साइबर क्राइम की कुंडली : कैसे इन 17 तरीकों से आपका अकाउंट हो सकता है साफ; NDTV की खास पड़ताल में जानिए



मुंबई:

भारत को भले ही Covid-19 महामारी से निजात मिल गई हो लेकिन एक नई महामारी ने देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. यह महामारी नागरिकों की आर्थिक सेहत पर हमला करके उन्हें कंगाल बना रही है. देश में साइबर अपराधों की बाढ़ आ गई है. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है. कितना संगठित है साइबर ठगी का कारोबार और क्यों पुलिस इसकी रोकथाम में नाकाम रही है यह जानने के लिए पढ़िए जीतेंद्र दीक्षित की यह खास रिपोर्ट.

2 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रहे रियल एस्टेट कारोबारी

रियल एस्टेट कारोबारी सुकेतु मोदी करीब दो दिनों तक अपने ही घर में कैद रहे. इसी साल अप्रैल में मोदी के पास एक अज्ञात नंबर से फोन आया और उन्हें बताया गया की उनके नाम से कोई पार्सल भेजा जा रहा था जिसमें किसी के पासपोर्ट और ड्रग्स थे. कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस के साइबर क्राईम सेल का अधिकारी बताया और स्काइप नाम के ऐप पर कैमरा चालू करवा के इन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया. जांच के नाम पर इनके बैंक अकाउंट की डिटेल ले लिए गए और इनसे 35 लाख रुपए उस शख्स ने अपने अकाउंट में डलवा लिया. मोदी को डराने के लिए उस शख्स ने आरोप लगाया कि इन्होंने एनसीपी के नेता नवाब मलिक के साथ मिलकर मनी लॉन्ड्रिंग की है.

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पत्रकार भी चपेट में

सुकेतू मोदी की तरह अंग्रेजी अखबार एशियन एज में काम करने वाले सोनू श्रीवास्तव भी डिजिटल अरेस्ट होने ही वाले थे लेकिन वक्त रहते इनके दिमाग की घंटी बज गयी और ये बच गये. सोनू के पास एक महिला का कॉल आया जिसने खुद को रिजर्व बैंक औफ इंडिया का अधिकारी बताया. उसने सोनू को धमकी दी कि उसके क्रेडिट कार्ड से कुछ गड़बड़ लेन-देन हुआ है, जिसकी शिकायत हैद्राबाद के पुलिस थाने में की गयी है. महिला से बातचीत में सोनू को दाल में कुछ काला नजर आया और इन्होने खुद ही पुलिस के पास जाने की बात कही.

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अडवांस पेमेंट के जरिए ठगी

घंटी बजती जरूर है लेकिन कोई उठाता नहीं. अपना पैसा वापस हासिल करने के लिये जलपा दवे ने बीते महीने भर में अनगिनत फोन किये लेकिन निराशा हाथ लगी. ऑनलाईन ठगी से बैंकिंग जगत के लोग भी अछूते नहीं हैं और एक अंतरराषट्रीय बैंक से जुडी बैंकर जलपा इसकी एक मिसाल हैं. जलपा दिसंबर में अपने परिवार के साथ गुजरात से सटे दमन में छुट्टियां मनाने को लेकर उत्साहित थीं. इसके लिये उन्होने इंटरनेट पर एक आलीशान होटल की वेबसाईट पर दिये गये नंबर पर संपर्क किया. कॉल उठाने वाले शख्स ने बुकिंग कंफर्म करने के लिये एडवांस पेमेंट करने को कहा और अपने बैंक खाते से जुडी जानकारी भेज दी. जलपा ने ऑनलाईन पैसा ट्रांस्फर कर दिया, लेकिन जब कई दिनों तक बुकिंग कंफर्म होने का मेल नहीं आया तो इन्होने फिर उस नंबर पर फोन किया. फोन बंद किया. व्हाट्स एप पर कॉल किया जिसमें घंटी तो बजी लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया. इंटरनेट पर जब ये फिर से गईं तो पता चला कि होटल की जिस साईट से नंबर लेकर इन्होने फोन किया था वो वेबसाईट तो फर्जी थी. 

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क्रेडिट कार्ड के जरिए जालसाजी

विज्ञापन कंपनी चलाने वाले चंद्रपाल सिंह उस क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने के लिए हर महीने EMI भर रहे हैं जिसका उन्होंने कभी इस्तेमाल ही नहीं किया. चंद्रपाल से खुद को एक बैंक अधिकारी बताते हुए एक साइबर ठग ने संपर्क किया और बताया कि अगर वे भेजे गए लिंक पर क्लिक नहीं करेंगे तो हर महीने क्रेडिट कार्ड के इंश्योरेंस के लिए दो हजार रुपए उनके खाते से कट जाएंगे. लिंक पर क्लिक करने के बाद इनके खाते से एक लाख रुपए निकल गए.

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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी डी.शिवानंदन के मुताबिक साईबर ठगी के शिकार आम नागरिक ही नहीं बल्कि जांच एजेंसियों में ऊंचे ओहदों पर रह चुके अधिकारी भी हो रहे हैं. इनके पडोस में रहने वाले डीआरआई के पूर्व डीजी और एक आईआरएस अधिकारी ऑनलाईन ठगी के शिकार हो चुके हैं.

ये तमाम मामले बताते है कि जिनके हाथ में कानून का डंडा रहा है उनको भी ठगने से साईबर अपराधी नहीं चूकते. इन मामलों से पता चलता है कि उनके हौसले कितने बुलंद हैं . 

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क्राइम की नई दुनिया

एक वक्त था जब मुंबई पर अंडरवर्ल्ड का राज हुआ करता था. मुंबई की सड़कों पर पैसों के लिए रोजाना खून खराब होता था. मुंबई पुलिस के पास रोज हत्या , हत्या की कोशिश या जबरन उगाही के लिए धमकी भरे फोन कॉल्स के मामले आते थे. अंडरवर्ल्ड के खिलाफ इसके बाद मुंबई पुलिस ने एक सख्त मुहिम चलाई और वह दौर खत्म हो गया. लेकिन इस शहर पर फिर एक बार अपराधी हावी हो चुके हैं और इस बार उनके हथियार पिस्टल या बंदूक नहीं बल्कि आपके हाथों में मौजूद मोबाइल है.

गैंगस्टर की जगह ले ली है साइबर अपराधियों ने. आईये जानते हैं कि वे कौन कौन से तरीके हैं जिनके जरिये साईबर अपराधी लोगों से ठगी करते हैं.

1-पार्सल स्कैम 

इसमें साइबर ठग अपने शिकार को यह कह कर डरते हैं कि उनके नाम से कोई पार्सल भेजा जा रहा था जिसमें ड्रग्स थे और मनी लांड्रिंग के लिए उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल हो रहा था. अपराधी सीबीआई, ईडी या फिर पुलिस के अधिकारी बनकर अपने शिकार को डिजिटल अरेस्ट करते हैं.

2- ट्राई फोन स्कैम

इसमें अपराधी यह कहकर अपने शिकार को डराते हैं कि उनके फोन नंबर का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधि के लिए किया जा रहा था और जल्द ही उनका फोन बंद हो जाएगा.

3- परिवार का सदस्य गिरफ्तार 

इस स्कैम में साइबर ठग अपने शिकार से यह कहते हैं कि उनका बेटा या बेटी किसी आपराधिक मामले में पकड़े गए हैं. 

4- जल्दी अमीर बनाने वाली शेयर ट्रेडिंग 

कुछ सोशल मीडिया अकाउंट और ऐप लालच देते हैं कि उनके जरिए शेयर बाजार में निवेश करने पर जल्दी अमीर बना जा सकता है. 

5- क्रेडिट कार्ड स्कैम.

शिकार व्यक्ति को बताया जाता है कि उसके नाम से जारी हुए क्रेडिट कार्ड पर लाखों का लेनदेन हुआ है. 

6- गलती से अकाउंट में पैसा आना. 

साइबर ठग अपने शिकार के खाते में कुछ पैसा भेज देते हैं और फिर उसे वापस करने की मांग करते हैं यह कहते हुए कि पैसा गलती से भेज दिया गया. 

7- KYC Update 

अपराधी खुद को बैंक अधिकारी बताकर फोन करते हैं और कहते हैं कि आपका केवाईसी अपडेट नहीं है. केवाईसी अपडेट करने के लिए वे लिंक भेजते हैं.

8- अश्लील वीडियो कॉल. 

वीडियो कॉल करके अपराधी अपने शिकार का फोन देखते हुए स्क्रीनशॉट ले लेते हैं और फिर उस पर किसी महिला की अश्लील तस्वीर लगाकर ब्लैकमेल करते हैं.

9- सेक्स्टोरशन 

फेसबुक या किसी डेटिंग एप पर महिला ठग अपने शिकार से दोस्ती करती है. दोस्ती गहरी हो जाने पर एक दिन वह वीडियो कॉल पर अपने कपड़े उतारती है और शिकार शख्स को भी कपड़े उतारने के लिए कहती है. इस गतिविधि को कमरे पर रिकॉर्ड करने के बाद शिकार शख्स को ब्लैकमेल किया जाता है.

10- फर्जी वेबसाइट 

साइबर ठग पर्यटन स्थलों के मशहूर होटल की फर्जी वेबसाइट बनाते हैं और उन पर बुकिंग के लिए आने वाले पैसों को अपने खाते में ट्रांसफर करवा देते हैं.

12- डेटा लॉक

इस स्कैम में अपराधी आपके कंप्यूटर को लॉक कर देते है और वापस एक्सेस देने के लिए फिरौती मांगते हैं.

13- ई सिम हैकिंग

इस स्कैम के तहत अपराधी आपका ई सिम हैक कर लेते हैं और उसके जरिए आपके मोबाइल पर आने वाले सभी ओटीपी अपने पास मंगा लेते हैं.

17- फर्जी फेसबुक अकाउंट

इसमें अपराधी किसी का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाते हैं और उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल लोगों को संदेश भेजकर पैसे मांगते हैं.

कई लोग अज्ञानता और असावधानी की वजह से साइबर अपराध के शिकार होते हैं लेकिन इनके अलावा साइबर अपराधी लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल उन्हीं के खिलाफ करते हैं. ऐसी तीन भावनाएं हैं डर, लालच और हवस.

RTI से मिलीजानकारी के मुताबिक बीते साल के मुकाबले इस साल अकेले 11 महीने में ही साइबर क्राइम की दर में 350 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसमें नागरिकों ने करीब 1200 करोड़ रुपए गंवा दिए. इतनी ही रकम आईटी सिटी बेंगलुरू के नागरिकों ने भी सिर्फ 8 महीने में गंवा दी.

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर डी शिवानंदन के मुताबिक यह आंकड़े साइबर अपराधों की विकरालता को सही तरीके से पेश नहीं कर रहे हैं. शिवानंदन के मुताबिक साइबर अपराध इससे भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं लेकिन उतनी तादाद में पुलिस के पास मामले दर्ज नहीं होते. उनके मुताबिक देश में साइबर अपराध का एक चक्रवात आया हुआ है.

साइबर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद इसलिए हैं क्योंकि पुलिस उनके सामने बेबस है. सरकार ने साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने के लिए 1930 नंबर की हेल्पलाइन तो शुरू कर दी है लेकिन ज्यादातर भुक्तभोगियों को इससे कोई राहत नहीं मिलती. यह गैरकानूनी कारोबार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित तरीके से चलता है. एक देश में बैठा शख्स इंटरनेट के जरिए दूसरे देश के नागरिक को ठग रहा होता है. विदेश जाकर किसी आरोपी को पकड़ पाना पुलिस के लिए आसान नहीं.

विदेश जमीन, देसी लोग

वियतनाम, कंबोडिया और म्यांमार जैसे देशों के साइबर अपराधी अपना गैरकानूनी कारोबार चलाने के लिए भारतीयों का ही इस्तेमाल करते हैं. अच्छी नौकरी का लालच देकर भारतीय युवाओं को इन देशों में बुलाया जाता है और वहां उन्हें कैद कर लिया जाता है. बड़े-बड़े गोदाम में रखकर उनसे साइबर ठगी का काम करवाया जाता है. रोजाना कमाई के लिए उन्हें टारगेट दिए जाते हैं.

भारत में भी साइबर अपराधियों का बोलबाला

दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ देशों के अलावा भारत में ही हरियाणा के नूह , झारखंड के जामताड़ा और पश्चिम बंगाल के कुछ गांव से साइबर अपराधियों के गिरोह अपना कारोबार चलाते हैं. पुलिस के लिए इन ठिकानों से भी उन्हें पकड़ पाना टेढ़ी खीर होता है.

साइबर अपराधियों को अपने शिकार की जानकारी डार्क वेब से मिल जाती है. बैंकिंग सिस्टम की कमियों का फायदा उठाकर ये अपराधी बैंक खाता खुलवाते हैं जिनमें ठगी के जरिए हासिल की गई रकम जमा की जाती है. 

एजेंसियों से भी तेज हैं अपराधी

साइबर अपराध रोकने के लिए भले ही सरकारी एजेंसियां तमाम उपाय कर रही हों और लेकिन साइबर अपराधी भी उनसे एक कदम आगे रहने की कोशिश करते हैं. लोगों को ठगने के लिए वह आए दिन कोई ना कोई नया तरीका ईजाद कर लेते हैं.ऐसे में जरूरत नजर आती है युद्ध स्तर पर इस समस्या से निपटने की.

एक तरफ साइबर अपराध की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है तो दूसरी तरफ मुंबई जैसे शहर में साइबर क्राईम सेल के लिए बीते 18 महीना से एक डीसीपी तक की नियुक्ति नहीं हुई है. यह हाल तब है जब महाराष्ट्र सरकार ने बीते साल ही स्पष्ट किया था की साइबर क्राइम से निपटना उसकी प्राथमिकता होगी. फिलहाल साइबर अपराधों पर काबू पाने का एक ही तरीका नजर आता है और वह है जन जागृति. जानकारो के मुताबिक साइबर अपराधों पर देशभर में व्यापक चर्चा होनी चाहिए और एक बहुत बड़ा अभियान लोगों को जागरूक बनाने के लिए चलाया जाना चाहिए. कैमरामैन महेश हलवाई और पारस दामा के साथ जीतेंद्र दीक्षित, एनडीटीवी, मुंबई))




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