संविधान एक मूल पुस्तक है जिसके आधार पर 130 करोड़ लोगों की ज़िन्दगी और उनका मान सम्मान चलता है’- शरद यादव

वी द पीपल की पहल पर जातिगत जनगणना 2021 में करवाने के लिए गुरुवार को दिल्ली के मावलंकर हॉल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राज्यसभा के विभिन्न सांसदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिलाओं एवं युवाओं ने इसमें हिस्सा लिया।

कार्यक्रम के मुद्दे थे- 2021 में जातिगत जनगणना होनी चाहिए।क्रीमी लेयर को हटवाया जाय तथा ग्रुप सी और डी की नौकरियों में ठेकेदारी के बजाय सरकारी पीएसयू के माध्यम से तैनाती हो।

शरद यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि आवाज़ उठनी चाहिए। आम आदमी को आन्दोलन में सहभागिता निभानी चाहिए। ‘संविधान एक मूल पुस्तक है जिसके आधार पर 130 करोड़ लोगों की ज़िन्दगी और उनका मान सम्मान चलता है। सांसद राजमणि पटेल ने धर्म ग्रंथों के हवाले से कहा कि ‘इसलिए हमनें तलवार नहीं उठाई, ताकि हम भी दूसरों जैसे ना हो जाय। जातिगत भेदभाव की दीवार टूटनी जरुरी है।वही गिरधारी यादव का कहना था सभी को एकजुट हो कर काम करना होगा। भाषण देने वालों को चुप कराना ही फासीवाद कहलाता है। 100 में से 90 होने के बावजूद भी हम वंचित और शोषित क्यों हैं? सरकारी आंकड़े प्रस्तुत कर संघ लोक सेवा आयोग में चल रही जातिगत धांधलेबाजी की तस्वीर को उभारा। दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापक डॉ. सुधांशु ने काका कालेकर और वी पी मंडल की रिपोर्ट को याद करते हुए कहा कि क्रीमी लेयर से बाहर निकलना नुकसान है।आरक्षण पूरा मिलना चाहिए। वही दिनेश नागर ने चन्द्रशेखर के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि जाति को तोड़ो समाज को जोड़ों। विजेंद्र सिंह ने पूछा कि जानवरों की भी जनगणना हो गई तो ओबीसी की क्यों नहीं?

Falguni Sharama की वॉल से

x