हाथ आएगा मुंबई अटैक का गुनहगार तहव्वुर राणा? जानें मशहूर वकील उज्ज्वल निकम ने क्या बताया


Tahawwur Rana Extradition From USA: 26 नवंबर 2008. ये वही तारीख है, जब देश की आर्थिक राजधानी आतंकियों की गोलियों की तड़तड़ाहट से कांप गई थी. इस दर्दनाक घटना को हुए भले ही आज सालों गुजर गए हों, लेकिन इसके जख्म अभी भी भरे नहीं हैं. आज भी लोग इस घटना को याद कर सहम जाते हैं. वो ऐसी काली रात थी, जब मुंबई की नींद उड़ गई थी. इस आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए थे. 

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26/11 हमला देश के इतिहास में सबसे भयावह आतंकी हमला था. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्र के रास्ते उस रात मुंबई में दाखिल हुए थे. इन हमलावरों ने करीब 60 घंटे तक मुंबई में खूनी खेल खेला था और निर्दोष लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं. आतंकियों ने दो फाइव स्टार होटल (होटल ताजमहल और ओबेरॉय होटल), छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी) रेलवे स्टेशन, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और यहूदी केंद्र नरीमन हाउस को निशाना बनाया था. मुंबई हमले में शामिल 10 आतंकियों में से सिर्फ एक, अजमल कसाब को ही जिंदा पकड़ा जा सका था. इसे कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद 21 नवंबर 2012 को पुणे के यरवडा जेल में फांसी दी गई थी. मुंबई अटैक का एक गुनहगार तहव्वुर राणा अभी अमेरिका में है.

अमेरिकी सरकार ने अपनी सुप्रीम कोर्ट से मुंबई में आतंकवादी हमले के मामले में भारत भेजे जाने के खिलाफ तहव्वुर राणा की याचिका को खारिज करने की गुज़ारिश की है. 26/11 मामले में सरकारी वकील उज्जवल निकम कहते हैं, ‘भारत यूएस के बीच प्रत्यर्पण संधि है . भारत सरकार के लिए बड़ी कामयाबी होगी अगर मुंबई हमलों का आरोपी भारत लाया जाता है तो. देशों के डिप्लोमैटिक रिश्तों का इसमें बड़ा रोल होता है. इस मामले में अब तक भारत सरकार की कूटनीति बिल्कुल यशस्वी रही है. यूएस सरकार भी भारत से  अच्छे संबंध चाहती है.’

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उज्जवल निकम कहते हैं, ‘उसके भारत आने से कई अनसुलझे सवालों के जवाब सामने आ सकते हैं. मुंबई हमलों में मारे गए लोगों के परिवार जिन्हें बरसों से इंसाफ की उम्मीद है . उन्हें इंसाफ मिलेगा. यूएस सरकार ने एक अहम फैसला लिया है और ये अहम फैसला इस बात पर है कि जो तहव्वुर राणा का कहना था कि भारत मुझे भारत प्रत्यर्पित कर ट्रायल नहीं चलाई जा सकती क्योंकि पहले ही शिकागो कोर्ट में मुझे सजा हुई है, जिस चार्ज पर भारत ट्रायल करना चाहता है. यूएस के लॉ एंड जस्टिस डिपार्टमेंट ने ये मैटर वापस एक्जामिन की और उन्होंने कहा कि शिकागो कोर्ट में राणा के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में कोई ट्रायल नहीं चली थी और इसलिए यूएस सरकार ने ये फैसला लेकर यूएस सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है कि राणा ने जो अपील की है, उसे खारिज किया जाए. ये बड़ी बात है.’   





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