राजस्थान में भजनलाल शर्मा कैसे बने गेंमचेंजर? उपचुनाव में सीक्रेट फॉर्मूले से बीजेपी को दिलाई जीत – How CM Bhajanlal Sharm became game changer for BJP in Rajasthan Upchunav set new record by this secret formula vasundhara raje Ashok Gehlot


जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हुए हैं. राजस्थान में उपचुनाव में आजादी के बाद पहली बार एक साथ सबसे अधिक सीटें जीतने का भजनलाल शर्मा की अगुवाई में बीजेपी ने रिकॉर्ड बनाया है. इस उपचुनाव में बीजेपी ने सात में से पांच सीट पर जीत दर्ज की है. इससे पहले पहली विधानसभा से लेकर अब चल रही 16वीं विधानसभा तक कुल 101 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. उपचुनाव में अब तक साल 2000 में 6 सीटों पर हुए एकसाथ उपचुनाव में बीजेपी ने चार सीटें एक साथ जीतीं थी. उस समय भाजपा प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल था. कांग्रेस सरकार में अशोक गहलोत सीएम थे.

खास बात यह है कि जब बीजेपी की ताकतवर नेता वसुंधरा राजे को दरकिनार कर पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई, तब उन्हें कमजोर सीएम कहा गया. 2024 में ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जब राजस्थान में 25 में से 11सीटें गवाईं तब भजनलाल शर्मा के नेतृत्व को लेकर विपक्ष ही नहीं पार्टी के कई नेताओं ने भी पर्दे के पीछे से सवाल खड़े करने शुरू किए. हालांकि लोकसभा चुनाव राजस्थान विधानसभा चुनाव के चार महीने बाद ही हुए थे.

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इस विधानसभा उपचुनाव में जिन सात सीटों पर चुनाव हुए, उनमें से बीजेपी के पास सिर्फ एक सीट सलूबर पर ही थी. चार सीटें दौसा, देवली, झूंझनू औऱ रामगढ काग्रेस के पास थीं जबकि खीवंसर से आरएलपी से हनुमान बेनिवाल विधायक थे. चौरासी से भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत. दोनों के सांसद बनने से दोनों सीटे खाली हुई थीं. चुनाव के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के टिकट चयन और सटीक रणनीति ने गेम का पासा ही पलट दिया.

कैसे गेमचेंजर बने भजनलाल?
1. भजनलाल शर्मा ने टिकट चयन में दावेदारों की जीतने की क्षमता, कार्यकर्ताओं की पसंद और संगठन में काम करने वाले नेता को टिकट में प्राथमिकता दी. नतीजा ये रहा है कि सभी सीट पर मजबूत प्रत्याशी उतारे.
2. बगावत थामने की जिम्मेदारी खुद भजन लाल शर्मा ने संभाली. झूंझनू, रामगढ, खीवंसर और देवली में बगावत की ताल ठोक रहे पार्टी के दावेदारों को निर्दलीय चुनाव लड़ने से रोकने में सफल रहे. नतीजा ये रहा है कि सात सीटों में बीजेपी को किसी सीट पर बागी की सामना नहीं करना पड़ा जबकि कांग्रेस देवली में बागी नरेश मीणा, झूंझनू में राजेंद्र गुढ़ा के मैदान में उतरने से चुनाव हार गई.
3. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इंडिया गठबंधन में चुनाव लड़ी जबकि उपचुनाव में सहयोगी दलों के अलग से मैदान में उतरने से कांग्रेस चार से घटकर महज एक सीट पर सिमट गई.
4. भजनलाल शर्मा को संगठन में लंबा अनुभव रहा है. उपचुनाव में हर सीट पर माइक्रो मैनेजमेंट पर ध्यान दिया. हर विधानसभा सीट पर समाजिक संगठनों के प्रमुख लोगों की कमरा बैठकें आयोजित करवाईं. खुद शर्मा ने 14 चुनावी सभाएं कीं. 44 सामाजिक संगठनों की बैठकें की. खुद फोन के जरिये सातों सीट की मॉनीटरिंग कर रहे थे.
5. हर विधानसभा क्षेत्र में मंत्रियों और संगठन के नेताओं की एक संयुक्त टीम को चुनाव मैनेजमेंट में उतारा.

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अब आगे क्या होगा?
राजस्थान में अब भजनलाल शर्मा बतौर मुख्यमंत्री और मजबूत बनकर उभरेंगे. बीजेपी आलाकमान का भरोसा भजनलाल शर्मा में बढ़ेगा. सरकार चलाने में शर्मा को फ्री हैंड मिलेगा और वो अब मंत्रीमंडल में अपनी इच्छा अनुसार बदलाव कर पाएंगे. संगठन पर भी शर्मा की पकड़ बढ़ेगी. राजस्थान में अब तक भजनलाल शर्मा के नेतृत्व पर सवाल उठाने वालों का मुंह बंद होगा. वसुंधरा राजे समेत राजस्थान बीजेपी के दिग्गजों की सीएम पद पर दावेदारी का सवाल खारिज होगा.

राजस्थान की सियासत में गहलोत- वसुंधराराराजे काल का अब अवसान हो रहा है. भजनलाल शर्मा कांग्रेस में और सचिन पायलट कांग्रेस में नए चुनाव जिताने वाले स्टार नेताओं का वक्त शुरू हुआ. सचिन पायलट ने दौसा की सीट को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना कांग्रेस की झोली में डाल दी.

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