संत प्रेमानंद का छलका दर्द, बोले- मुझे आश्रम से निकाल दिया गया था, मेरे पास रहने…


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Premanand Maharaj controversy: ब्रिज के संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा का विरोध हो रहा है. विरोध होने के बाद हर जगह चर्चा हो रही है. पदयात्रा बंद होने की खबर आने के बाद लाखों भक्तों को मायूस देखा गया. …और पढ़ें

संत प्रेमानंद का छलका दर्द, बोले- मुझे आश्रम से निकाल दिया गया था, मेरे पास...

प्रेमानंद जी महाराज.

हाइलाइट्स

  • प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा स्थगित हुई.
  • भक्तों में मायूसी छाई, श्रद्धालुओं की संख्या घटी.
  • संत के पास एक बार न रहने को छत थी और न ही कोई ठिकाना

मथुरा: प्रेमानंद महाराज को कौन नहीं जानता देश से लेकर विदेश तक के लोग वृंदावन के फेमस संत से मिलने पहुंचते हैं, जहां दूर-दूर से लोग प्रेमानंद महाराज की तारीफ करते नहीं थकते, वहीं, अब ब्रिज के संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा का विरोध हो रहा है. विरोध होने के बाद हर जगह चर्चा हो रही है. पदयात्रा बंद होने की खबर आने के बाद लाखों भक्तों को मायूस देखा गया. जिस संत की एक छलक पाने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती है. ऐसे संत के पास एक बार न रहने को छत थी और न ही कोई ठिकाना. जी हां, ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि उन्होंने खुद यह बात बताई है. दरअसल, प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. जिसमें वह खुद बताते नजर आ रहे हैं कि कैसे एक बार उन्हें आश्रम से निकाल दिया गया था. उनके पास रहने के लिए कोई जगह तक नहीं थी. आइए जानते हैं पूरा किस्सा…

अचानक से आश्रम छोड़ने का फरमान
प्रेमानंद महाराज ने बताया, एक बार मैं बहुत बीमार था. चलना तक मुश्किल था. उसी समय मुझे आश्रम से निकाल दिया गया. जब मैं आश्रम के महंत के पास गया और पूछा कि आपने हमारे लिए कोई खबर भेजी है. तो उन्होंने कहा कि हां, आप निकल जाइए. मैंने पूछा- मेरा अपराध क्या है. इस पर उन्होंने कहा कि कोई नहीं. कोई अपराध नहीं किया है और न ही कोई वजह है. बस आप चले जाइए.

बीमार शरीर कहां जाए…
संत ने आगे बताया, मैंने उनसे कहा कि मैं बीमार शरीर हूं. कम से कम आपके यहां छत के नीचे तो पड़ा हूं. मेरा कोई भरोसा नहीं कब शरीर साथ छोड़ दे. कम से कम आप लोगों के बीच में हूं. इस पर आश्रम के महंत ने कहा कि मैं आपका कोई ठेकेदार हूं क्या. नहीं ना. इस पर मैं वहां तुरंत पलट गया. मैंने कहा कि आप नहीं ठेकेदार तो हमारे भगवान हैं. तो महंत ने कहा कि आपके पास 15 दिन का समय है. 15 दिन में आश्रम छोड़ देना.

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15 दिन क्या… बस 15 मिनट का काम
प्रेमानंद महाराज ने महंत से कहा कि 15 दिन का क्या काम है. बस 15 मिनट का काम है. आश्रम जाना है, झोला कंधे पर टांगना हैं. अरे बचपन से बैरागी हैं. अब कोई मतलब ऐसे थोड़ी की घुटने टेक दें माया के आगे. इस प्रपंच में. शेर रहे हैं जिंदगी भर, शेर की तरह गर्मी, प्यास और सर्दी सही है. बस झोला उठाया और चल दिया मैं.

कौन हैं प्रेमानंद महाराज?
प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. प्रेमानंद जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है. सबसे पहले प्रेमानंद जी के दादाजी ने संन्यास ग्रहण किया. साथ ही इनके पिताजी भी भगवान की भक्ति करते थे और इनके बड़े भाई भी प्रतिदिन भगवत का पाठ किया करते थे.

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प्रेमानंद जी के परिवार में भक्तिभाव का माहौल था और इसी का प्रभाव उनके जीवन पर भी पड़ा. प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि, जब वे 5वीं कक्षा में थे, तभी से गीता का पाठ शुरू कर दिया और इस तरह से धीरे-धीरे उनकी रुचि आध्यात्म की ओर बढ़ने लगी. साथ ही उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी भी होने लगी. जब वे 13 वर्ष के हुए तो उन्होंने ब्रह्मचारी बनने का फैसला किया और इसके बाद वे घर का त्याग कर संन्यासी बन गए. संन्याली जीवन की शुरुआत में प्रेमानंद जी महाराज का नाम आरयन ब्रह्मचारी रखा गया.

अभी इसलिए रहे चर्चाओं में..
बता दें कि छटीकरा रोड स्थित श्रीकृष्ण शरणम स्थित आवास से प्रेमानंद महाराज रात में 2 बजे श्रीराधा केलिकुंज आश्रम तक पद यात्रा करते थे. जिस रास्ते से होकर प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा गुजरती है, वहां बड़ी संख्या में उनके अनुयायी दर्शन के लिए आते हैं. पदयात्रा के समय उत्साही भक्त कई तरह के बैंड बाजे, आतिशबाजी और लाउडस्पीकर पर भजन चलाते हैं. ऐसे में आसपास रहने वाले सैकड़ों लोगों ने रात के समय होने वाले इस शोरगुल से परेशान होकर सोमवार को अपना विरोध जताया.

इनमें एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के लोग खासतौर पर शामिल थे. सोसाइटी के लोगों का कहना था कि इस शोर-शराबे के कारण उनके रोजमर्रा जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है. खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर इसका प्रभाव पड़ रहा है. रात को ठीक से सो पाने में भी दिक्कत होती है कि क्योंकि 2 बजे शुरू होने वाली इस पदयात्रा के लिए रात को 11 बजे से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इसके अलावा लोगों ने बताया कि पदयात्रा के समय रास्ते बंद होने से आवाजाही में परेशानी होती है.

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स्वास्थ्य का हवाला देकर की पदयात्रा स्थगित
अब संत ने भीड़ अधिक होने और अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर संत ने पदयात्रा स्थगित कर दी है. प्रेमानंद की पदयात्रा के स्थगित होने का असर भी देखा गया. वृंदावन में श्रद्धालुओं की संख्या में पिछले दो दिन में काफी कमी आई है. संत प्रेमानंद ने दो दिन पहले छटीकरा मार्ग स्थित श्रीकृष्णशरणम स्थित आवास से रात दो बजे शुरू होने वाली पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी थी. इसे लेकर संत के अनुयायियों में मायूसी छाई है. रात में उनकी पदयात्रा के दौरान दर्शन के लिए 10 से 12 हजार श्रद्धालु रहते थे, सुबह वह मंदिरों में दर्शन को जाते थे, लेकिन अब पदयात्रा में श्रद्धालु नहीं आ रहे, तो वृंदावन के मंदिरों में भी इसका असर दिखाई दिया.

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