रेलवे स्टेशन के बाहर लगा था बोर्ड, लिखी थी ऐसी बात, जैसे ही अंदर गए यात्री, सीधे लग गया सदमा


पुलिस का काम होता है लोगों की मदद करना. ड्यूटी पर तैनात पुलिस की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है नागरिकों की सुविधा का ध्यान रखना. अगर किसी नागरिक को कोई समस्या है तो उसे पुलिस की मदद से सुलझाने की कोशिश की जाती है. पब्लिक प्लेसेस पर पुलिस लोगों की मदद के लिए हेल्प डेस्क बनाती है. यहां नागरिक सीधे अपनी कंप्लेन कर सकते हैं. रेलवे स्टेशन पर भी पुलिस के ऐसे हेल्प डेस्क आपने कई देखे होंगे.

कई बार ट्रेन में लोगों का सामान खो जाता है. या फिर किसी तरह की कोई अनहोनी घट जाती है. ऐसे में यात्री थाने जाने की जगह स्टेशन पर ही अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकते हैं. लेकिन सीकर के पुलिस हेल्प डेस्क का मकसद शायद ऐसा करना है ही नहीं. यहां फॉरमैलिटी में हेल्प डेस्क का बोर्ड तो लगा दिया गया है लेकिन वहां आपको पुलिस का एक भी सदस्य नजर नहीं आएगा. ऐसे में बाहर लगा बोर्ड मुंह चिढ़ाता सा नजर आता है.

ऐसी है हालत
स्टेशन पर बने जीआरपी पुलिस के हेल्प डेस्क के अंदर जाते ही आप हैरान रह जायेंगे. अंदर ना तो कोई टेबल है ना ही कोई कुर्सी. बाहर मे आई हेल्प यू का बोर्ड तो लगा है लेकिन केबिन दिनभर बंद रहता है. अंदर कोई पुलिसकर्मी कभी नहीं बैठता. ऐसे में अगर स्टेशन पर यात्री के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो उसे रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर थाने जाना पड़ता है. ट्रेन छूटने के डर से ज्यादातर यात्री शिकायत दर्ज नहीं करवा पाते.

परेशान हुए यात्री
पुलिस हेल्प डेस्क की ऐसी दुर्दशा की वजह से यात्री परेशान होते हैं. उनका कहना है कि जब कभी मदद के लिए जाओ, तो वहां पुलिस नजर नहीं आती. अगर मोबाइल चोरी हो जाता है या पर्स चुरा लाया जाता है तो सीधे थाने जाने की सलाह दी जाती है. ऐसी में स्टेशन पर हेल्प डेस्क बनाने का क्या फायदा है? मामले के सामने आने पर जीआरपी थाना प्रभारी अरुण चौधरी ने बताया कि पुलिस स्टेशन पात्र गश्त लगाती रहती है. लेकिन चूंकि रजिस्टर थाने में होता है, इस वजह से रिपोर्ट यही दर्ज करवाई है.

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