सुशील मोदी ने हजारों लोगों की जिंदगी को छुआ, ऐसे नेता अब विरले मिलते हैं – News18 हिंदी


पटना. बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी पिछले कुछ महीने से कैंसर से लड़ाई लड़ रहे थे, लेकिन उम्मीद थी कि वो कमबैक करेंगे. वो एक फाइटर आदमी थे, लेकिन जब उनके करीबी से पता चला कि बीमारी चौथे स्टेज में है, उनके वापसी की रही सही उम्मीद भी धुंधली हो गई. लोकसभा चुनाव की घोषणा के कुछ हफ्ते पहले ही उनसे मिलने की तीव्र इच्छा हुई. मैं उनसे बिना समय लिए ही मिलने जा पहुंचा. मैं चाहता था कि साथ में कॉफी पिएंगे और बिहार पर बातें करेंगे.

घंटों तक उनके पास बैठा रहा. जाते-जाते उन्होंने संसद में दिए गए भाषण का संग्रह मेरे हवाले किया और आग्रह किया कि इसको पूरा पढ़िएगा. 2020 में पटना आने के बाद अगर किसी विषय को लेकर उधेड़बुन में पड़ता, तो उनसे सीधा संपर्क करता. बिहार से जुड़े मामलों के वो बड़े जानकार थे. सुशील मोदी आर्थिक विषयों के जानकार थे और जीएसटी काउंसिल की सहजता से अध्यक्षता करते रहे थे.

आज की पीढ़ी में जितने बड़े नेता हैं, सबको सुशील मोदी से कुछ-न-कुछ सीखने को मिला. छात्र आंदोलन से निकले नेता सुशील मोदी नीतीश कुमार के साथी तो थे ही साथ-साथ दोनों की जुगलबंदी भी कमाल की थी. सुशील मोदी राजनीति में अपमानजनक और अनुचित के पक्षधर नहीं थे. नीतीश कुमार का बीजेपी गठबंधन से कई बार अलगाव हुआ, लेकिन वो नीतीश की मर्यादित आलोचना ही करते रहे.

ये परस्पर सम्मान नीतीश कुमार की तरफ से भी था. वो भी सुशील मोदी का उतना ही सम्मान करते रहे. सुशील मोदी निजी स्तर पर यारों के यार थे. अगर किसी की मदद करनी है तो वो आपको खड़े मिलते थे. चाहे स्थिति कितनी भी विषम हो. उन्होंने हजारों लोगों की जिंदगी को छुआ. उनको संबल दिया. ऐसे नेता विरले ही मिलते हैं.

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