संसद की प्रिविलेज कमिटी के सामने अधीर रंजन 30 अगस्त को तलब, कांग्रेस सांसद रखेंगे अपना पक्ष, सस्पेंशन का मामला
नई दिल्ली. संसद की विशेषाधिकार समिति ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की लोकसभा में की गई कुछ टिप्पणियों एवं आचरण को लेकर उन्हें सदन की कार्यवाही से निलंबित करने के मामले पर शुक्रवार को विचार किया. अब उन्हें इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 30 अगस्त को अगली बैठक में बुलाया जाएगा. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में एक आम राय बनी कि स्वाभाविक न्याय के सिद्धांत के तहत उन्हें (अधीर रंजन चौधरी) अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए. एक सदस्य ने यह विचार भी व्यक्त किया कि सत्र की (मानसून) शेष अवधि के लिए निलंबित करके सदस्य को पहले ही दंडित किया जा चुका है और ऐसे में दोबारा दंड देने का कोई औचित्य नहीं है.
सूत्रों ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि समिति अगली बैठक में चौधरी का पक्ष सुनने के बाद उनके निलंबन को निरस्त करने की लोकसभा अध्यक्ष को सिफारिश करने के पक्ष में है. समिति की अगली बैठक 30 अगस्त को होने की संभावना है. सूत्रों के अनुसार, कई सदस्यों का विचार था कि चौधरी को उनके आचरण के लिए पहले ही दंडित किया जा चुका है.
एक सूत्र ने बताया कि समिति के भाजपा सदस्यों का इस मुद्दे पर नरम रुख था. बैठक में समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद सुनील सिंह के अलावा कांग्रेस के के. सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के टी. आर. बालू, भाजपा के जनार्द्धन सिंह सिग्रीवाल, राजू बिष्ट, दिलीप घोष, राजीव प्रताप रूड़ी आदि शामिल हुए.
हाल ही में संपन्न संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों और उनके आचरण के कारण 10 अगस्त को सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया था. इसके साथ ही उनके खिलाफ इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया गया था.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव लोकसभा में पेश किया था जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी थी. इससे पहले, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर चुके थे. प्रस्ताव के अनुसार, विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक कांग्रेस नेता चौधरी सदन की कार्यवाही से निलंबित रहेंगे. कांग्रेस ने चौधरी को निलंबित किए जाने को ‘अलोकतांत्रिक’ और ‘निरंकुश’ कदम करार दिया था. वहीं, चौधरी ने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री का अपमान नहीं किया, बल्कि उदाहरण के तौर पर कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया था.
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FIRST PUBLISHED : August 18, 2023, 20:46 IST