सिर से पांव तक दर्जनों सर्जरी फिर भी नहीं मानी हार, रग्बी की धाकड़ प्लेयर बन जीते कई गोल्ड और सिल्वर मेडल-Dozens of surgeries-still did not accept defeat, became a strong rugby player and won gold and silver medals


पश्चिम चम्पारण. बिहार के नालंदा ज़िले की रहने वाली श्वेता शाही, आज पूरी दुनिया में रग्बी की धाकड़ खिलाड़ी के रूप में प्रसिद्ध हैं. नालंदा के बेहद छोटे गांव तथा निम्न स्तरीय कृषक परिवार से होने के बावजूद भी श्वेता ने रग्बी जैसे स्पोर्ट्स में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अहम पहचान बनाई है. भारत में जिस स्पोर्ट्स के बारे में गिने चुने लोग ही जानते हैं, वैसे स्पोर्ट्स में श्वेता ने राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई गोल्ड तथा सिल्वर मेडल अपने नाम किए हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी कि श्वेता ने स्पोर्ट्स के ही माध्यम से बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर का पद भी हासिल किया है. आज वो रग्बी की एक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी होने के साथ साथ बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद कर कार्यरत हैं.

हर कदम पर मिला पिता का योगदान
नालंदा जिले के अंतर्गत आने वाले सिलांव प्रखंड के भदारी गांव की रहने वाली श्वेता शाही को आज, बिहार की स्पोर्ट्स वूमेन के नाम से जाना जाता है. श्वेता एक बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखती हैं. उनके पिता सुजीत कुमार शाही पेशे से एक निम्न स्तरीय किसान हैं. समाज में फैली कुप्रथाओं के दबाव में आकर जहां अन्य लड़कियों ने बढ़ती उम्र के साथ खेल कूद से अपना नाता तोड़ लिया.

वहीं, श्वेता ने खेल के माध्यम से ही खुद के भविष्य को बनाने का फैसला लिया. हालांकि इस दौरान श्वेता के साथ उनके पिता एवं पूरे परिवार को कई सामाजिक विरोधों का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पिता के पूर्ण समर्थन से खुद को एक बेहतरीन रग्बी खिलाड़ी के रूप में तब्दील किया.

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
स्कूल के दौरान ही श्वेता ने रग्बी खेलने का फैसला कर लिया था.बकौल श्वेता, संसाधनों के आभाव में खुद को एक बेहतर रग्बी खिलाड़ी बना पाना बेहद मुश्किल था, लेकिन यू ट्यूब के ज़रिए उन्होंने स्पोर्ट्स की सारी कलाएं सीखी और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया.अब बारी थी राष्ट्रीय स्तर के रग्बी खिलाड़ी के रूप में खुद को पहचान दिलाने की.2012 में श्वेता ने अपने जीवन का सबसे पहला राष्ट्रीय स्तरीय टूर्नामेंट खेला.

जीते कई गोल्ड
वर्ष 2014 तक श्वेता को कुछ खास पहचान नहीं मिली थी, लेकिन वर्ष 2015 में नागपुर में हुए टूर्नामेंट में उन्होंने गोल्ड अपने नाम किया.फिर 2019 (चंडीगढ़) में सिल्वर, 2019 (बिहार) में गोल्ड, 2020 में सिल्वर, 2022 (महाराष्ट्र) में गोल्ड, 2022 (ओडिशा) में सिल्वर, 2023 (ओडिशा) में सिल्वर तथा 2023( गोवा ) में सिल्वर अपने नाम किया.गौर करने वाली बात यह है कि श्वेता ने अबतक 27 राष्ट्रीय स्तरीय टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया है, जिसमें वो कई बार ब्रॉन्ज भी जीत चुकी हैं.

2015 में खेला पहला अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट
श्वेता बताती हैं कि वर्ष 2015 में उन्होंने अपने जीवन का पहला अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेला.इसका आयोजन चेन्नई में हुआ था, जहां भारतीय टीम ने दूसरा स्थान प्राप्त करते हुए सिल्वर अपने नाम किया. इसके बाद वर्ष 2016 में पहले श्रीलंका फिर दुबई में आयोजित टूर्नामेंट में श्वेता ने भारतीय टीम की तरफ से प्रदर्शन किया.गौर करने वाली बात यह है कि 2016 में युनाईटेड अरब अमिरात की राजधानी दुबई में आयोजित अंडर 18 गर्ल्स रग्बी चैम्पियनशिप में भारत को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान
इसी प्रकार वर्ष 2019 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित टूर्नामेंट में भारत ने तीसरा, तथा वर्ष 2019 और 2022 में इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित एशियन वुमेन रग्बी ट्रॉफी में दूसरा स्थान प्राप्त किया. कुछ ऐसा ही वर्ष 2023 में भी हुआ. दरअसल, 2023 में दोहा कतर में आयोजित एशियन वुमेन सातवीं रग्बी ट्रॉफी में भारत ने दूसरा तथा चीन के हैग्जहऊ में आयोजित एशियन गेम्स में 7वां स्थान प्राप्त किया. गौरतलब है कि इन सब टूर्नामेंट में श्वेता शाही ने अपने शानदार प्रदर्शन से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाई थी.

Tags: Bihar News, Champaran news, Local18



Source link

x