लैटिन अमेरिका में क्यों तेजी से फैल रहा डेंगू? कई देशों में लगानी पड़ी इमरजेंसी, सेना ने संभाला मोर्चा
लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में डेंगू ने तबाही मचाई है. इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच डेंगू के 60 लाख मामले सामने आ चुके हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह स्थिति तब है, जब अभी पीक सीजन आना बाकी है. आने वाले महीनों में हालत और खराब हो सकती है. ब्राज़ील ऐसा देश है, जो सबसे ज्यादा डेंगू की चपेट में है. यहां अब तक अकेले जनवरी से अप्रैल के बीच 42 लाख मामले सामने आ चुके हैं. ब्राजील की हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक देश की 1.8 फ़ीसदी आबादी डेंगू की चपेट में है. अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है, जो किसी एक साल में डेंगू से मरने वालों की सबसे ज्यादा तादाद है.
समाचार एजेंसी रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्राजील के 26 राज्यों में से ज्यादातर में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है. आर्मी ने मोर्चा संभाल लिया है और जगह-जगह फील्ड हॉस्पिटल बना रही है, ताकि मरीजों का इलाज किया जा सके. आलम यह है कि मच्छरों से बचाने वाली दवाएं, मॉस्किटो क्वाइल जैसी चीजें आउट ऑफ स्टॉक हैं.
किन देशों में डेंगू की मार?
लैटिन अमेरिकी देश पेरू और Puerto Rico भी डेंगू से जंग लड़ रहे हैं और यहां भी इमरजेंसी घोषित कर दी गई है. पैरू में जनवरी से अब तक 1,35,000 मरीज सामने आ चुके हैं जबकि 117 मरीजों की मौत हो चुकी है. अर्जेंटीना में भी डेंगू के केसेज बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. मेक्सिको, उरुग्वे, चिली जैसे देश भी डेंगू की मार झेल रहे हैं. यूएन की संस्था पैन अमेरिकन हेल्थ आर्गेनाईजेशन के मुताबिक ब्राजील, पराग्वे, अर्जेंटीना, उरुग्वे ऐसे देश है जो डेंगू की भयंकर चपेट में हैं.
क्यों कहर ढा रहा डेंगू?
तो आखिर लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों में डेंगू कहर क्यों बरपा रहा है? इसकी सबसे बड़ी वजह बढ़ता तापमान है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पिछले 30 सालों में लैटिन अमेरिकी क्षेत्र का तापमान हर दशक में 0.2 डिग्री सेल्सियस बढ़ता गया. इससे मच्छरों को प्रजनन का अनुकूल माहौल मिला और उनकी तादाद बहुत तेजी से बढ़ी है.
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मच्छरों की अधिकांश प्रजातियां गर्म तापमान में पनपती हैं और ग्लोबल वार्मिंग के चलते गर्म इलाके बढ़े, जिसमें लैटिन अमेरिका और कैरेबियन भी शामिल है. उच्च तापमान ने के चलते गर्म मौसम की अवधि भी बढ़ गई, जिसमें मच्छर ज्यादा एक्टिव होते हैं. द इकोनॉमिस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में ऐसी बहुत कम जगहें हैं, जहां सर्दियों में तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे जाता है. इस टेंप्रेचर पर मच्छर अपने आप मर जाते हैं.
अल नीनो का भी इफेक्ट
लैटिन अमेरिका (Latin America) और कैरेबियन देशों में 2023 में अल नीनो की शुरुआत के साथ स्थिति और खराब हो गई. अल नीनो एक ऐसा मौसम पैटर्न है, जिसके कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह के पानी में असामान्य वृद्धि हुई, जिससे पूरे क्षेत्र में तापमान और अधिक बढ़ गया. इससे मच्छरों की आबादी और बढ़ गई.
साफ-सफाई की कमी भी बड़ी वजह
लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों में तेजी से हो रहा शहरीकरण, डेंगू फैलने का एक और कारण है. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि लैटिन अमेरिकी देशों में ज्यादातर ऐसी बस्तियां हैं, जहां सांफ-सफाई की कमी है. जगह-जगह पानी जमा रहता है, जो मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे मुफीद स्थल है. लैटिन अमेरिका में अधिकांश घरों की छतें सपाट होती हैं, जहां पानी इकट्ठा होता और मच्छर पनपने लगते हैं. यहां पाइपलाइन की कमी है और लोग अक्सर खुले टैंकों में पानी जमा करते हैं.
वैक्सीन की राह में क्या दिक्कतें?
लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में जिस तरीके से डेंगू ने कहर बरपाया है, ऐसी स्थिति में डेंगू के टीके की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है. हालांकि, कई फैक्टर हैं जो इसकी राह में रोड़ा हैं. डेंगू, मादा मच्छरों के काटने से फैलता है और इस वायरस के कुल चार प्रकार होते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि कोई टीका आपको किसी एक प्रकार के वायरस से बचाता है, तो आपको अन्य प्रकार के वायरस का खतरा बढ़ जाता है. सबसे बड़ी चुनौती एक ऐसी वैक्सीन विकसित करना है जो डेंगू के सभी प्रकार के स्ट्रेन के खिलाफ काम करे. हालांकि वैज्ञानिकों ने ऐसे टीके बनाए हैं जो चारों प्रकार के स्ट्रेन से रक्षा करता है लेकिन ये बहुत महंगे हैं और लिमिट भी है.
उदाहरण के तौर पर- ‘क्यूडेंगा’, जो एक जापानी निर्मित वैक्सीन है और इसकी कीमत 115 डॉलर प्रति खुराक है. एक दूसरी वैक्सीन है- ‘डेंगवाक्सिया’, जो एक फ्रांसीसी दवा कंपनी Sanofi Pasteur द्वारा निर्मित है. इस वैक्सीन के साथ सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि यह केवल उन्हीं लोगों को दी जा सकता है, जिन्हें पहले से ही डेंगू संक्रमण हो.
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FIRST PUBLISHED : May 5, 2024, 11:34 IST