सिर्फ मेंटल हेल्थ ही नहीं होती आत्महत्या की वजह, इन कारणों से भी युवा ले रहे हैं अपनी जान



<p>भारत में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. खासतौर से युवाओं में आत्महत्या के मामले देश के लिए ना सिर्फ चिंता का विषय हैं, बल्कि बड़ी समस्या भी बन गए हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में देश में कुल 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या कर ली. ये आंकड़े दुनिया में सबसे अधिक थे.</p>
<p>आत्महत्या के मामलों की गंभीरता को देखते हुए पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने सोमवार को पॉलिसी मेकर्स यानी नीति निर्माताओं से अनुरोध किया कि वह इन मामलों की तरफ ध्यान दें और इन मामलों के लिए सिर्फ मेंटल हेल्थ को ही कारण ना मानें, बल्कि सोशल रिस्क फैक्टर्स को भी इसमें एक बड़ा कारण मानें.</p>
<p><strong>इन प्रयासों पर जोर देना होगा</strong></p>
<p>पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने कहा कि आत्महत्या के मामलों को कम करने के लिए हमें अपनी इमरजेंसी हेल्पलाइन को दुरुस्त करना होगा. इसके अलावा राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों में सामाजिक कारकों के खतरे को भी शामिल करना होगा. आपको बता दें, हेल्थ एक्सपर्ट्स राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों के दायरे को बढ़ाने की मांग बहुत पहले से कर रहे हैं.</p>
<p><strong>आंकड़ों से समझिए भारत में आत्महत्या की गंभीरता</strong></p>
<p>द टेलिग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में एक शोध हुआ जिसमें पता चला कि साल 2016 में भारत में 2 लाख 30 हजार लोगों ने आत्महत्या की. इसके अलावा इस रिसर्च में इस बात का भी खुलासा हुआ कि साल 1990 में जहां वैश्विक आत्महत्या मौतों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 25 फीसदी थी. साल 2016 में ये बढ़कर 36 फीसदी हो गई.</p>
<p><strong>युवाओं में मृत्यु का बड़ा कारण आत्महत्या</strong></p>
<p>इसी रिसर्च में बताया गया कि युवाओं में मृत्यु का एक प्रमुख कारण आत्महत्या भी है. दरअसल, महिलाओं में जहां 71 फीसदी आत्महत्या के मामले 15 से 39 साल की उम्र के बीच के थे, वहीं पुरुषों में 58 फीसदी आत्महत्या के मामलों में मृतकों की उम्र 15 से 39 वर्ष थी.</p>
<p><strong>मंदी में सोशल रिस्क फैक्टर्स पर ध्यान देना होगा</strong></p>
<p>विशेषज्ञों के एक इंटरनेशनल पैनल ने आर्थिक मंदी की आहट को देखते हुए चेताया है कि आत्महत्या के मामलों से निपटना अब पहले के मुकाबले ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. द लैंसेट में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट में पांच पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स का पैनल लिखता है कि आत्महत्या के मामलों में सामाजिक कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा, किन वजहों से लोग आत्महत्या करते हैं, आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसके बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है.</p>
<p><strong>एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं</strong></p>
<p>साल 2022 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति जारी की थी. इसमें आत्महत्या के कारणों में पूरा जोर मानसिक स्वास्थ्य पर दिया गया था. हालांकि, एक्सपर्ट्स इस पर सहमत नहीं हैं. नई दिल्ली स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर और न्यू पेपर की को-ऑथर राखी डंडोना द टेलिग्राफ को दिए अपने इंटरव्यू में कहती हैं, ‘मानसिक स्वास्थ्य सहायता उन लोगों के लिए जरूरी है जो मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण आत्महत्या कर सकते हैं, लेकिन यह उन लोगों के लिए समाधान नहीं है जो कर्ज या घरेलू हिंसा या अन्य कारणों की वजह से आत्महत्या करते हैं."</p>
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