सिर में गोली लगने के बाद भी जिंदा रहा इंसान, उलटी दिखती थी दुनिया… जानिए Patient M की कहानी – Patient M man shot in head woke up watching the world backwards ssc

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साल 1938… स्पेन में गृहयुद्ध (Spanish Civil War) चल रहा था. उस दौरान एक व्यक्ति के सिर में गोली लगी. इंसान का नाम रखा गया पेशेंट एम (Patient M). गोली लगने के बाद मरना तय था. लेकिन यह शख्स मरा नहीं. कुछ देर बेहोश रहने के बाद वापस होश में आ गया. हैरान करने वाली घटना ये थी कि उस इंसान को पूरी दुनिया उलटी नजर आ रही थी. लेकिन उलटे चलते-फिरते दिख रहे थे. 

पेशेंट एम को हर चीज विपरीत दिशा से आती दिख रही थी. जबकि ऐसा था नहीं लोग पीछे नहीं चल रहे थे. पेशेंट एम के सुनने और त्वचा पर महसूस करने की क्षमता में भी इजाफा हो गया था. वह कहीं भी लिखे हुए किसी भी शब्द या संख्या को सीधे और उलटी दिशा में पढ़ने में माहिर हो गया था. उसे सीधे और उलटे में कोई अंतर नहीं दिखता था. 

पेशेंट एम को दुनिया कई बार अपसाइड-डाउन यानी आसमान नीचे और धरती ऊपर दिखने लगती थी. कई बार पीछे की ओर भागती हुई. पेशेंट एम इस बात से परेशान था कि इमारत का निर्माण कर रहे लोग उलटे क्यों हैं. यानी आसमान से लटकती इमारत पर कैसे कोई काम कर सकता है? सिर्फ इतना ही नहीं पेशेंट एम कलाई में बंधी अपनी घड़ी का समय किसी भी एंगल से देख सकता था. वह भी एकदम सटीकता के साथ. 

Patient M Backward World
ये है पेशेंट एम के सिर के पिछले हिस्से की तस्वीर और दिमाग के उस हिस्से का नक्शा जहां असर हुआ था. (फोटोः न्यूरोलोजिया)

सिर्फ इतना ही नहीं, पेशेंट एम को और भी विचित्र लक्षण दिख रहे थे. जैसे वस्तुओं के रंग बदल रहे हैं. चीजें तीन एक जैसे हिस्सों में बंट रही हैं. रंगों को पहचानने में दिक्कत आ रही है. लेकिन पेशेंट एम के धैर्य की दाद देनी पड़ेगी. उन्होंने इन सभी विचित्र घटनाओं को बेहद संजीदगी से बिना परेशान हुए संभाला. लेकिन इन पर अगले 50 सालों तक अध्ययन होता रहा. पहली स्टडी स्पेन के न्यूरोसाइंटिस जस्टो गोन्जालो ने शुरू की थी. 

पेशेंट एम की स्टडी के दौरान 1940 में जस्टो गोन्जालो ने कहा कि था कि दिमाग अलग-अलग सेक्शन का एक समूह नहीं है. लेकिन अलग-अलग अंगों के काम के लिए अलग-अलग हिस्से से कमांड जाता है. लेकिन यह परिभाषा उस समय के वैज्ञानिकों को समझ में नहीं आई. स्पेन में मौजूद इंस्टीट्यूट गटमैन के न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट अलबर्टो गार्सिया मोलिना ने कहा कि दिमाग को अलग-अलग बक्सों के समूह में ही देखा जाना चाहिए. 

Patient M Backward World

लेकिन जस्टो गोन्जालो ने कहा कि जब भी आप दिमाग के एक बक्से को हिला देते हैं, या बदल देते हैं, तब भारी कमी महसूस होती है. पेशेंट एम के साथ भी ऐसा ही है. पेशेंट एम के दिमाग की स्टडी के दौरान ब्रेन डायनेमिक्स की कई नई परिभाषाएं बनीं. वैज्ञानिक ये बताना चाहते थे कि दिमाग काम कैसे करता है? लेकिन हर बार पहेली उलझती ही जा रही थी. 

आखिरकार डॉ. जस्टो गोन्जालो ने कहा कि दिमाग पर पड़ने वाला असर इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कितनी गहरी और कितने बड़े हिस्से में है. दिमाग की हर चोट शरीर के सारे काम को प्रभावित नहीं करती. डॉ. गोन्जालो ने इसे बांटकर लोगों के सामने पेश किया. उन्होंने तीन तरह के सिंड्रोम बताए- पहला सेंट्रल हिस्से में चोट लगती है, तो कई तरह के सेंस काम करना बंद कर देते हैं. 

पैरासेंट्रल में चोट लगने का मतलब है कि असर होगा लेकिन एक बराबर नहीं. तीसरा है मार्जिनल यानी कुछ खास सेंसेस की कार्यप्रणाली में बाधा आएगी. गोन्जालो की बेटी इसाबेल गोन्जालो फोनरोडोना इस समय गार्सिया मोलिना के साथ काम कर रही है. उन्होंने भी पेशेंट एम पर स्टडी की. उन्होंने बताया कि पेशेंट एम पर की गई स्टडी ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को बताया कि दिमाग कैसे काम करता है. उनकी यह स्टडी हाल ही में न्यूरोलोजिया में प्रकाशित हुई है. 

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