हरियाणा चुनाव: राहुल गांधी का सपना कैसे होगा पूरा? AAP से गठबंधन पर कलह, हुड्डा के लिए कैसी चुनौती


नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. तमाम पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति में लग चुके है. कांग्रेस ने भी इसके संकेत दिए हैं. 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ सीट बंटवारे के लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं. इस प्रयास से ही कांग्रेस में आंतरिक कलह पैदा हो गई है. इस प्रयास से पार्टी में मतभेद पैदा हो गया है तथा इसकी राज्य इकाई, विशेषकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट, इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध कर रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर कांग्रेस के भीतर ‘तीव्र असहमति’ के कारण हरियाणा कांग्रेस विधायक दल (CLP) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पार्टी की एक बैठक से बाहर चले गए. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) नेतृत्व द्वारा पार्टी के कुछ मौजूदा विधायकों को टिकट न देने की जिद ने भी हुड्डा खेमे को नाराज कर दिया है. बता दें कि वर्तमान में 90 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 28 विधायक हैं.

पढ़ें- हरियाणा चुनाव: 9 के बदले 30! राहुल गांधी के साथ कौन है वो ‘चाणक्य’ जो अरविंद केजरीवाल को ट्रैप में फंसा रहा?

हुड्डा के सामने चुनौती
पहले कहा गया था कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) ने हरियाणा के अधिकांश मौजूदा पार्टी विधायकों के टिकटों को मंजूरी दे दी है, लेकिन सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि इनमें से कुछ नामों को अब “रोक दिया गया है”. सूत्रों ने बताया कि जिन विधायकों की उम्मीदवारी रोकी गई है, उनमें समालखा से धर्म सिंह छोकर, सोनीपत से सुरेंद्र पंवार और महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह शामिल हैं. ये सभी हुड्डा के करीबी बताए जाते हैं. साथ ही, इन सभी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच की जा रही विभिन्न मामले चल रहे हैं. छोकर के बेटे सिकंदर सिंह को मई में गिरफ्तार किया गया था, जबकि पंवार को जुलाई में गिरफ्तार किया गया था, साथ ही राव दान सिंह के ठिकानों पर भी जुलाई में ED ने छापेमारी की थी.

क्या है आंतरिक कलह की वजह?
कांग्रेस नेतृत्व के ‘पुनर्विचार’ के कारण पार्टी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने में देरी हुई है. वहीं इस सप्ताह की शुरुआत में CEC ने लगभग 66 नामों को मंजूरी दे दी थी. कांग्रेस ने AAP के साथ सीट बंटवारे के लिए समझौता करने के अलावा लगभग दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए एक पार्टी उप-समिति का गठन किया है, जहां आंतरिक सहमति नहीं बन पाई है. इस पैनल ने राज्य के वरिष्ठ पार्टी सांसदों से मुलाकात की है, जिनमें कुमारी शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि केवल हुड्डा ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य वरिष्ठ नेता भी AAP के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं.

क्यों नाखुश हैं हुड्डा
लेकिन कांग्रेस विधायक दल के नेता हुड्डा खास तौर पर इसलिए “नाखुश” बताए जा रहे हैं क्योंकि AAP जिन सीटों की मांग कर रही है, उनमें वे सीटें भी शामिल हैं जहां से उनके उम्मीदवार हैं. इन सीटों में पेहोवा, कलायत और जींद शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी चाहते हैं कि कांग्रेस AAP के साथ सीटों के बंटवारे पर समझौता करे ताकि भारतीय जनता पार्टी के सामने एकता का संदेश जाए, लेकिन कई राज्य पार्टी नेता इसके खिलाफ हैं.

सूत्रों ने बताया कि हुड्डा और उनके वफादार उदय भान, जो कि राज्य कांग्रेस के प्रमुख हैं, ने बुधवार को AAP के साथ पार्टी के सीट बंटवारे के प्रस्ताव पर पार्टी की बैठक से वॉकआउट कर दिया. हरियाणा के प्रभारी AICC महासचिव दीपक बाबरिया ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन वे उन्हें शांत नहीं कर सके. सूत्रों ने बताया कि AICC नेतृत्व अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (SP) के साथ एक या दो सीटें साझा करने पर भी जोर दे रहा है. सूत्रों ने बताया कि हुड्डा और भान ने आप और SP दोनों के मामले में हाईकमान के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई. दिलचस्प बात यह है कि AAP शासित पंजाब में कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी कहा, “मैं पार्टी हाईकमान से आग्रह करना चाहूंगा कि वह हरियाणा में आम आदमी पार्टी से जितना हो सके उतना दूर रहे.”

सूत्रों ने बताया कि आप 10 सीटें मांग रही है, लेकिन कांग्रेस उसे चार-पांच से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है. सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच हुए समझौते की तर्ज पर कुछ सीटों पर ‘दोस्ताना मुकाबला’ हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस हाईकमान आने वाले दिनों में अपने नेताओं की बात सुनेंगे या फिर हाईकमान अपनी बात सुनाएंगे. देखना यह भी दिलचस्प होगा जब हाईकमान अपनी मर्जी चलाएंगे तो हुड्डा का क्या स्टैंड होगा. हो तो यह भी सकता है कि चुनाव आते-आते कई नेता इधर से उधर भी हों. यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

Tags: Arvind kejriwal, Bhupendra Singh Hooda, Haryana election 2024, Rahul gandhi



Source link

x