साइड बर्थ पर बैठे हैं दो RAC पैसेंजर्स, फिर ऊपर की सीट वाला यात्री कहां बैठेगा? बड़े काम का है रेलवे का ये नियम



dungarpur news 1 2024 12 b0ce9ad512642a72ec136d60b64339a8 साइड बर्थ पर बैठे हैं दो RAC पैसेंजर्स, फिर ऊपर की सीट वाला यात्री कहां बैठेगा? बड़े काम का है रेलवे का ये नियम

नई दिल्‍ली. अगली बार जब आप ट्रेन से सफर कर रहे हों और आपकी सीट कंफर्म न होकर आरएसी रह गयी हो. यानी साइड लोवर में दो लोग बैठे हों. इन स्थितियों में अगर साइड अपर यानी कंफर्म बर्थ पर बैठा यात्री आपकी सीट में बैठ रहा हो तो आप उसे मना कर सकते हैं. इस संबंध में रेलवे का एक खास नियम है, जो बड़े काम का है. वो एक तय समय पर ही बैठ सकता है. आप भी जानें इस नियम को-

भारतीय रेलवे के एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर इनफार्मेशन एंड पब्लि‍सिटी दिलीप कुमार बताते हैं कि आरएसी सीट पर दो लोगों को दी जाती है. दिन में बैठकर और रात में दोनों यात्री पैर फैलाकर सफर कर सकते हैं. लेकिन साइड अपर पर बैठा यात्री दिन में लोवर सीट पर बैठ सकता है. लेकिन रात में सोने के समय उसे सीट खाली करनी होती है. रेल मैन्‍युअल के अनुसार सोने का समय रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक होता है. इस बीच उसे अपनी साइड अपर सीट पर जाकर बैठना या सोना होता है. इस बीच अगर वो लोवर सीट पर बैठने की जिद करता है तो आप इसकी शिकायत टीटी से कर सकते हैं. टीटी दो सीट से हटाएगा.

आरएसी का मतलब समझ लीजिए

आरएसी (Reservation against cancellation) होता है. इसमें यदि कोई टिकट कैंसिल कराएगा तो आपका टिकट कन्फर्म होगा. तब तक आपको साइड लोअर की आधी सीट पर ही सफर करना होगा. आरएसी सीट दो लोगों को मिलती है. अगर कोई यात्री अपना कन्फर्म टिकट कैंसिल कराता है तो आरएसी के पहले यात्री को कन्फर्म सीट मिल जाती है. इसके बाद बचा हुआ दूसरा यात्री पूरी आरएससी सीट पर सफर कर सकता है.

एक कोच में 12 से 14 आरएसी यात्री होते हैं

एक कोच में आरएसी 12 से 14 यात्रियों को दी जाती है. यह संख्‍या थर्ड एसी और स्‍लीपर की है. यह कोच में बर्थ पर निर्भर करता है. क्‍योंकि आईसीएफ का कोच छोटा और एलएचबी बड़ा कोच होता है. इस तरह प्रत्‍येक कोच में 6 से 7 बर्थ आरएसी के लिए होती हैं.

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