‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सच्चाई या फसाना? बदलाव की पूरी प्रक्रिया बेहद जटिल, आंकड़ों से समझें पूरा खेल – one nation one election complex legislation know how it done parliament states equation


हाइलाइट्स

सरकार को करने पड़ सकते हैं संविधान में कुल 18 संशोधनलोकसभा-राज्‍यसभा में दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा बिलकुछ मामलों में विधानसभा की भूमिका भी हो जाती है काफी अहम

नई दिल्‍ली. देश में एक बार फिर से ‘वन नेशन, वन इलेक्‍शन’ पर चर्चाएं तेज हो गई हैं. पूर्व राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्‍यक्षता में एक देश, एक चुनाव के विभिन्‍न पहलुओं पर विचार करने के लिए हाई-लेवल कमेटी बनाई गई थी. कोविंद कमेटी ने पिछले दिनों अपनी सिफारिश सौंपी थी. बुधवार को मोदी कैबिनेट ने उच्‍चस्‍तरीय कमेटी की सिफारिशों को स्‍वीकार कर लिया है. साथ ही शीतकाली सत्र में इसे कानूनी रूप देने के लिए बिल लाने की बात भी कही जाने लगी है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि वन नेशन, वन इलेक्‍शन को कानूनी अमलीजामा पहनाना सरकार के लिए कितना आसान होगा?

BJP के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लिए वर्तमान परिदृश्य में ‘एक देश, एक चुनाव’ को वास्तविकता बनाने के लिए जरूरी संवैधानिक संशोधनों कराना काफी कठिन हो सकता है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई-लेवल कमेटी की सिफारिश के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने के लिए सरकार को संविधान में 18 संशोधन करने पड़ सकते हैं. NDA को 543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सांसदों और 245 सदस्यीय राज्यसभा में 119 सांसदों का समर्थन हासिल है. संसद में किसी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए लोकसभा में साधारण बहुमत के साथ-साथ सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त होना आवश्यक है.

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ऐसे समझें पूरा गणित
संविधान संशोधन के लिए लाए गए विधेयक पर मतदान के दिन लोकसभा के सभी 543 सदस्य उपस्थित हों, तो इसे बिल को पास कराने के लिए 362 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. लोकसभा में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटर इंक्लूसिव अलायंस) के 234 सदस्य हैं. राज्यसभा में NDA के पास 113 सांसद हैं और उसे 6 मनोनीत सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जबकि विपक्षी गठबंधन के पास 85 सदस्य हैं. यदि मतदान के दिन राज्यसभा के सभी सदस्य उपस्थित हों तो दो-तिहाई सदस्य यानी 164 सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी.

विधानसभा की भूमिका
कुछ संवैधानिक संशोधनों को राज्य विधानसभाओं द्वारा भी पारित कराने की जरूरत पड़ती है. 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में से दो (भाजपा और नेशनल पीपुल्स पार्टी-एनपीपी) एक साथ चुनाव के समर्थन में हैं, जबकि चार (कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और माकपा) इसके विरोध में हैं. हाल के लोकसभा चुनावों के बाद कोविंद समिति के समक्ष एक साथ चुनाव का समर्थन करने वाली पार्टियों के लोकसभा में 271 सदस्य हैं. कोविंद समिति के समक्ष एक साथ चुनाव का विरोध करने वाली 15 पार्टियों की संसद में कुल सदस्य संख्या 205 है. NDA के नेताओं ने विश्वास जताया कि वे संसद में प्रमुख विधायी सुधारों के लिए समर्थन सुनिश्चित कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और नागरिकता (संशोधन) विधेयक संसद ने तब पारित किए गए थे, जब सत्तारूढ़ गठबंधन के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था.

Tags: National News, Prime Minister Narendra Modi, Ram Nath Kovind



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