हरिद्वार के महंत ने बताया यहां 40 दिन जल चढ़ाने से पूरी होती है मनोकामना, बेहद प्राचीन है ये मंदिर


हरिद्वार /ओम प्रयास: उत्तराखंड में ऐसे बहुत से मंदिर हैं, जो चमत्कारी और रहस्यमई है. इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है. ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर हरिद्वार में भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ को गंगा किनारे का यह स्थान बहुत ही प्रिय है. इस स्थान पर भोलेनाथ का प्राचीन स्थान है, जहां स्वयंभू शिवलिंग है. ये हर महीने में 15 दिन बढ़ता है और 15 ही दिन घटता है. यह स्थान उस समय का बताया जाता है जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति से क्रोधित होकर अपना शरीर त्याग दिया था. दक्ष नगरी कनखल में स्थित तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर की कथा भगवान भोलेनाथ से जुड़ी है.

हरिद्वार की उपनगरी कनखल में सती घाट के पास गंगा किनारे बने तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर की कहानी प्राचीन है. कहा जाता है कि तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर में स्थित स्वयंभू शिवलिंग हर महीने में 15 दिन तिल-तिल कर बढ़ता है और 15 ही दिन तिल-तिल कर घटता है. तिलभांडेश्वर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब माता सती ने हवन कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग किया था, तो भगवान भोलेनाथ क्रोधित होकर कनखल आए थे. जब महादेव कनखल आए थे, तो उनका विशाल महाकाल रूप था जिसे महादेव ने सती घाट पर गंगा किनारे सूक्ष्म रूप (छोटा) में किया था.

चमत्कारी है तिलभांडेश्वर मंदिर
मंदिर के महत्व को लेकर श्रीमहंत त्रिवेणी दास बताते हैं कि जब माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष के द्वारा अपने पति भोलेनाथ का अपमान सहन नहीं किया. तो उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया था. माता सती द्वारा अपने शरीर का त्याग करने पर भगवान भोलेनाथ क्रोधित होकर कनखल आए थे. जब महादेव कनखल आए थे, तो उनका आकार विशाल महाकाल था. महादेव ने इसी स्थान पर अपने विशाल महाकाल रूप को सूक्ष्म रूप (छोटा) किया था. श्रीमहंत त्रिवेणी दास बताते हैं कि मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग है, जो हर महीने की शुक्ल पक्ष से 15 दिन तक तिल भर बढ़ता है और कृष्ण पक्ष से 15 दिन तक घटता है.

मनोकामना होती है पूरी
तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर सती घाट पर गंगा किनारे बना हुआ है. इस मंदिर में जो भी श्रद्धालुओं अपने दुखों को लेकर यहां मनोकामना मांगता है. उसके दुख तिल-तिल कर घटने शुरू हो जाते हैं. श्रीमहंत त्रिवेणी दास बताते हैं कि मंदिर में 40 दिन लगातार जल चढ़ाने और पूजा पाठ करने से सभी मनोकामनाएं तो पूरी होती ही है. साथ ही जीवन में आए सभी दुखों का नाश भी हो जाता है.

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