सनातन धर्म के सच्चे सिपाही थे दार्शनिक कुमारिल भट्ट, एक गलती की वजह खुद को कर दिया था आग के हवाले-Philosopher Kumaril Bhatt was a true soldier of Sanatan Dharma, due to a mistake he set himself on fire


मधुबनी : 700 ई. के दौरान कुमारिल भट्ट ने श्लोक वार्तिक, तंत्रवार्तिक और टुप्टिका नामक तीन ग्रंथ लिखे. इन ग्रंथों को अलग पहचान मिली. हालांकि मूल रूप से वो कहां के थे इस बात पर कई तर्क रहे हैं, कोई उन्हें असम का बताता है तो कोई उन्हें साउथ इंडियन ब्राम्हण मानता है, लेकिन जब हम मधुबनी के इस गांव में पहुंचे तो हमारी जिज्ञासा और शुरू हो गई,क्योंकि यहां के लोग दावा करते हैं कि कुमारिल भट्ट इस गांव के थे और मैथिल ब्राह्मण थे.

ग्रामीणों के मुताबिक उनका मानना था कि संसार में चीजें लगातार बनती रहती हैं और नष्ट होती रहती हैं. जीवों के जन्म लेने और मरने का क्रम चलता रहता है. वह यह भी मानते थे कि सृष्टि की रचना ईश्वर ने नहीं की है. उनका मानना था कि वेदों के अध्ययन से मोक्ष पाया जा सकता है और मोक्ष मिलने पर शरीर और दूसरी सांसारिक चीजों से आत्मा का संबंध हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है. तब सुख-दुख का अनुभव नहीं होता. जब सनातन संस्कृति को बौद्ध अनुआई नष्ट कर रहे थे. तब उन्होंने सनातन संस्कृति का प्रचार किया और कई शास्त्रार्थ में बौद्ध अनुआइयों को पराजित किया. उनके बारे में कहा जाता है कि अपनी एक चूक की वजह से उन्होंने स्वयं को दंड दिया और अपने शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया.

दरअसल, उदयनाथ झा अशोक ग्राम बिट्ठो, सरिसब पूर्वी और प्रखंड पंडौल के है, जो वर्तमान में पुरी (ओडिसा) में रहते है. उन्होंने शोध करके कुमारिल भट्ट पर अपनी किताब भी लिखी है. जो गूगल से लेकर तमाम साइट से आप खरीद सकते है. उनके इस शोध में एक कुमारिल भट्ट को लेकर कहानी बड़ी प्रसिद्ध है, और बड़ी रोचक भी है दरअसल कुमारिल भट्ट का बौद्ध धर्म के साथ अक्सर शास्त्रार्थ होता था.

कुमारिल भट्ट के पास वेदों का उपनिषदों का ज्ञान तो भरपूर था लेकिन उनके पास बौद्ध धर्म का ज्ञान बहुत कम था जिस कारण कभी-कभी शास्त्रार्थ में उन्हें पराजित का सामना करना पड़ता था. ऐसे में कुमारिल भट्ट अपनी पहचान छुपा कर और खुद वह एक बौद्ध गुरु से उन्होंने बौद्ध धर्म की शिक्षा ली. बौद्ध के धर्म के बारे में पढ़ाई की उसके बाद फिर शिक्षा साथ हुई और धीरे-धीरे अपने धर्म का प्रचार किया. यह आप कह सकते हैं कि अपने धर्म से अगर प्यार करना हो, अपने धर्म को अगर बढ़ाने की बात हो कुमारिल भट्ट का नाम सबसे अग्रणी में रखा जा सकता है.



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