राजमा की खेती करने से पहले बीज में कर दें ये उपाय, बंपर होगी पैदावार, एक्सपर्ट ने बता दिया टिप्स


रिपोर्ट- रॉबिन माल

श्रीनगर गढ़वाल: राजमा उत्तराखंड के प्रमुख कृषि उत्पादों में से एक है जिसकी मांग पूरे देश में है. यहां कई प्रकार की राजमा की खेती होती है लेकिन, उत्तराखंड में हर्षिल की राजमा सबसे मशहूर है. इस राजमा को हर्षिल वेराइटी के नाम से भी जाना जाता है. मध्य हिमालयी क्षेत्र में राजमा की बुआई 15 सितंबर के बाद से अक्टूबर तक की जाती है.

गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग की शोधार्थी हिमानी राणा ने लोकल 18 को बताया कि किसानों को सबसे पहले अच्छी पैदावार वाले बीजों का चयन करना चाहिए. पहाड़ों में पंत अनुपमा, अर्का कोमल, बाउंडफुल, और प्रीमियर जैसी राजमा की किस्मों की खेती से किसान अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

बुवाई से पहले ऐसे करें बीज उपचार
बीज की बुआई से पहले उसका उपचार करना आवश्यक होता है जिससे कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है. राजमा की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 50 से 60 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. बीज को बुआई से पहले उपचारित करने के लिए 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से मिलाकर उपचार किया जा सकता है.

बुवाई से पहले ऐसे करें खेत तैयार
खेत में बीज की बुवाई से पहले तीन से चार बार अच्छी तरह जुताई करनी होती है. इसके बाद, एक एकड़ खेत में 60 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, और 30 किलो पोटाश डालकर खेत की तैयारी पूरी करनी होती है. इसके बाद, कतारों की दूरी 30 सेंटीमीटर और एक बीज से दूसरे बीज की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बीज बोने के 4 दिन बाद पानी देना आवश्यक होता है और 10 दिनों के भीतर पौधे उगना शुरू हो जाते हैं. पौधों के उगने के बाद 2 सप्ताह के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए.

राजमा की फसल में लगभग 30 दिनों में फूल आना शुरू हो जाते हैं. इसके बाद लगभग 45 दिनों में पौधे में हरी फली (फ्रास्बीन) तैयार हो जाते हैं. पूरी तरह से पक कर राजमा की फलियाँ निकालने के लिए यह फसल लगभग 120 दिनों में तैयार होती है.

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