साइंटिस्ट ने बना डाला खास डिवाइस, केवल चेहरा देखकर ही कर लेगा पहचान, इंसान ताना मार रहा है या नहीं! – amazing discovery scientists creates sarcasm detector using computer algorithm
कटाक्ष, व्यंग या ताना एक अहम भाव है जो इंसान के चेहरे से अक्सर झलकता है. अभी तक एआई तकनीक के चेहरे की पहचान करने वाली तकनीकें या उपकरणो की खूब चर्चा रही है. लेकिन चेहरे के भावों की पहचान करने के वाली तकनीक का जिक्र नहीं होता था. हाल ही में हुए नए शोध में वैज्ञानिकों ने इस दिशा में भी एक कदम आगे बढ़ा दिया है. अब वैज्ञानिकों ने एक सरकाज्म डिटेक्टर यानी चेहरे के व्यंग्य, कटाक्ष या ताना मारने वाले भाव की पहचान करने वाला उपकरण बना लिया है, जो वास्तव में काम करता है. यानी की अब एआई जोक्स या चुटकुले भी समझ सकती है!
इस तरह के भाव की व्याख्या करना आसान नहीं है. यहां तक कि साहित्य में भी इसे काफी जटिल बताया जाता है. खुद मशहूर लेखक ऑस्कर वाइल्ड ने व्यंग्य को “बुद्धि का निम्नतम रूप, लेकिन बुद्धिमत्ता का उच्चतम रूप” के रूप में बताया है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इंसान की आवाज स्वर में महीन बदलाव जो व्यंग्य व्यक्त करते हैं, कंप्यूटर को भी भ्रमित कर देते हैं, आभासी सहायकों और सामग्री विश्लेषण उपकरणों को भी भ्रमित करते हैं. लेकिन अब साइंटिस्ट इसका जवाब निकालने में सफल हो गए हैं.
यह एआई की एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
उनका कंप्यूटर एल्गोरिदम वक्ता की पिच, बात करने की दर और “ऊर्जा” को रिकॉर्ड करता है. यह इंसान के बोले गए हिस्से को एक पाठ में बदलता है और उसका विश्लेषण करता है. इस पाठ के हर हिस्से के अर्थ को तय किया जाता है और इस के लिए उसे एक इमोटिकॉन दिया जाता है.
डिटेक्टर का आविष्कार ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय में स्पीच टेक्नोलॉजी लैब में किया गया है. डच टीम अब इसे और बेहतर बनाने के तरीकों की तलाश कर रही है. पीएचडी शोधकर्ता जियुआन गाओ का कहना है “लोग भाषण में व्यंग्यात्मक तत्वों को उजागर करने के लिए कई प्रकार की अभिव्यक्तियों और इशारों का उपयोग करते हैं. इन्हें हमारे प्रोजेक्ट में बेहतर ढंग से जोड़ने की जरूरत है.”
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गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, शोध टीम ने तंत्रिका नेटवर्क को प्रशिक्षित करने के लिए “फ्रेंड्स” और “द बिग बैंग थ्योरी” जैसे अमेरिकी सिटकॉम के वीडियो क्लिप और अन्य टेक्स्ट और ऑडियो सामग्री का उपयोग किया और अपने नतीजे हासिल भी किए जिससे वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 18, 2024, 08:51 IST