सीजफायर तोड़ने वाले देश की कहां होती है शिकायत, क्या ऐसे मामलों में मिलती है सजा?
<p>इजरायल और हमास के बीच लंबे समय जारी युद्ध सीजफायर समझौते के तहत एक शांति की उम्मीद जगी है. इजराइल की कैबिनेट ने हमास के साथ युद्धविराम समझौते को मंजूरी दे दी है. इससे गाजा में 15 महीने से चल रही लड़ाई रुकने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन सवाल ये है कि अगर कोई देश सीजफायर समझौता तोड़ता है, तो उसके खिलाफ कहां पर शिकायत हो सकती है. </p>
<h2>सीजफायर समझौता</h2>
<p>इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम-बंधक समझौते में ट्रंप की भागीदारी सबसे अहम मानी जा रही है. इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने इजराइल को ऐसा कुछ नहीं करने को नहीं कहा है, जो वह नहीं करना चाहता था. उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी ने मिलकर काम किया है. यह हमारे लिए लिए काफी अहम था. उन्होंने यह भी कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप बहुत मददगार रहे हैं. गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी यानी आज अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं. </p>
<h2>सीजफायर का उल्लंघन</h2>
<p>बता दें कि अगर कोई देश सीजफायर का उल्लंघन करता है, तो उसकी शिकायत संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में की जा सकती है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बहस में कई बार पाकिस्तान के मुद्दे को उठाया है. जिसमें भारत ने बताया था कि पाकिस्तान ने सीजफायर के नियमों के उल्लंघन किया है. जानकारी के मुताबिक अगर कोई देश सीजफायर का उल्लंघन करता है, तो दूसरा देश संयुक्त राष्ट्र के मिलिट्री ऑब्जर्वर ग्रुप के सामने अपना विरोध दर्ज करा सकता है. इस दौरान वो देश बता सकता है कि सीजफायर समझौते के बावजूद सामने वाला देश इसका उल्लंघन कर रहा है. हालांकि इस दौरान सीजफायर करने वाले देश के पास सफाई देने और सीजफायर का उल्लंघन करने की वजह बताने का अधिकार होता है. </p>
<h2>यूएन कर सकता है कार्रवाई?</h2>
<p>अब सवाल ये है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के किसी देश पर कार्रवाई कर सकता है. इसका जवाब है हां. अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षा और मानवाधिकार समेत कई मुद्दों पर कार्रवाई करने का अधिकार है. यूएन अपने सदस्य देशों पर कार्रवाई कर सकता है. संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित शक्तियों के कारण यह कई तरह के मुद्दों पर कार्रवाई कर सकता है और सजा भी दे सकता है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए भी यह एक मंच देता है.</p>
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