सावन का पांचवां सोमवार: शूल और रवि योग का बन रहा अद्भुत संयोग, अखंड सौभाग्य में होगी वृद्धि



sawan somvar सावन का पांचवां सोमवार: शूल और रवि योग का बन रहा अद्भुत संयोग, अखंड सौभाग्य में होगी वृद्धि
महिमा जैन.

जयपुर. देशभर में इस समय चारों तरफ सावन के महीने में भगवान भोले को खुश करने के लिए उनके भक्त जगह- जगह कांवड़ यात्राएं निकाल रहे हैं. सावन में सोमवार के दिन विशेष पूजा अर्चना करने का विधान है. अधिक मास की वजह से इस बार सावन का महीना 59 दिनों का है और इस माह में कुल 8 सोमवार भी पड़ रहे हैं. इस बार सावन के सभी सोमवार बहुत खास माने जा रहे हैं, क्योंकि सभी सोमवार पर एक से बढ़कर एक खास संयोग बन रहे हैं. अब तक सावन के 4 सोमवार बीत चुके हैं और पांचवा सोमवार 7 अगस्त को है.

सावन के पांचवें सोमवार पर रवि योग बन रहा है, जो सुबह से लेकर रात तक जारी रहेगा. इस दिन शूल और रवि योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है. शूल योग 6 अगस्त की रात 8:27 से 7 अगस्त शाम 06:17 बजे तक चलेगा. जबकि रवि योग सुबह 5 बजकर 46 मिनिट से अगले दिन प्रात 1 बजकर 16 मिनिट तक जारी रहेगा. इस दिन व्रत और पूजन करने से अखंड सौभाग्य में वृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होगा. इस सोमवार भगवान शिव का केवड़ा जल, दूध आदि से अभिषेक करें.

दिनभर रहेगा शिव पूजा का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 7 अगस्त को सुबह से ही भद्रा भी लग रही है, जो शाम तक चलेगी. हालांकि यह स्वर्ग की भद्रा होगी इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं होगा. सावन के पांचवें सोमवार पर अधिक मास की सप्तमी तिथि पड़ रही है. वहीं इस दिन अश्विनी नक्षत्र सुबह से लेकर देर रात 01 बजकर 16 मिनट तक है. पांचवें सावन सोमवार के दिन शिव पूजा के लिए दिनभर शुभ मुहूर्त है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है. वहीं ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 21 मिनट से सुबह 05 बजकर 03 मिनट तक है.

सावन में सोमवार की पूजा का महत्व
सावन का महीना हिंदू धर्म के सबसे पवित्र महीनों में से एक है. यह भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है. महादेव के भक्त इस महीने में भोले की खासतौर पर पूजा- अर्चना करते हैं और सुख समृद्धि की कामना करते हैं. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शंकर इस महीने पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल जाते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह सबसे अच्छा समय माना जाता है. इसके अलावा सावन के महीने में ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने हलाहल पिया था.



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