सरहद पर गोली नहीं खेतों में चलाएंगे हल, किसानी के नाम पर जबरन जमीनों पर दखल, ऐसी है पाक सेना की नापाक शक्ल



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Pakistan army news: पाकिस्तानी सेना खुद को दुनिया की सबसे बेहतरीन सेना कहने का दम भरती है. कहें भी क्यों ना, लड़ने के अलावा सारे काम जो बेहतरीन तरीके से करते हैंं. वर्दी वाले बिजनेस फर्म के तौर पर भी उनकी पहचान है. पाकिस्तान की सेना के पास कई तरह के व्यापारिक उपक्रम हैं, जिन्हें ‘होल्डिंग कंपनियां’ या ‘ग्रुप्स’ के तौर पर में चलाया जाता है. यह कंपनियां ऑयल रिफाइनिंग, बैंकिंग, एविएशन, पावर जनरेशन, प्राकृतिक गैस, पवन ऊर्जा, प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, बीमा, सीमेंट, फर्टिलाइजर, शुगर, अनाज, कपड़े, विज्ञापन, रेस्टोरेंट, अस्पताल, बैंक्वेट हॉल आदि जैसे कई क्षेत्रों में डील करती है. आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट (AWT), फौजी फाउंडेशन (FF), शाहीं फाउंडेशन (SF), और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटीज (DHA) के माध्यम से यह पैसा कमाते है. जमीन के कब्जों का तो इनका लंबा इतिहास रहा है. खेती के नाम पर फौज ने किसानों जमीन को कब्जाने का फुलप्रूफ प्लान बनाया है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना ने लैंड इंफ़ॉरमेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम (LIMS) प्रोजेक्ट के तहत जमीन का अधिग्रहण करना शुरु कर चुकी है. मॉर्डन फार्मिंग के नाम पर पाक सेना किसानों की जमीनों पर जबरन कब्जा कर रही है.

पाक फौज का बिजनेस
जुलाई 2023 में पाकिस्तानी सरकार ने सेना के साथ मिलकर लैंड इंफ़ॉरमेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम कि शुरुआत की थी. मकसद यह था कि देश में मॉर्डन खेती के ज़रिए भुखमरी का इलाज ढूंढा जाए. लेकिन खुफिया रिपोर्ट की मानें तो इसके पीछे की अलग ही कहानी है. कहानी है जमीन हड़पने की, सेना को देश की फूड सिक्योरिटी कि चिंता नहीं बल्कि अपने रिसर्च के लिए पैसा इकठ्ठा करना है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस खेती से जो मुनाफा होगा उसका 20 फीसदी सेना अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिये खर्च करेगी, बाकी बचा प्रांत की सरकार और सेना में 50-50 फीसदी बराबर बटेगी. इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी मेजर जनरल रैंक के अधिकारी को डीजी स्ट्रेटेजीक प्रोजेक्ट (DGSP) बना कर दे दी गई है.

उपजाऊ जमीन पर कब्जा
इस पूरे कॉर्पोरेट फार्मिंग के लिए 4.8 मिलियन एकड़ जमीन को अधिग्रहण करना है. अब तक 0.9 मिलियन एकड़ जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है. पंजाब में तकरीबन 8 लाख एकड़ से ज्यादा मिलिट्री के प्राइवेट कंपनियों ने अधिग्रहित की है. इसी तरह से सिंध में 53 हज़ार एकड़ , बलूचिस्तान में 48 हज़ार एकड़ और खैबर पख्तूनख्वा में 74 हज़ार एकड़ से ज़्यादा जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है. ज़बरन जमीन के अधिग्रहण को लेकर किसानों ने विरोध भी किया था. अदालत का भी रुख किया, स्टे भी मिला था. लेकिन अदालत के आदेश को दरकिनार करते हुए सरकार और सेना ने अपना काम जारी रखा.

अरबों खरबों का है कारोबार
पाकिस्तानी सेना की प्राइवेट कंपनियां पाकिस्तान में अपनी मनमानी चलाती है. जिन व्यापारिक कामों में यह जुटे हैं आम व्यापारियों के लिए काम करना आसान नहीं. इन कंपनियों का व्यापार बहुत बड़ा है, और इनकी कुल संपत्ति लगभग 40 अरब अमेरिकी डॉलर के आस-पास मानी जाती है. आंकड़े के मुताबिक इन कंपनियों का सालाना विकास दर 20-30 प्रतिशत तक रहता है, सेना की इन कंपनियों की वजह से पाकिस्तान के दूसरे व्यवसाय हमेशा नुकसान में ही चलते हैं. इतनी तेजी से पाकिस्तान में कोई भी कंपनी नहीं बढ़ी जितनी तेजी से यह फौजी कंपनियां बढ़ी है. बढ़ना भी लाज़मी है क्योंकि सेना और सरकार के सामने पाकिस्तान में किसी की नहीं चलती.

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