“लावारिसो की वारिस” हैं यूपी की ये महिला…कर चुकी हैं 2000 शवों का अंतिम संस्कार
अनमोल कुमार/मुज़फ्फरनगर: कहते हैं “मानवता की सेवा करने वाले हाथ उतने ही धन्य होते हैं, जितने कि ईश्वर की प्रार्थना करने वाले होंठ” .इन्हीं पंक्तियों को चरित्रार्थ किया है मुज़फ्फरनगर की एक महिला ने. जी हां, आज हम आपको एक ऐसी महिला से रूबरू कराएंगे जिसे लोग ‘लावारिसो की वारिस’ भी कहते हैं. दरअसल जनपद मुजफ्फरनगर के कृष्णपुरी की रहने वाली शालू सैनी साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट का संचालन करती है, यह ट्रस्ट लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करती है. लोकल 18 से बात करते हुए शालू ने बताया कि अब तक उन्होंने 2000 के करीब लावारिश शवों का अंतिम संस्कार किया है.
शालू सैनी ने बताया कि कोरोना काल में लगातार लोगों की मौतें हो रही थीं, जिसके चलते अपने ही अपनों का साथ छोड़ते दिखाई दिए थे. जिसे देखकर मेरे मन में काफी दुख हुआ और उस समय मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न मैं ही इन लावारिस लोगो की वारिस बनाकर शवों का अंतिम संस्कार करु और तभी से मैंने लावारिस शवों का पूरी विधि विधान से अंतिम संस्कार करना शुरू किया.
कोरोना महामारी के समय शुरू किया ये काम
शालू सैनी लावारिस शवों को अपना नाम देकर अंतिम संस्कार करती हैं. हालांकि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, श्मशान घाट पर महिलाओं का प्रवेश पूर्णत: प्रतिबंधित माना जाता है. बावजूद इसके प्राचीन मान्यताओं का खंडन करते हुए शालू सैनी ने कोरोना महामारी के समय से इस अनूठे संकल्प की शुरुआत की . इसके अलावा शालू अंतिम संस्कार के साथ-साथ लावारिस मृतकों की अस्थियां भी गंगा में विसर्जित करती हैं.
2000 लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार
शालू सैनी का कहना है कि वो ठेले पर कपड़े बेचने का काम करती है. साथ ही एक छोटी सी दुकान भी चलाती है. जिसमें ठाकुर जी की पोशाक को बेचकर वो अपना खर्च चलाती है. शालू का कहना है कि वह अपनी मेहनत की कमाई से ही लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार अपने निजी खर्चे से करती हैं. अभी तक शालू ने 2000 से भी अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है.
.
Tags: Local18, Muzaffarnagar news, Uttar Pradesh News Hindi
FIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 15:35 IST