रात ठीक 11.16 बजे ब्रह्मांड से आया तेज पॉवरफुल मैसेज, 72 सेकेंड तक आता रहा, क्या इसे एलियंस ने भेजा


हाइलाइट्स

इस सिग्नल को वाह! सिग्नल कहा गया, ये बहुत साफ और मजूबत थाएक मिनट और 12 सेकेंड तक ये रिकॉर्डिंग मशीन पर आता ही रहाफिर ऐसा सिग्नल कभी नहीं आया और ना ही इसका पता लग पाया

15 अगस्त 1977 की रात ओहियो एस्ट्रोनॉमी लैब में सबकुछ सामान्य था. रोज की तरह. रात ठीक 11.16 बजे लैब से जुड़े बिग ईयर टेलिस्कोप ने ऐसे रेडियो सिग्नल पकड़ने शुरू किए, जो बहुत तेज शोर करते हुए आए थे. पूरे 72 सेकेंड तक एक खास कूट संकेत में आते रहे. कंप्युटर उन्हें रिकॉर्ड करता रहा. पूरे लैब में खलबली मच गई. हर कोई रोमांचित था. ये सिग्नल ब्रह्मांड में ऐसे ग्रह से आया था, जहां बहुत इंटैलिजेंट एलियंस रहते थे. हालांकि दुनियाभर के साइंटिस्ट लाख कोशिश के बाद भी 45 सालों में ये पता नहीं लगा सके कि ये कैसे और कहां से आए. हैरानी ये भी कि इस तरह के इतने साफ और पॉवरफुल मैसेज दोबारा कभी क्यों नहीं आए. इसे वॉव! सिग्नल मैसेज के रूप में जानते हैं.

ये सिगनल जिस तरह आया, उससे साफ जाहिर था कि इसको जहां से भेजा गया, उस ग्रह के लोग बहुत उन्नत सभ्यता वाले हैं. ऐसे सिग्नल वही भेज सकता है, जो तकनीक तौर पर बहुत आगे हो. और ये ऐसा रहस्य बना हुआ, जिसे इतने सालों में भी वैज्ञानिक सुलझा नहीं सके हैं.

तब ओहियो यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोनॉमी लैब में जो वैज्ञानिक मौजूद था, वो तो इस सिग्नल को पाकर हैरान था, क्योंकि ये एक ऐसी घटना थी, जो उसके समझ से बाहर की थी. ऐसा दुनिया में ना इससे पहले कभी हुआ था और ना ही इसके बाद.वाह! सिग्नल ने ये तो जाहिर कर दिया कि ब्रह्मांड में कोई ऐसी दुनिया या ग्रह जरूर मौजूद है, जिसकी सभ्यता बहुत अलौकिक और एडवांस है.

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ये ओहियो यूनिवर्सिटी में 1971 में लगाई गई वो दूरबीन , जो एकदम खास तरह की थी. ये कई फुटबॉल मैदान के बराबर थी और अंतरिक्ष से आने वाले छोटे से छोटे संकेतों को पकड़ती थी. अब तो खैर ये हटाई जा चुकी है. दुनिया का सबसे रहस्यमयी अंतरिक्ष से आया सिग्नल इसी पर आया था. (file photo)

चौंकाने वाला रेडियो सिग्नल
ये रात 11:16 बजे का समय था. तभी रेडियो टेलीस्कोप पर ये चौंकाने वाले रेडियो सिग्नल आना शुरू हुआ. ये कोई साधारण सिग्नल नहीं था बल्कि संख्याओं और अल्फाबेट्स में क्रम से भेजा गया था. उसके बाद पूरी दुनिया के वैज्ञानिक रोमांचित हो गए, उन्होंने जोरशोर इसके ओरिजिन को तलाश करना शुरू किया लेकिन वो आज तक अज्ञात है. हालांकि साइंटिस्ट ने ये जरूर समझ लिया कि ये शक्तिशाली रेडियो सिग्नल जहां से भी आया, वहां बहुत बुद्धिमान लोग रहते हैं.

36 सेकेंड तक तेज रहा सिग्नल और फिर घटने लगा
खगोलशास्त्री और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) के प्रोफेसर डॉ. जेरी आर. एहमान ने इस डेटा को देखा. कंप्युटर ने इस सिग्नल को “6EQUJ5” संकेत के तौर पर प्रिंट किया. इसकी तीव्रता 36 सेकंड तक बढ़ती रही, फिर 36 सेकंड तक घटती रही, क्योंकि दूरबीन पृथ्वी के घूमने के साथ सिग्नल के उद्गम बिंदु की ओर से दूर जाने लगी. उस रात ऐसा क्या हुआ, जो पृथ्वी पर ये सिग्नल आया, ये भी बताने वाला कोई नहीं.

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वॉव! सिग्नल किस तरह और किस कूट भाषा में आया. इसमें अल्फाबेट्स भी थे और न्यूमेरिकल्स भी. (फाइल फोटो)

बहुत तेज शोर के साथ आया सिग्नल
ये आसपास के किसी भी अन्य शोर की तुलना में तीस गुना अधिक तेज था. ये नैरोबैंड सिग्नल था, जो ये भी बताता है कि इसे किसी बहुत इंटैलिजेंट सोर्स से धरती की ओर या ब्रह्मांड में ग्रहों के लिए भेजा गया था

किस रेडियो टेलिस्कोप से आया
अब जानते हैं उस रेडियो टेलिस्कोप के बारे में, जिसने इस सिग्नल को रिकॉर्ड किया. इसका नाम द बिग ईयर था, अगर आप इसे ऊपर की तस्वीर में देखें तो ये टेलीस्कोप खास तरह का था और कई फुटबॉल मैदानों के बराबर था. इसके दोनों ओर से लंबे एंटेना लगातार घूमते थे. इस दूरबीन का निर्माण 1971 में पूरा हुआ. इसे 1973 में पहली बार चालू किया गया.

बिग ईयर एक क्रॉस-प्रकार का रेडियो टेलीस्कोप है* जो “एक झुकाव वाले फ्लैट रिफ्लेक्टर पैनल से किरणों को एक निश्चित परवलयिक आयत पर प्रतिबिंबित करता है, जिसकी माप 110 मीटर x 21 मीटर है.

मतलब ब्रह्रांड में एलियंस मौजूद हैं
रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल संदेश को भेजने के लिए किया जाता रहा है. दुनिया के साइंटिस्ट को भी लगता है कि ब्रह्मांड में ऐसे एलियंस जरूर मौजूद हैं, जो विज्ञान और तकनीक के हिसाब से बहुत सक्षम हैं.
1973 से 1995 तक बिग ईयर का उपयोग अलौकिक रेडियो संकेतों की खोज के लिए किया गया, जिससे ये इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाली SETI परियोजना बन गई.

इस लैब को 1998 में तब ध्वस्त कर दिया गया, जब डेवलपर्स ने विश्वविद्यालय से साइट खरीदी और इस जमीन को गोल्फ क्लब में बदल दिया गया.

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वॉव! रेडियो सिग्नल आने के बाद वैज्ञानिक अब भी मानते हैं कि लंबे चौड़े ब्रह्मांड में कहीं ऐसे लोग जरूर हैं, जो हमसे ज्यादा विकसित और इंटैलिजेंट हैं.

हालांकि बिग ईयर जैसा टेलिस्कोप फिलहाल फ्रांस में स्थित है, जिसे नानके रेडियो टेलीस्कोप (एनआरटी) के रूप में जानते हैं, एनआरटी बिग ईयर से चार गुना बड़ा है, ये यूरोप में दूसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप और दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा है.

इसे नाम दिया गया वॉव! सिग्नल
बिग ईयर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध घटना “वॉव!” यानि वाह! सिग्नल का पता लगाना था. यह SETI ( Search for Extraterrestrial Intelligence) के इतिहास में सबसे दिलचस्प और अस्पष्टीकृत संकेतों में एक बना हुआ है. साइंटिस्ट एहमन ने जब सिग्नल का विशिष्ट पैटर्न देखा, तो उन्होंने उस पर गोला बनाया और लिखा “वाह!” इसके बाद ही इसका नाम वाह सिग्नल पड़ गया.

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46 साल बाद भी वैज्ञानिक इस रहस्य को सुलझा नहीं सके हैं. इसे लेकर बहुत सी थ्योरी आईं लेकिन ये घटना दुनिया की सबसे रहस्यमयी और अनसुलझी अंतरिक्ष घटना के तौर पर अंकित हो चुकी है.

एलियंस के लिए रेडियो से संपर्क करना सबसे आसान
कॉर्नेल यूनिर्सिटी के दो फिजिक्स साइंटिस्ट ने ये सिद्धांत दिया था कि यदि एलियंस हमसे संपर्क करना चाहेंगे तो वे रेडियो सिग्नल का उपयोग करेंगे, क्योंकि आसानी से बहुत दूर तक पहुंचते हैं. ये भी कहा गया था कि एलियंस अपना संदेश 1420 मेगाहर्ट्ज़ पर भेजेंगे, क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु उस फ्रीक्वेंसी पर सुनाई देंगे और हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे आम तत्व है.
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फिर ऐसा सिग्नल नहीं आया
दोबारा इसका पता लगाने की बहुत कोशिश हुई लेकिन वाह! सिग्नल फिर कभी नहीं देखा गया. ये अब भी वैज्ञानिकों के लिए अनसुलझा रहस्य है लेकिन ये भी बताता है कि ब्रह्मांड को में हम अकेले नहीं हैं शायद हमसे ज्यादा इंटैलिजेंट सभ्यता भी कहीं आबाद है.

अंतरिक्ष का सबसे अनसुलझा रहस्य
वॉव! सिग्नल वैज्ञानिक समुदाय के भीतर लंबे समय तक बहस का विषय रहा है. हालांकि ये सवाल भी जायज है कि अगर कोई इंटैलीजेंट हमसे संवाद करना चाहते थे तो उन्होंने दोबारा ऐसा क्यों नहीं किया.

Tags: ALIENS, Science, Science facts, Space, Space Exploration, Space knowledge, Space Science



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