वृक्षारोपड़ के प्रति दौसा की सरकारी टीचर का ऐसा जुनून, 11,000 पेड़ लगाने का है टारगेट


रिपोर्ट- पुष्पेन्द्र मीना

दौसा: कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि लोग स्वच्छ हवा और वातावरण चाहते हैं लेकिन, उसके लिए अपनी सुख सुविधाओं से समझौता नहीं करना चाहते हैं. लोग शहरों में रहते हुए भौतिक सुविधाओं का भरपूर भोग करते हुए शुद्ध हवा और पानी चाहते हैं. लेकिन इन सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इस प्रकृति को बचाने के लिए अपने स्तर पर भरपूर प्रयास करते हैं. जब पेड़-पौधे होंगे तो लोगों को शुद्ध हवा मिलेगी. सरकारें भी पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण को लेकर अभियान चलाती रहती हैं. कई लोग अपने स्तर पर इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. ऐसी ही एक पर्यावरण प्रेमी महिला बलेश पटेल पोसवाल हैं.

पर्यावरण प्रेमी महिला का परिचय
दौसा जिले के बांदीकुई निवासी महिला बलेश पटेल पोसवाल भरतपुर जिले में सरकारी अध्यापिका हैं. भरतपुर जिले के एक गांव में वह कोरोना काल से लगातार पौधारोपण करती आ रही हैं. उन्होंने अब तक 4 हजार से अधिक पौधे लगा दिए हैं और उनका लक्ष्य 11,000 पौधे लगाने का है. वह अपने साथ स्कूली बच्चों को भी पौधारोपण के लिए प्रेरित करती हैं.

विद्यालय की प्रिंसिपल से मिली पेड़ लगाने की प्रेरणा
बलेश पटेल लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताती हैं कि 4 साल पहले प्रिंसिपल मैडम से पेड़ लगाने की प्रेरणा मिली थी. उन्होंने बताया कि कोरोना काल के समय से पेड़ लगाने का काम शुरू किया था और कोरोना काल में अनेक काम भी उनके द्वारा किए गए थे. गरीबों की मदद की गई थी जिन्हें समय पर भोजन नहीं मिल रहा था उन्हें भोजन भी हमारे द्वारा दिया गया था.

11,000 पौधे लगाने का रखा लक्ष्य
अध्यापिका बलेश पटेल लोकल 18 को बताती हैं कि उनके द्वारा 11,000 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें से अब तक वह 4,000 पौधे लगा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई पेड़ों की देखरेख जिम्मेदारी ले तो वह कहीं भी पेड़ लगा सकती हैं. उनके द्वारा लोगों को मुफ्त पेड़ दिए जाते हैं और उन्हीं के द्वारा पेड़ लगाए भी जाते हैं. इसी के चलते हाल ही में उन्होंने बाबा रामदेव मंदिर निहालपुरा के मंदिर परिसर में भी सैकड़ों पेड़ लगाए हैं.

बच्चों को भी देती हैं पर्यावरण का संदेश
पटेल ने बताया कि बच्चों को भी पेड़ लगाने चाहिए. उन्होंने कहा कि पेड़ नहीं होने से क्या नुकसान होता है और वातावरण में क्या-क्या हो रहा है इस बात का बच्चों को ख्याल रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम जो आर्टिफिशियल लाइफ जी रहे हैं उसके क्या परिणाम आ रहे हैं उनके बारे में भी बच्चों को जानकारी रखनी चाहिए. हम जो प्लास्टिक इस्तेमाल कर रहे हैं उसके दुष्परिणाम के बारे में भी बच्चों को जानकारी होनी चाहिए. पर्यावरण में ऑक्सीजन साफ है या नहीं उसका भी अंदाजा लगाना चाहिए. अधिक से अधिक पेड़ लगाने के बाद ही लोगों को साफ ऑक्सीजन मिल सकती है.

खुद के पैसे से शुरू किया पेड़ लगाने का काम
अध्यापिका पटेल लोकल न्यूज़ 18 को बताती हैं कि पेड़ लगाने के लिए वह अपनी आय में से बचत करती हैं और बचत करने के बाद ही वह क्षेत्र में पेड़ लगाने का कार्य भी करती हैं. एक्स्ट्रा जो खर्च जीवन में किया करती थीं उन्हें भी सीमित कर के पेड़ खरीदने में लागत लगाती हैं. उन्होंने सार्वजनिक स्थल, डिवाइडर स्कूल, चौराहा, खेल मैदान और बस स्टैंड सहित कई जगहों पर लोगों को पौधे वितरित किए हैं. उन्होंने छायादार पौधे अधिक लगाए हैं और फलदार भी लगाए हैं. उन पौधों से पक्षियों को खाना मिलता है और इंसानों को भी फल मिलता है इसलिए फल के पेड़ भी क्षेत्र में लगाए गए हैं.

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