हिंडनबर्ग मामला : सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन और मांगे



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हिंडनबर्ग मामले में सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा है. सेबी ने जांच पूरी कर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए ये समय मांगा है. सेबी ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. सेबी ने कोर्ट में कहा कि मामले में काफी जांच हो  चुकी है और रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिन और चाहिए. सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर कथित शेयर बाजार हेरफेर और शॉर्ट-सेलर के संचालन के तरीके सहित हिंडनबर्ग मुद्दे की जांच पर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन और मांगे हैं.
 
सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को सेबी को कथित तौर पर अदाणी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त  तक का समय दिया था. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेबी को जांच पर अपडेटेड  स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था. मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए तय की गई है.

2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिया कि वह अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले और बाद में किसी भी उल्लंघन की दो महीने के भीतर जांच करे. 29 अप्रैल को, सेबी की समय सीमा से तीन दिन पहले, नियामक ने सीमा पार क्षेत्राधिकार से जुड़े मामले का हवाला देते हुए छह महीने और मांगे थे और कहा था कि कार्रवाई करने में समय लगेगा.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछली सुनवाई में कहा था कि निवेशकों की सुरक्षा के लिए भारत के नियामक तंत्र पर गौर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त डोमेन विशेषज्ञों के समूह की रिपोर्ट, जो पहले ही अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है, इस मामले में शामिल पक्षों और उनके वकीलों के साथ अदालत की सहायता करना जारी रखेगी और रिपोर्ट साझा करेगी.

निवेशकों की सुरक्षा के लिए भारत के नियामक तंत्र को देखने वाले सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समूह के सदस्य सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे, सेवानिवृत्त बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेपी देवधर, भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओपी भट्ट, आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व प्रमुख केवी कामथ, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि और प्रतिभूति और नियामक विशेषज्ञ सोमशेखर सुंदरेसन हैं.

मई में सुप्रीम कोर्ट को दी गई अपनी रिपोर्ट में, समिति ने कहा था कि अदाणी समूह की ओर से कीमतों में कोई हेरफेर नहीं किया गया था और समूह ने खुदरा निवेशकों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाए थे. पैनल ने कहा था कि समूह द्वारा उठाए गए राहत उपायों से स्टॉक में विश्वास पैदा करने में मदद मिली और स्टॉक अब स्थिर हैं. समिति ने कहा था कि अदाणी समूह के शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सेबी के नियमों का अनुपालन करते हैं.

अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है और इसे भारत, इसके संस्थानों और विकास की कहानी पर “जानबूझकर किया हमला” बताया है.

अदाणी समूह ने जनवरी में कहा, “यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अनुचित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सोचा-समझा हमला है.”



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