सॉफ्टी आईसक्रीम में होती चीनी कम, दूध ज्‍यादा तो देने पड़ते कम पैसे, कैसे शुगर ने बिगाड़ा खेल? जानिए


नई दिल्‍ली. भारत में सॉफ्टी आईसक्रीम खूब बिकती है. इसके दीवानों की लिस्‍ट में बच्‍चे ही नहीं बुड्ढे भी शामिल हैं. ज्‍यादातर लोग इसे दूध उत्‍पाद मानते हैं. आपकी तरह ही अगर जीएसटी अथॉरिटी भी इसे अगर ‘मिल्‍क प्रोडक्‍ट’ मान लेती तो आपको सॉफ्टी खरीदने पर कम पैसे देने होते. लेकिन, ऐसा हुआ नहीं. जीएसटी एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की राजस्‍थान बेंच ने इसे दूध उत्‍पादत मानने से इंकार करते हुए कहा कि इसका मुख्य घटक दूध नहीं, बल्कि चीनी है. इसलिए इसे सॉफ्टी को दूध उत्‍पाद पर लगने वाली 5 फीसदी जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता. इस पर 18 फीसदी जीएसटी ही देना होगा.

दरअसल, वीआरबी कंज्यूमर प्रोडक्ट्स नामक कंपनी ने अपने प्रोडक्‍ट ‘वनीला मिक्‍स’ को 5 फीसदी जीएसटी वाले उत्‍पादों की श्रेणी में शामिल करवाने के लिए अथॉरिटी के पास आवेदन किया था. कंपनी का कहना था कि यह उत्पाद ‘प्राकृतिक दूध घटकों’ से बना है और इस पर 5% जीएसटी लागू होनी चाहिए. कंपनी यह उत्पाद संस्थागत खरीदारों को बेचती है. वे इसका उपयोग सॉफ्टी आइसक्रीम बनाने के लिए करते हैं. कंपनी का तर्क था कि इस मिक्स को हेडिंग 0404 के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना चाहिए, जो ‘प्राकृतिक दूध घटकों से बने उत्पादों’ को कवर करता है — चाहे उनमें चीनी या मिठास मिलाई गई हो या नहीं.

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अथॉरिटी ने नहीं माना दूग्‍ध उत्‍पाद
जीएसटी एडवांस रूलिंग अथॉरिटी ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि उत्पाद का प्रमुख घटक चीनी (61.2%) है, न कि दूध ठोस (34%), जो चीनी में मिलाए गए हैं. उत्पाद में 61% चीनी होने के कारण एडवांस रूलिंग अथॉरिटी ने निष्कर्ष निकाला कि ‘दूध ठोस चीनी में मिलाया गया है’, न कि ‘चीनी दूध ठोस में मिलाई गई है’.

अथॉरिटी ने अपने निर्णय में कहा कि सॉफ्टी आईसक्रीम में स्टेबिलाइजर्स और फ्लेवरिंग जैसे एडिटिव्स भी मिलाए जाते हैं, जिससे यह ‘प्राकृतिक’ दुग्ध उत्पाद की श्रेणी से बाहर हो जाता है. इसी आधार पर आवेदनकर्ता का उत्पाद को ‘दूध उत्पादों’ के तहत वर्गीकृत करने का तर्क खारिज कर दिया गया. दूध युक्त उत्पादों पर पहले भी विवाद होते रहे हैं. इससे पहले, AAR ने लस्सी, जो एक किण्वित दुग्ध उत्पाद है, को जीएसटी से मुक्त घोषित किया था. लेकिन फ्लेवरयुक्त दूध पर 12% जीएसटी लागू की गई थी.

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