हल्दी की खेती के लिए ये वैरायटी सबसे बेस्ट, कम लागत में किसानों को ज्यादा मुनाफा, यहां लें पूरी जानकारी-This variety is the best for turmeric cultivation, farmers will get more profit at low cost, will give production up to 25 tonnes per hectare, know everything


पूर्णिया : हल्दी की खेती कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली खेती होती है. जानकारी देते हुए कृषि विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार कहते हैं कि मिथिलांचल और सीमांचल में हल्दी की खेती वरदान साबित होगी.
हालांकि इसके लिए किसानों को यह दो वैरायटी के बीज राजेंद्र सोनाली और राजेंद्र सोनिया सबसे बेस्ट है. इसका उत्पादन भी किसानों को ज्यादा मिलता है.

हल्दी की खेती अपने आप में बहुत ही खास माना जाता है. दरअसल हल्दी कई औषधीय गुणों की वजह से हल्दी की भारतीय मसाला में एक खास पहचान है. इसमें खास एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं. इस वजह से दूध में भी हल्दी मिलाकर लोग पी लेते हैं. तो वही हल्दी का उपयोग सब्जियां एवं कई तरह के कॉस्मेटिक एवं ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने में भी भरपूर इस्तेमाल किया जाता है. इसमें हल्दी की खेती करके किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. हालांकि इसके लिए किसान भाइयों को खेती करने के तरीके और सही उन्नत किस्मों के बीज का चयन करना जरूरी होगा.

कृषि एक्सपर्ट ने बताया हल्दी खेती से कैसे करें मुनाफा
पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉ. विकास कुमार कहते हैं कि हल्दी की खेती किसानों के लिए सबसे ज्यादा मुनाफा का सौदा है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले अभी का जो समय है और इस समय हल्दी लगाने का सही समय हैं और वैज्ञानिकों के द्वारा माना गया है कि पूरे मिथिलांचल और सीमांचल में हल्दी की खेती बहुत उपयुक्त है. यहां की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है. क्योंकि हल्दी एक जड़ वाली फसल है इसमें कंद होते हैं. हालांकि इसका फलन मिट्टी के नीचे होता है और यहां बलुवाई मिट्टी होने के कारण यहां की मिट्टी और पूर्णिया की मिट्टी बहुत अच्छी उपज देती है.

सबसे पहले उन्नत किस्मों के बीज का चयन
हल्दी की खेती से पहले हमें अच्छी किस्मों का बीज ध्यान मे रखना होगा. हल्दी लगाने के लिए अच्छी किस्मों का हल्दी लगाना होगा. हालाँकि इसके लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विद्यालय पूसा समस्तीपुर से आनुसंशित बीज राजेंद्र सोनाली और राजेंद्र सोनिया यह दो किस्मों का बीज बिहार पूर्णिया के लिए बहुत उपयुक्त और बेस्ट हैं. कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर अच्छी बीज को ले सकते हैं.

ऐसे लगाये अपने खेत में हल्दी का बीज रखे इतनी दूरी
उन्होंने कहा कि हल्दी के बीज को लगाने की दो विधियां है एक इसको हम लाइन से लगाते हैं और दूसरी गड्ढे में डालकर लगाते हैं.  जब लाईन विधि से लगाये तो दूरी का ख्याल रखे. इसको लगाने के समय लाइन से एक लाइन की दूरी 50 सेंटीमीटर के आसपास रखी जा सकती है और एक कंद से दूसरी कंद की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर की रख सकते हैं. हालांकि इसकी दूरी को घटाया और बढ़ाया भी जा सकता है. लेकिन उसके घटाने और बढ़ने से जो उत्पादन की क्षमता उसे पर असर पड़ता है.

ऐसे में किसान भाई हल्दी लगाते समय इतनी दूरी रखें. इसको लगाने का सही समय अप्रैल में जुलाई तक होता हैं. इसको आसानी से लगा सकते हैं. लेकिन किसान भाइयों को जब हल्दी लगाना हो तो एक बारिश होने के बाद ही लगाये. जिससे मिट्टी मे नमी बनी रहती हैं और जल्दी अंकुरण होता है.

इतने ग्राम का बीज और ऐसे करें बीजोपचार ,रखे ध्यान
कृषि एक्सपर्ट डॉ. विकास कहते है कि हल्दी लगाने से पहले सबसे पहले कंद का बीज का वजन 20 से 25 ग्राम तक होना चाहिए. इससे छोटे कंद अपने खेतों में ना लगाये.जिससे उत्पादन पर असर ना पड़े. हालांकि उन्होंने कहा उस कंद में दो से तीन भाग हो जिससे आसानी से अंकुरण हो सके. हालांकि बीज बुआई करने से पहले बीज का बीजोपचार बहुत जरूरी.

इसके लिए किसान भाई को हल्दी के बीज को वेबिस्टिन 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें. फिर उसमें कंद को डुबो कर 15 मिनट रखें और फिर छानकर उसे छायादार जगह पर उसे सूखने आधा घंटा दे दे . जिसके बाद तैयार खेत मे लगा सकते हैं.

खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए करें प्रयोग
उन्होंने कहा अगर हम हल्दी की खेती करें तो जमीन की सभी पोषक तत्वों की भरपाई भी जरूर करें. इसके लिए जैविक और रसायन दोनों का प्रयोग करें.अगर जैविक पोषक तत्व देते हैं तो 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर की मात्रा से सड़ी गोबर का खाद डाल सकते हैं. रसायन का प्रयोग यूरिया यानी नाइट्रोजन 120 किलो प्रति हेक्टेयर और फास्फोरस 80 किलो प्रति हेक्टेयर और पोटाश 60 से 80 किलो प्रति हेक्टेयर की मात्रा से देना चाहिए. इसमें फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा शुरू मे डालें और नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुआई के समय और जबकि शेष बचे नाइट्रोजन की मात्रा दो बराबर भागों में और 30 दिन बाद और पुनः 60 से 90 दिनों के बाद अवश्य देना चाहिए.

हल्दी बुआई के बाद इन बातों का रखे ख्याल
उन्होंने कहा की हल्दी को लगाने के लगभग 25 से 30 दिन बाद पौधे जब ऊपर आने लगते हैं. तब बाद हमें उसे पर मिट्टी चढ़ाने की प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए. फिर लगभग 45 दिनों के बाद पौधा तैयार होता हैं. अगर हल्दी में देखा जाए तो हल्दी में दो बार खरपतवार नियंत्रण कार्य करना चाहिए. उसके बाद इसमें बहुत ज्यादा जंगल के निकासी की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि पौधे इतने बड़े हो जाते हैं. जिससे उसका कोई नुकसान नहीं होता है.

इतने दिनों की खेती और इतना उत्पादन
अगर हम इस तरह से हल्दी की खेती करते हैं तो अच्छी उत्पादन और अच्छा मुनाफा दे सकता है और हल्दी को तैयार होने में लगभग 9 से 12 महीने का समय लगता है. लगभग 9 महीने बाद हल्दी पूरी तरह जनवरी-फरवरी में खुदाई कर बाजार में बेच सकते हैं. हल्दी की खेती में एक हेक्टेयर मे लगभग 30 हजार तक आयेगी और मुनाफा 3 लाख से अधिक होगा. उत्पादन की बात करें तो 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादन क्षमता होती हैं. जिससे बाजार में अच्छी कीमत मिलेगा.

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