लीची अनुसंधान केंद्र में सीखिए मछली पालन के गुर, किसानों को हो रहा डबल मुनाफा, देखें यह रिपोर्ट 


मुजफ्फरपुर : अगर आप लीची की किसानी करते हैं और ऑफ सीजन में खाली बैठ जाते है. तो यह खबर आपके लिए है. लीची अनुसंधान केन्द्र में किसानों के खाली समय का इस्तेमाल करने और लीची के साथ दुगना मुनाफा करने के लिए मछली पालन करवाया जा रहा है. यहां किसान को तालाब भी दिया जा रहा है. जिसमें वह मछली पालन कर सकते हैं. इसके चारों ओर से लीची भी लगी हुई है. लीची अनुसंधान केन्द्र की यह पहल किसानों को आमदनी बढ़ने को लेकर शुरू किया गया है.

लीची अनुसंधान केन्द्र में किसानों को मछली पालन के गुर भी सिखाए जाते हैं. उन्हें इसमें आगे बढ़ने और पालन करने का तरीका बताया जाता है. आपको बता दें कि लीची सीजनल फल है और मुजफ्फरपुर में कई किसान इसी पर आश्रित हैं लेकिन जब इसका सीजन खत्म हो जाता है तब लीची किसान कैसे आमदनी कर सकते है इसको लेकर यहां मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे किसान अच्छी खासी कमाई भी कर रहे है और काफी खुश भी है.

60 से 70% तक होता है मुनाफा
किसान मिंटू को यह तालाब मछली पालन करने के लिए दिया गया है. मिंटू ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया की लीची अनुसंधान केन्द्र के द्वारा यह मिला है. केन्द्र ने इसका प्रशिक्षण भी करवाया है. इसमें अभी रोहू, कतला, ग्रास कार्फ और गोल्डन प्रजाति की मछलियों का पालन किया जा रहा है. इसमें किसान तालाब के कैपेसिटी अनुसार पालन करते है इससे उन्हे 60% से 70% तक मुनाफा हो जाता है. वही इसके लिए किसान स्पेशल सीड का पेस्ट बना कर मछली को देते है जिससे उसमे अच्छी ग्राउथिंग आती है.

लीची की गुठलियों से मछली दाना किया था तैयार
2021 में वैज्ञानिकों ने लीची की गुठलियों से मछली दाना बनाना शुरू किया जो दूसरे फीड से काफी कम लागत में तैयार हो जाता है. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर, बिहार के मुजफ्फरपुर के ढोली स्थित मात्स्यिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसे तैयार किया था. बिहार के मुजफ्फरपुर लीची के लिए मशहूर है और देश की सबसे ज्यादा लीची का उत्पादन भी यही होता है.

FIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 24:00 IST



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