संसद के रेगुलर और स्पेशल सेशन में क्या फर्क? क्या अचानक बदला जा सकता है एजेंडा



india parliament new building संसद के रेगुलर और स्पेशल सेशन में क्या फर्क? क्या अचानक बदला जा सकता है एजेंडा

Parliament Session: संसद सत्र सोमवार (18 सितंबर) से शुरू हो रहा है. पहले इस 5 दिवसीय सत्र को विशेष सत्र (Special Session) कहा जा रहा लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह एक नियमित सत्र यानी मौजूदा लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र है। अमूमन हर साल संसद का तीन सत्र- बजट, मानसून और शीतकालीन सेशन आयोजित किया जाता है। मानसून सत्र पिछले महीने ही खत्म हुआ था, जबकि शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित है.

कौन बुलाता है संसद सत्र? संसद का रेगुलर सेशन हो या स्पेशल सेशन, दोनों को बुलाने की प्रक्रिया लगभग एक जैसी है. दोनों सत्र केंद्र सरकार ही बुलाती है, लेकिन राष्ट्रपति की मंजूरी आवश्यक है. पहले बात नियमित सत्र की करते हैं. संविधान के आर्टिकल 85 में संसद का सत्र बुलाने का प्रावधान है. आजादी के बाद से ही हमारे यहां साल में तीन सत्र बुलाने की परंपरा रही है.

पहला बजट सत्र, जो अमूमन जनवरी के आखिर से शुरू होकर अप्रैल के आखिरी या मई के पहले सप्ताह तक चलता है. दूसरा- मानसून सत्र, जो जुलाई और अगस्त के बीच चलता है. तीसरा- शीत सत्र, जो नवंबर और दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है. संविधान में कहा गया है कि संसद के दो सत्र के बीच 6 महीने से ज्यादा का गैप नहीं होना चाहिए.

क्या है संसद का विशेष सत्र? संसद के नियमित सत्र के अलावा, यदि केंद्र सरकार कोई विशेष प्रस्ताव पेश करना चाहती है अथवा किसी मुद्दे पर चर्चा करना चाहती है तो विशेष सत्र बुला सकती है. नियमों के मुताबिक पहले संसदीय कार्यों की कैबिनेट कमेटी विशेष सत्र की तारीख और एजेंडा तय करती है. इसके बाद स्पीकर को इसकी जानकारी दी जाती है. स्पीकर से मशविरा के बाद राष्ट्रपति भवन को प्रस्ताव भेजा जाता है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विशेष सत्र का नोटिफिकेशन जारी हो जाता है.

Parliament Session LIVE: ‘रोने-धोने का बहुत समय मिलेगा’ पीएम मोदी ने विपक्ष पर कसा तंज

विशेष सत्र के क्या नियम? हमारे संविधान के आर्टिकल 352 में संसद की ‘विशेष बैठक’ का उल्लेख तो है लेकिन विशेष सत्र का जिक्र नहीं है. साल 1978 में 44वें संशोधन के जरिए संविधान में विशेष बैठक वाला हिस्सा जोड़ा गया था. तमाम संविधान विशेषज्ञ कहते हैं कि ‘विशेष बैठक’ और ‘विशेष सत्र’, दोनों दो अलग-अलग चीजें हैं. संसद के रूल बुक में भी ‘विशेष सत्र’ (Special Session) का कोई जिक्र नहीं है. स्पेशल सेशन के लिए विपक्षी पार्टियों से पूछने अथवा उनकी राय लेना भी जरूरी नहीं है.

क्या सरकार बदल सकती है एजेंडा? 

सरकार ने इस सत्र का एजेंडा, पहले ही साफ कर दिया है. सरकार के मुताबिक इस सत्र में ‘5 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव, यादों और सीख’ पर चर्चा होगी. साथ ही चार बिल भी पेश किये जाएंगे. हालांकि विपक्षी दल, इस एजेंडे को लेकर सशंकित हैं. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि‘केवल सरकार ही जानती है कि उसकी मंशा क्या है। वह कुछ नए एजेंडे से सभी को हतप्रभ कर सकती है।’

विशेषज्ञ कहते हैं कि सरकार चाहे तो सत्र वाले दिन सुबह एजेंडा बदल भी सकती है. इसके अलावा विशेष सत्र में नियमित सत्र जैसा ही कामकाज होगा, यह फैसला भी सरकार ही लेती है. मसलन- विशेष सत्र में प्रश्नकाल होगा या नहीं, यह सरकार ही तय करती है.

Tags: Narendra modi, Parliament session, PM Modi



Source link

x