शशि थरूर को अदालत में होना है पेश, सुप्रीम कोर्ट में तुरंत लगा दी अर्जी, CJI चंद्रचूड़ बोले- ईमेल भेजिए


नई दिल्ली. कांग्रेस सांसद शशि थरूर को मानहानि के एक मामले में मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश होना है और इसीलिए उन्होंने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर दी. दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेंगे कि उनकी याचिका को मंगलवार को लिस्ट किया जाए या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ कांग्रेस सांसद शशि थरूर की याचिका को मंगलवार को लिस्ट करने के लिए विचार किए जाने पर सहमति जाहिर की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाकर कथित तौर पर की गई ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ संबंधी थरूर की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था.

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने सोमवार को शाम छह बजे तक सुनवाई की, जबकि सामान्यत: शाम चार बजे तक ही सुनवाई की जाती है. पीठ से एक वकील ने अनुरोध किया कि याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की जाए, अन्यथा कांग्रेस नेता को उसी दिन निजी मानहानि शिकायत के संबंध में दिल्ली की एक अदालत में पेश होना पड़ेगा. वकील ने कहा, “यह बहुत जरूरी है. हम इसे 10 सितंबर को लिस्ट किए जाने का अनुरोध करते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने (थरूर का) मामला रद्द कर दिया था.”

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “बस ईमेल भेजिए. मैं अभी इसकी पड़ताल करूंगा.” दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को थरूर के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था. इसने कहा था कि प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ जैसे आरोप ‘घृणित एवं निंदनीय’ हैं. हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, टिप्पणी से प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि हुई है.

हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2020 को मानहानि की शिकायत में केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर अंतिरम रोक लगा दी थी. बाद में, इसने अंतरिम आदेश को हटाते हुए संबंधित पक्षों को मंगलवार (10 सितंबर) को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.

इसने कहा था कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि एक राजनीतिक दल के विधायी प्रमुख और भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप का उस दल, उसके पदाधिकारियों तथा संबंधित सदस्यों की छवि पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है, और यह व्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि इसका असर चुनावी प्रक्रिया पर भी पड़ता है.

हाईकोर्ट ने कहा था, “पहली नजर में, वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप घृणित और निंदनीय हैं तथा भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मानहानि करने के अलावा, भारतीय जनता पार्टी तथा इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की भी मानहानि करते हैं.”

इसने कहा था कि चूंकि शिकायत भाजपा की दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर द्वारा दर्ज कराई गई थी, इसलिए शिकायतकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 199 के तहत ‘व्यथित व्यक्ति’ के दायरे में आता है. थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था जिसमें बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत और 2 नवंबर, 2018 की शिकायत में उन्हें आरोपी के रूप में तलब किया गया था.

बब्बर ने निचली अदालत में थरूर के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. अक्टूबर 2018 में थरूर ने दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक अनाम नेता ने मोदी की तुलना ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ से की थी. कांग्रेस नेता ने कहा था कि यह ‘असाधारण रूपक’ था.

इस मामले में थरूर को जून 2019 में निचली अदालत से जमानत मिल गई थी. शिकायतकर्ता ने कहा था, “मैं भगवान शिव का भक्त हूं…. हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिवभक्तों की भावनाओं की पूरी तरह से अवहेलना की (और) ऐसा बयान दिया, जिससे भारत तथा देश के बाहर सभी शिवभक्तों की भावनाएं आहत हुईं.”

(इनपुट पीटीआई से भी)

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