना रेजिमेंट है, इसकी स्थापना 1750 में हुई थी. जानकारी के मुताबिक इसका गठन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज के तहत किया गया था. इतना ही नहीं इस रेजिमेंट ने ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ कई ऑपरेशन किए थे. वहीं 1947 आजादी के बाद ये रेजिमेंट भारतीय सेना में शामिल होकर उसका हिस्सा बनी है. इस रेजिमेंट की कमान ब्रिगेडियर रैंक के एक अधिकारी के पास रहती है.&nbsp;</p>
<p><strong>क्या है प्रतीक चिन्ह</strong></p>
<p>बता दें कि हर रेजिमेंट का अपना प्रतीक चिन्ह होता है. वैसे ही इस रेजिमेंट का प्रतीक चिह्न एक हाथी है, जिसे दो पार की हुई तलवारों के साथ एक ढाल पर रखा गया है. हाथी के सात गुणों साहस, धीरज, दूरदर्शिता, ताकत, आत्मविश्वास, आज्ञाकारिता और वफादारी है. मद्रास रेजिमेंट को थम्बिस के नाम से भी जाना जाता है. इसके सैनिक अपना विशिष्ट &lsquo;ब्लैक पॉम पॉम&rsquo; हेडगियर पहनते हैं. वहीं मद्रास रेजिमेंट का युद्ध का नारा, &lsquo;वीरा मद्रासी, आदि कोल्लू, आदि कोल्लू&rsquo; है. इसका मतलब &lsquo;बहादुर मद्रासी, हमला करो और मार डालो, हमला करो और मार डालो.&rsquo;&nbsp;</p>
<p><strong>इस रेजिमेंट के पास कई सम्मान</strong></p>
<p>मद्रास रेजिमेंट को अपने शानदार 265 साल के इतिहास में कई युद्ध पुरस्कार मिला है. जानकारी के मुताबित मद्रास रेजिमेंट को 45 युद्ध सम्मान और 14 थिएटर सम्मान मिल चुके हैं. उसके वीरता पुरस्कारों मे 1 अशोक चक्र, 5 महावीर चक्र, 11 कीर्ति चक्र, 36 वीर चक्र, 49 शौर्य चक्र और कई अन्य वीरता और विशिष्ट पुरस्कार शामिल हैं. इसके अलावा उसे 11 सीओएएस यूनिट प्रशस्ति पत्र, 52 जीओसी-इन-सी यूनिट प्रशंसा, 5 संयुक्त राष्ट्र बल कमांडर प्रशस्ति पत्र मिल चुके हैं. इसके अलावा मद्रास रेजिमेंट विभिन्न युद्धों में शामिल रहा है. जिनमें दोनों विश्व युद्ध, 1947-48 का भारत-पाकिस्तान युद्ध, 1962 का चीनी आक्रमण, 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन मेघदूत और कांगो, लेबनान और सूडान में कई संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन शामिल हैं.&nbsp;</p>
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