हनीमूनर्स की जन्नत कहलाने वाले इस देश में हो रहे सबसे ज्यादा तलाक, क्यों डिवोर्स के मामले में US से भी आगे है मालदीव? – why maldives has highest divorce rate in the world ntc mdj
दुनिया में एक से बढ़कर एक घुमक्कड़ हुए, जिन्होंने जान की बाजी लगाकर देश, सभ्यताएं खोजीं. ऐसा ही एक नाम इब्न-बतूता भी है. मोरक्को में जन्मे इब्न-बतूता दुनिया की सैर करते हुए साल 1343 में मालदीव भी पहुंचे. वहां घूमते हुए उन्होंने एक यात्रा संस्मरण लिखा, जिसे नाम दिया- रिह्ला. इसमें कई दूसरे देशों के साथ मालदीव का भी जिक्र था. इसी में इस मोरक्कन यात्री ने लिखा कि कुछ महीने द्वीप पर बिताने के दौरान उसने 6 बार शादियां कीं और तलाक दिए.
समुद्री सफर पर जाने वालों ने दिया बढ़ावा!
वे लिखते हैं कि ऐसे द्वीपों पर शादियां करना आसान है. द्वीप छोटे होते हैं और मेल-मुलाकात होती रहती है. यहां की औरतें काफी आकर्षक हैं. और सबसे अजीब बात है कि यहां के मछुआरे महीनों के लिए समुद्र यात्रा पर निकल जाते हैं. कई बार वे दूसरे द्वीप पर सैटल हो जाते हैं. ऐसे में जाने से पहले वे बीवी को तलाक दे देते हैं ताकि वो भी अपनी जिंदगी जिए. ये एक तरह की टेंपररी व्यवस्था है. लोग शादी करते हैं और यात्रा पर जाते हुए शादी तोड़ देते हैं.
सबसे ऊंचा है ग्राफ
ये तो हुई 14वीं सदी के घुमक्कड़ की बात, लेकिन मालदीव में आज भी हालात वही हैं. हिंद महासागर में बसे इस छोटे से देश में तलाक की दर सबसे ज्यादा है. ग्लोबल डिवोर्स स्टेटिस्टिक्स के मुताबिक, मालदीव में हर हजार शादियों पर फिलहाल 5.52 तलाक हो रहे हैं. ये डेटा अमेरिका, कनाडा या किसी भी मॉडर्न देश से काफी ज्यादा है.
क्या कहता है डेटा
नब्बे के दशक की शुरुआत में यहां शादियां और तलाक दोनों की दर ज्यादा थी. तब हर 1000 वयस्कों में 34.4 लोग शादी करते. सेंसस डेटा ये भी कहता है कि 1977 में 30 की उम्र की ज्यादातर महिलाएं 3 बार तलाक से गुजर चुकी थीं. इसकी वजह की पड़ताल की गई और सोशल साइंटिस्ट्स ने पाया कि एक नहीं, तलाक की दर के पीछे कई कारण हैं.
अनिश्चितता में नहीं रहना चाहते थे
गेल डिजिटल स्कॉलर लैब में छपे क्रॉनिकल ‘वर्ल्डमार्क एनसाइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजियस प्रैक्टिसेज’ में लेखक आइजैक हैनरी विक्टर ने कहा कि बाकी इस्लाम-बहुल देशों की तुलना में मालदीव में तलाक की दर ज्यादा है क्योंकि यहां के लोग समुद्री यात्रा ज्यादा करते हैं. इब्न बतूता की तरह ही इसमें भी वही कारण दिया गया. यात्रा पर जाते हुए लोग नहीं जानते कि वे कब लौटेंगे. या लौटने पर उसी साथी के साथ रह सकेंगे. ऐसे में डिवोर्स दिए जाने लगे. यही वजह है कि साठ-सत्तर के दशक में जब बाकी दुनिया तलाक को हौवा मानती थी, ये द्वीप इसमें आगे निकल चुका था.
शरिया कानून भी हो सकती है वजह
तलाक की ऊंची दर के चलते गिनीज बुक तक में शामिल हो चुके मालदीव पर हालांकि ऐसी कोई स्पेसिफिक स्टडी नहीं मिलती, जो बता सके कि इस खास वजह से यहां तलाक होते हैं. ज्यादातर जगहों पर यही जिक्र है कि चूंकि यहां पर इस्लामिक सिद्धांत और शरिया कानून लागू है तो पुरुषों के लिए तलाक देना उतना मुश्किल नहीं. हालांकि बीते सालों में सरकार ने तलाक दर को नियंत्रित करने की कोशिश की. इसके तहत उन पतियों को भारी जुर्माना देना होता है, जो कोर्ट जाए बगैर पत्नी से अलग हो जाते हैं.
इस द्वीप में शादियां करना भी आसान
भारत या दूसरे देशों की इसपर वहां के लोग भारी-भरकम खर्च नहीं करते, बल्कि पति अपनी पत्नी को एक छोटी-सी रकम देने का वादा करता है. इसके बाद चाय पार्टी होती है, जिसमें करीबी लोग ही शामिल होते हैं. लेकिन स्थानीय लोग ही ऐसी पॉकेट-फ्रैंडली शादियां करते हैं. मालदीव में ट्रैवल प्रमोट करने वाली कंपनियां भारी पैकेज के साथ शादियां करवाने के लिए जानी जाती हैं.
इन अरब देशों में तलाक बढ़ रहा
मुस्लिम-बहुल अरब देशों में तलाक की दर काफी ज्यादा है. इजीप्टियन कैबिनेट के इंफॉर्मेशन एंड डिसीजन सपोर्ट सेंटर ने कुवैत, इजीप्ट, कतर के अलावा कई इस्लामिक देशों पर हुए सर्वे में हैरान करने वाला ट्रेंड देखा. इसके मुताबिक कुवैत में लगभग 48% शादियां तलाक पर खत्म होती हैं. इजीप्ट में ये आंकड़ा 40% है तो कतर और जॉर्डन में लगभग 37%. यूएई और लेबनान भी इस लिस्ट में हैं. सपोर्ट सेंटर ने माना कि पहले पुरुष ही तलाक के लिए आगे आया करते, लेकिन अब महिलाएं भी तलाक की मांग करने लगी हैं. यही नंबर बढ़ते डिवोर्स रेट में दिख रहा है.
वियतनाम में शादी एक बार होती है…
जाते हुए एक बार ये भी जानते चलें कि दुनिया में सबसे कम तलाक किस देश में होते हैं. वियतनाम इस लिस्ट में टॉप पर है, जहां हर हजार में 0.2 प्रतिशत तक डिवोर्स होता है. मतलब लगभग नहीं जितना. बौद्ध आबादी वाले इस देश में फैमिली स्ट्रक्चर पर काफी जोर दिया जाता है और टिकी हुई शादी को बेहतर इकनॉमी से भी जोड़ा जाता है.