सहरी और इफ्तारी के लिए मुगल किचन में बनती थीं ये चीजें? इतनी तरह की होती थीं रोटियां



<p style="text-align: justify;"><strong>Mughals History:</strong> मुगल काल में भी रोजे के दौरान इफ्तारी और सहरी के लिए बड़ी खास तैयारियां होती थीं. इसके लिए मुगल शासक बड़ेे ही सख्त रहते थे. बाबर से लेकर अकबर जैसे बड़े शासक भी रोजे रखते थे. ऐसे में मुगल किचन में कई खास चीजें बनाई जाती थीं. जिसमें रोटियों के प्रकार ही इतने होते थे कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मुगल काल में सहरी और इफ्तारी के लिए बनते थे ये व्यंजन<br /></strong>बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुगल काल में सहरी और इफ्तारी के लिए किचन में चपातियां, फुल्के, पराठे, रौग़नी रोटी, बिरी रोटी, बेसनी रोटी, ख़मीरी रोटी, नान, शीरमाल, गाव दीदा, गाव ज़बान, कुल्चा, बाक़र ख़ानी, ग़ौसी रोटी, बादाम की रोटी, पिस्ते की रोटी, चावल की रोटी, गाजर की रोटी, मिस्री की रोटी, नान पंबा, नान गुलज़ार, नान क़माश, नान तुनकी, बादाम की नान ख़ताई (खटाई), पिस्ते की नान ख़ताई, छुहारे की नान ख़ताई बनाई जाती थीं. मुगल किचन में रोजे के दौरान इतने प्रकार की रोटीयां बनाई जाती थीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>बनते थे इतने प्रकार के पुलाव और चावल<br /></strong>मुगल किचन में चावलों की बात करें तो यख़्नी पुलाव, मोती पुलाव, नूर महली पुलाव, नुक्ती पुलाव, किशमिश पुलाव, नरगिस पुलाव, ज़मुर्रदी पुलाव, लाल पुलाव, मुज़अफ़र पुलाव, फ़ालसाई पुलाव, आबी पुलाव, सुनहरी पुलाव, रूपहली पुलाव, मुर्ग़ पुलाव, बैज़ा पुलाव, अनानास पुलाव, कोफ़्ता पुलाव, बिरयानी पुलाव, चुलाव, सारे बकरे का पुलाव, बूंट पुलाव, शोला, खिचड़ी, क़बूली, ताहिरी (तहड़ी), मुतंजन, ज़र्दा मुज़अफ़र, सिवई, मन व सलवा, फ़िरनी, खीर, बादाम की खीर, कद्दू की खीर, गाजर की खीर, कंगनी की खीर, याक़ूती, नमिश, दूध का दलमा, बादाम का दलमा, समोसे सलोने मीठे, शाख़ें, खजले, क़तलमे बनाई जाती थीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सब्जियां भी जान लीजिए<br /></strong>मुगल किचन में इन सब के अलावा सब्जियां भी रोजे के दौरान ढेरों प्रकार की बनाई जाती थीं. जिनमें क़ोरमा, क़लिया, दो प्याज़ा, हिरन का क़ोरमा, मुर्ग़ का क़ोरमा, मछली, बूरानी, रायता, खीरे की दोग़ (शर्बत), ककड़ी की दोग़, पनीर की चटनी, सिमनी, आश, दही बड़े, बैगन का भर्ता, आलू का भर्ता, चने की दाल का भर्ता, आलू का दलमा, बैगन का दलमा, करेलों का दलमा, बादशाह पसंद करेले, बादशाह पसंद दाल बनती थीं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं सीख़ के कबाब, शामी कबाब, गोलियों के कबाब, तीतर के कबाब, बटेर के कबाब, नुक्ती कबाब, लवज़ात के कबाब, ख़ताई कबाब, हुसैनी कबाब. हलवों में रोटी का हलवा, गाजर का हलवा, कद्दू का हलवा, मलाई का हलवा, बादाम का हलवा, पिस्ते का हलवा, रंगतरे (संगतरा या संतरा) का हलवा भी मुगल किचन की शान बढ़ाता था. इनकेे अलावा ढेरों प्रकार के मुरब्बे, मिठाईयां भी शामिल थीं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="Election Commission: क्या वोटर्स को तोहफे देना आचार संहिता के दायरे में नहीं आता, चुनाव आयोग कैसे लेता है ऐसे मामलों में एक्शन?" href="https://www.abplive.com/gk/does-giving-gifts-to-voters-not-come-under-the-purview-of-the-code-of-conduct-how-does-the-election-commission-take-action-in-such-cases-2658263" target="_self">Election Commission: क्या वोटर्स को तोहफे देना आचार संहिता के दायरे में नहीं आता, चुनाव आयोग कैसे लेता है ऐसे मामलों में एक्शन?</a></strong></p>



Source link

x