स्कूल या मौत का कुंआ? छत से भरभरा कर गिर रहे प्लास्टर, जान की बाजी लगाकर हो रही पढ़ाई!


Agency:News18 Madhya Pradesh

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Balaghat News : बालाघाट के मोहगांव के शासकीय एकीकृत स्कूल की हालत बेहद जर्जर है. छत से पानी टपकता है और प्लास्टर गिरते हैं. बारिश में बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है. बच्चे और शिक्षक जान जोखिम में डालकर यहां पठन-पा…और पढ़ें

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छतों

छतों से गिरता प्लास्टर…

बालाघाट. शिक्षा का इतना महत्व है कि इसे संविधान के मूल अधिकारों में शामिल किया गया है. लेकिन सिस्टम इसे गरीब तबके लिए खैरात समझता है. संविधान में 14 साल तक बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है. लेकिन इसे सिस्टम ने गरीब तबके के लोगों पर उपकार समझा है. इसलिए ग्रामीण अंचलों के बच्चों को नाम मात्र की शिक्षा का अधिकार मिला है. यहां न तो शिक्षक हैं, न ही स्कूलों के अच्छे भवन. ऐसे में यहां पढ़ने और पढ़ाने वाले, दोनों खतरों के साये मे जी रहे हैं.

हम बात कर रहे हैं जनपद शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले शासकीय एकीकृत स्कूल मोहगांव की. इस स्कूल में शिक्षा अर्जन करना एक चुनौती है. इस स्कूल के भवन जर्जर हो चुके हैं. वहीं, दीवारों में दरार है, तो छत से प्लास्टर गिर रहा है. इस स्थिति में स्कूल का संचालन हो रहा है. ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है.

शासकीय एकीकृत स्कूल जर्जर
स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि जून 2024 में स्कूल के भवन पर एक पेड़ गिर गया था. इसके बाद से छत पूरी तरह जर्जर हो गई है. वहीं, यहां पर स्कूल के हर कमरे में प्लास्टर गिर रहा है. बारिश के दिनों में तो ये आलम होता है कि बच्चों को एक ही कमरे में बैठाना पड़ता है. ऐसे में उनकी पढ़ाई बिल्कुल रुक जाती है.

बारिश का पानी रोकने के लिए छत पर पालीथीन
बारिश के दिनों में बच्चों को ज्यादा परेशानी होती है. जब भी बारिश होती है, तब स्कूल की छत टपकने लगती है. ऐसे में बच्चों के कॉपी-किताब और बैग भीग जाते हैं. स्कूल के एक कमरे में पॉलिथीन लगाई गई थी. इससे छत से टपकने वाला पानी इक्ट्ठा हो जाता है, जो एक बाल्टी में जमा होता है. इससे बच्चों को थोड़ी बहुत राहत मिल जाती है.

बारिश हुई तो पढ़ाई नहीं होती
स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि यह एकीकृत स्कूल है, जिसमें 1 से लेकर 8 तक की कक्षाएं लगती हैं. प्राथमिक शाला में एक से पांच तक कक्षाएं लगती हैं, जो तीन कमरों के भवन में लगती हैं. मीडिल स्कूल में छठवीं से लेकर आंठवी तक कक्षाएं लगती हैं, जो तीन कमरों में ही लगता है. वहीं, बारिश के दिनों में प्राइमरी स्कूल एक ही कमरे में लगता है. मीडिल स्कूल भी एक कमरे में लगता है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो जाता है.

स्कूल में 8 कक्षाओं के लिए 5 शिक्षक 
इस स्कूल में 8 कक्षाए संचालित होती हैं. इसमें कक्षा एक और दो में तीन-तीन विषय हैं और कक्षा तीन से लेकर पांच तक 4-4 विषय हैं. ऐसे में एक दिन में 18 कक्षाएं लगनी चाहिए. 18 विषय पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक मुहैया करवाए गए हैं. वहीं, कक्षा 6 से लेकर 8 तक हर कक्षा में 6-6 विषय हैं. यानीं एक दिन में 18 कक्षाएं लगनी चाहिए, इसके लिए महज 3 शिक्षक उपलब्ध हैं. इसके अलावा शिक्षकों को दूसरा काम भी सौंप दिया जाता है, जिससे शिक्षकों को अध्यापन कार्य में समस्या आती है.

शिक्षकों ने अधिकारियों को सूचना दी
स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि  स्कूल के जर्जर हालत की कई बार शिकायत की गई लेकिन विभागीय अधिकारियों ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया. शिकायत जून में ही दी गई थी. 8 महीने बीत जाने के बावजूद स्कूल की इस समस्या का निराकरण नहीं हो पाया है.

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