लद्दाख में पेंगोग त्सो लेक में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा की स्थापना पर विवाद
नई दिल्ली:
लद्दाख के पैंगोंग त्सो लेक के पास सेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है . इसको लेकर सोशल मीडिया पर विवाद शुरू गया है . अब मांग हो रही है कि यहां पर लद्दाख पर विजय हासिल करने वाले जनरल जोरावर सिंह की प्रतिमा लगाना ज़्यादा सही होगा.
शिवाजी महाराज की 30 फीट ऊंची प्रतिमा पूर्वी लद्दाख में 14,300 ऊंचाई पर स्थापित की गई है. यह जगह चीन के साथ लगने वाली लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LaC) के पास है. इस प्रतिमा का उद्घाटन सेना के 14 वीं कोर फायर एंड पूरी फ्यूरी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया है.
लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला मराठा लाइट इन्फैन्ट्री के कर्नल ऑफ द रेजिमेंट भी हैं. इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने आधुनिक समय के सैन्य अभियानों में शिवाजी महाराज की वीरता, रणनीति और न्याय के आदर्श की प्रासंगिकता पर बात की.
पैंगोंग झील के पास डोगरा जनरल जोरावर सिंह की प्रतिमा लगाए जाने के पीछे तर्क यह दिया गया है कि यह वही महान योद्धा है जिन्होंने लद्दाख पर जीत हासिल की. उन्होंने 1800 के दशक में तिब्बत में भी जाकर लड़ाई लड़ी.
But Shivaji is not facing towards the Chinese for some strange reason
Nothing against Shivaji in Pangong Tso, just that he is too far away from his Karambhoomi
A statue of Gen Zorawar Singh Kahluria would have been appropriate, who conquered over 500 miles of western Tibet https://t.co/fix9ZgVGv7— RajBhaduriAviator (@RajBhads90) December 28, 2024
Pangong is a strategic location, should have been adorned by a figure who holds a historical importance in that location.
Gen Zorawar Singh went all the way in Tibbet and liberated Mansarovar after hundreds of years, Ladakh is part of India because of him.
Who are we fooling? https://t.co/PX1JhhJaLA
— History Of Rajputana (@KshatriyaItihas) December 29, 2024
कुछ यह भी कह रहे हैं कि यहां से कुछ दूर 1962 के हीरो परमवीर चक्र विजेता शैतान सिंह ने चीनियों से लड़ते हुए जान दी. उनकी प्रतिमा तो नहीं लगाई गई.
Pangong Tso is the place near which Hero of 1962, Maj Shaitan Singh laid is life fighting the Chinese. It is the same place from where Zorawar Singh marched to invade Chinese Tibet. https://t.co/a9FoYJ5eoz pic.twitter.com/OFZagcHVfO
— Engineer Who (@Engr_Who) December 29, 2024
कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में जनरल जोरावर सिंह की प्रतिमा लगाई जा सकती है?
सेना के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पैंगोंग त्सो लेक में उनकी (छत्रपति शिवाजी) स्थापना सैनिकों का मनोबल को बढ़ाने और भारत की ऐतिहासिक और समकालीन सैन्य ताकत का प्रमाण है.
हाल ही में सेना प्रमुख के लाउंज में 1971 की पाकिस्तान की आत्मसमर्पण वाली प्रसिद्ध तस्वीर हटा ली गई. उसकी जगह पर जो पैंगोंग त्सो लेक की तस्वीर दिख रही है.