रॉयल लाइफ जीने के लिए मजबूत करें ये ग्रह, पैसों से भरी रहेगी जेब, मिलेगी हर तरह की सुख-समृद्धि


Astro Tips For Royal Life : आज के समय कौन नहीं चाहता कि जीवन में उसे धन, वैभव सुख-समृद्धि सब कुछ मिले. इसके लिए व्यक्ति कोई न कोई उपाय भी जरूर करता है. ऐसे में एक ऐसे ग्रह के बारे में बता रहे हैं जिसको प्रसन्न करके आप अपने जीवन में सुख, सुविधा, धन, समृद्धि हासिल कर सकते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं शुक्र ग्रह की शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाए तो इससे जातक को जीवन में उन्नती मिल सकती है. यह आपको हर तरह की सुविधा या यूं कहें कि लग्जरी लाइफ देने में सक्षम है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य योगेश चौरे.

शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और शुक्र देव की पूजा के लिए विशेष माना गया है. ये दिन इन्हीं की पूजा के लिए समर्पित है. कहा गया है कि जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन पवित्रता का ध्यान रखते हुए शुक्र देव और मां लक्ष्मी की सच्चे मन से विधिवत पूजा करता है तो उसके जीवन में पैसों और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है. इसके साथ ही घर से दरिद्रता खत्म हो जाती है. शुक्रवार के दिन शुक्र स्तोत्र और शुक्र कवच का भी पाठ करना चाहिए. ये बहुत फलदाई माना गया है.

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मृणालकुन्देन्दुषयोजसुप्रभं पीतांबरं प्रस्रुतमक्षमालिनम् .

समस्तशास्त्रार्थनिधिं महांतं ध्यायेत्कविं वांछितमर्थसिद्धये ॥

ॐ शिरो मे भार्गवः पातु भालं पातु ग्रहाधिपः .

नेत्रे दैत्यगुरुः पातु श्रोत्रे मे चन्दनदयुतिः ॥

पातु मे नासिकां काव्यो वदनं दैत्यवन्दितः .

जिह्वा मे चोशनाः पातु कंठं श्रीकंठभक्तिमान् ॥

भुजौ तेजोनिधिः पातु कुक्षिं पातु मनोव्रजः .

नाभिं भृगुसुतः पातु मध्यं पातु महीप्रियः॥

कटिं मे पातु विश्वात्मा ऊरु मे सुरपूजितः .

जानू जाड्यहरः पातु जंघे ज्ञानवतां वरः ॥

गुल्फ़ौ गुणनिधिः पातु पातु पादौ वरांबरः .

सर्वाण्यङ्गानि मे पातु स्वर्णमालापरिष्कृतः ॥

य इदं कवचं दिव्यं पठति श्रद्धयान्वितः .

न तस्य जायते पीडा भार्गवस्य प्रसादतः ॥

”शुक्र स्तोत्र”
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित .

वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम:..

देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग:.

परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर:..

प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम:.

नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे..

तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर:.

यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह..

अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे.

त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान..

विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन.

ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन.

बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम:.

भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम..

जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: .

नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ..

नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने.

स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन:..

य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम.

पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम..

राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम.

भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै:..

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अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम.

रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ..

यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा.

प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत:..

सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि:..

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion



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