लाख या हजार नहीं महज इतनी कमाई होती थी टैक्स फ्री, जानें देश के पहले बजट का टैक्स स्लैब
<p style="text-align: justify;">देश के मिडिल क्लास को लंबे समय से जो उम्मीद थी, उसकी घोषणा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कर दी. केंद्रीय बजट के मुताबिक, 12 लाख तक की सालाना कमाई पर कोई भी टैक्स दने की आवश्यकता नहीं है. बजट में यह बदलाव न्यू टैक्स रिजीम के तहत किया गया है. पहले यह छूट 7 लाख रुपये तक की सालाना कमाई पर थी. वित्तमंत्री की इस घोषणा को आम आदमी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव के कारण आम आदमी की जेब में अब ज्यादा पैसा बचेगा. </p>
<p style="text-align: justify;">हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में पहली बार पेश किए गए बजट में आम आदमी पर कितना टैक्स लगाया गया था. कितनी आमदमी तक के लोगों को टैक्स से छूट मिली थी. उसमें क्या-क्या प्रावधान किए गए थे, आइए जानते हैं…</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कब पेश हुआ था पहला बजट </strong></p>
<p style="text-align: justify;">ब्रिटिश हुकूमत में 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों को बड़ा नुकसान हुआ था और इसकी चारों ओर निंदा हुई थी. इस नुकसान की भरपाई और देश की वित्तीय प्रणाली में सुधर के लिए अंग्रेजों ने जानेमाने अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन को भारत बुलाया था. उन्होंने 7 अप्रैल, 1860 को देश का पहला केंद्रीय बजट पेश किया था. जब देश आजाद हुआ तो आरके षणमुखम चेट्टी को वित्तमंत्री बनाया गया. इसके बाद उन्होंने आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया था. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>आजादी के बाद इतनी आमदनी थी टैक्स फ्री</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इस बार के बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना कमाई को टैक्स फ्री किया गया है. इससे पहले 7 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं देना होता था. हालांकि, देश की आजादी के बाद का टैक्स स्लैब सुनकर आपको विश्वास नहीं होगा. बता दें, देश की आजादी के समय 1500 रुपये तक की आमदनी ही टैक्स फ्री थी. समय के साथ टैक्स स्लैब में कई तरह के बदलाव किए गए. 1949-50 में जॉन मथाई ने टैक्स स्लैब में बदलाव किया था. उन्होंने 10,000 रुपये की सालाना आय पर 1 आना टैक्स में एक चौथाई कटौती कर दी थी. 10,000 से अधिक की आय वाले दूसरे स्लैब पर टैक्स को 2 आना से घटाकर 1.9 आना कर दिया गया था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बजट में इस तरह से भी था टैक्स का प्रावधान </strong></p>
<p style="text-align: justify;">भारत के बजट में समय-समय पर कई तरह के प्रावधान हुए. 1955 में पहली बाद देश में शादीशुदा और कुंवारों के लिए अलग-अलग टैक्स फ्री इनकम रखी गई थी. इसके तहत शादीशुदा लोगों को 2000 रुपये तक आमदनी तक टैक्स से छूट थी. कुंवारों के लिए यह लिमिट 1000 रुपये ही थी. 1958 में बच्चों की संख्या के आधार पर इनकम टैक्स में छूट दी गई. शादीशुदा होने पर यदि बच्चा नहीं है तो 3000 रुपये तक टैक्स से छूट थी. एक बच्चे वाले के लिए 3300 रुपये, दो बच्चों पर 3600 रुपये की आय टैक्स फ्री थी. </p>
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