वकालत के साथ-साथ ये शख्स खेती में भी करता है धमाल, जानें पीनलभाई की सफलता की कहानी
गुजरात: मेहसाणा जिले के पाटन तालुका के बालिसाना गांव के मूल निवासी, पिनालभाई सोमाभाई पटेल, पेशे से वकील और एक युवा प्रगतिशील किसान हैं. उन्होंने अपने पिता की इच्छा का पालन करते हुए वर्ष 2016 से देशी गायों पर आधारित प्राकृतिक खेती शुरू की. अपने छोटे भाई कुंदनभाई के साथ मिलकर, उन्होंने बरेक विघा में जैविक खेती का सफर शुरू किया. फिलहाल उनके पास करीब 12 देसी गायें हैं और वह गेहूँ, बाजरा, कपास, अरंडी, तम्बाकू, चारा और सौंफ की खेती करते हैं. प्राकृतिक खेती के लिए वे गोबर और गोमूत्र का उपयोग कर न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं.
प्राकृतिक खेती का सफर और नवाचार
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के प्राकृतिक खेती के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, पिनालभाई ने रासायनिक खेती को पूरी तरह से त्याग दिया. उन्होंने देसी गाय आधारित झरना और जैविक कीटनाशक संयंत्र तैयार किया. 1,20,000 रुपये की लागत से 12 घन मीटर का जैवनाशी संयंत्र और कीटनाशक संयंत्र बनाया गया. इस प्लांट में 12000 लीटर तरल पदार्थ को 45 दिनों तक ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में तैयार किया जाता है. इसमें गाय का गोबर, गुड़, चावल, और जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जिससे लाखों सूक्ष्म जीवाणु मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं.
कीटनाशकों में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का प्रयोग
पिनालभाई के जैविक संयंत्र से हर 24 घंटे में 300 लीटर तरल खाद प्राप्त होती है, जिसे ड्रिप, फव्वारे और अन्य विधियों से खेतों में दिया जा सकता है. जैविक कीटनाशकों के निर्माण में अदरक, हल्दी, नीम, रतनज्योत, चास, सीताफल, नागौद और सूखी तम्बाकू जैसी 30 से अधिक कड़वी जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है. इन जैविक कीटनाशकों का उपयोग कपास की फसल पर किया गया, जिससे गुलाबी इल्ली, रसचूसक कीट, सफेद मक्खी और फफूंद जैसी समस्याओं का समाधान हुआ.
जैविक खेती से आर्थिक लाभ
हालांकि जैविक खेती का प्रारंभिक खर्च थोड़ा अधिक होता है, लेकिन यह खेती की अन्य लागतों को काफी हद तक कम कर देती है. राज्य सरकार की योजनाओं से पिनालभाई को घरेलू गाय पालन के लिए सब्सिडी भी मिली. वर्तमान में वे अपने भाई के साथ 12 बीघा में पूर्ण जैविक खेती कर रहे हैं. शुरुआती वर्षों में उत्पादन में थोड़ी कमी आई, लेकिन बाद में उत्पादन और फसलों की कीमतों में वृद्धि हुई. उन्होंने बताया कि जैविक खेती से उन्हें हर वर्ष करीब 6 लाख रुपये का उत्पादन होता है, जिसमें से 5 लाख रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ होता है.
वकील से किसान तक का सफर
पिनालभाई, पेशे से वकील होने के बावजूद, खेती को भी समय देते हैं. कोर्ट के कामकाज के बाद वे खेती में समय लगाते हैं. उनकी यह मेहनत और लगन आज उन्हें पूरे पाटन संभाग में एक युवा प्रगतिशील किसान के रूप में पहचान दिला रही है. जैविक खेती और देशी गाय आधारित कृषि के उनके प्रयास अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 15:33 IST