सिर्फ मंगली लड़का-लड़की की शादी से नहीं खत्म होता मंगल दोष, कुंडली की इस स्थिति पर करें विचार, वरना…
खरगोन. वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए कुंडली मिलाते हैं. लग्न पत्रिका में मंगलदोष होने पर ज्योतिषी द्वारा मांगलिक युवक-युवती से ही विवाह की सलाह दी जाती है. लेकिन, इसमें भी यह देखना जरूरी है कि मांगलिक होने के बावजूद कुंडली में मंगल किस स्थान पर बैठा है. अन्यथा, दोनों मांगलिक होने के बाद भी लाइफ पार्टनर के जीवन पर संकट आता है. शादी का सुख नहीं भोग पाते और बीच में ही रिश्ता टूट जाता है.
मंगलदोष कब बनता है? किस परिस्थिति में विवाह किया जा सकता है? कुंडली में वो कौन सा घर है, जो मृत्यु का कारक बनता है? मंगलदोष का निवारण क्या है? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए Local 18 ने खरगोन के प्रसिद्ध ज्योतिषी गोल्ड मेडलिस्ट डॉ. बसंत सोनी (मो: 9826078911) से बात की. उन्होंने बताया कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों का वैवाहिक जीवन सुखी रहे. इसके लिए मंगल पर ज्यादा फोकस करते हैं. सामान्यतः लड़के और लड़की दोनों के मांगलिक होने पर विवाह कर दिया जाता है.
कुंडली मांगलिक कब कहलाएगी
ज्योतिषी के अनुसार, लग्न पत्रिका में मंगल ग्रह लग्न, 4, 7, 8 और 12वें घर में हो तो कुंडली मांगलिक कहलाती है. लड़के के लग्न में मंगल होने पर वह स्वभाव से जिद्दी होगा. स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा. इसी प्रकार लड़की के लग्न में मंगल होने पर वह भी स्वभाव से जिद्दी होगी. न्यूरो की प्रॉब्लम होने के योग बनते हैं.
लग्न में मंगल के दुष्प्रभाव
कुंडली में जब मंगल चौथे घर में बैठा हो तो भोग उपयोग में आने वाली वस्तुओं का अभाव रहेगा. लिवर संबंधित बीमारी हो सकती है. सातवें स्थान में मंगल होने पर दांपत्य जीवन ठीक नहीं रहता है. पारिवारिक सुख का लाभ नहीं मिलता है. सेक्सुअल लाइफ खराब रहती है. आठवां स्थान मृत्यु का कारक माना जाता है. यहां मंगल होने पर यह अनित्य कारक के योग बनाते हैं. किसी एक की मृत्यु होने का खतरा रहता है. बारहवें स्थान में मंगल होने पर प्रॉपर्टी खरीदने में रुकावटें आती हैं. आर्थिक रूप से संपन्नता को कम करता है.
मांगलिक होने पर भी न करें विवाह
लड़के की कुंडली में मंगल 7वें और लड़की की कुंडली में मंगल 8वें स्थान पर बैठा हो तब दोनों के मांगलिक होने की स्थिति में भी विवाह नहीं करना चाहिए. क्योंकि, लड़के का मंगल सेक्सुअल लाइफ में दिक्कत देगा. वहीं, लड़की का मंगल मृत्यु का कारक बनाता है. ऐसे में किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए.
मंगलदोष निवारण के उपाय
इधर सामान्यतः लग्न पत्रिका में मंगल होने पर शनि, राहु और केतु से तोड़ हो जाता है. लेकिन, हर समय यह संभव नहीं है. मंगल दोष की शांति के लिए उज्जैन में मंगलनाथ में पूजा भी कराते हैं. इससे मंगल का बुरा प्रभाव भी कम हो जाता है.
कब न करें मंगल पर विचार
ज्योतिषाचार्य डॉ. बसंत सोनी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 28 वर्ष के बाद मंगल का प्रभाव घट जाता है. कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं, जिनमें मांगलिक होने पर भी विचार नहीं किया जाता है. ज्योतिषी के मुताबिक, यदि दूसरा विवाह करना हो, किसी आपदा या युद्ध में लड़की प्राप्त हो, कन्या के विवाह में कोई शर्त जुड़ी हो, पिता द्वारा लड़की को उपहार में दिए जाने पर, लड़की स्वयं किसी लड़के को अपना पति स्वीकार कर ले या फिर लड़का 50 वर्ष का हो, लड़की की उम्र 45 वर्ष हो, तब भी मांगलिक पर विचार नहीं किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 14:20 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.