हिमाचल में हर दिन नदियों में बहाया जा रहा 129.7 मिलियन लीटर गंदा पानी, सी श्रेणी में ब्यास नदी का जल 129.7-million-liters-of-dirty-water-is-being-discharged-into-rivers-every-day-in-Himachal-Pradesh.


शिमला. हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में रोज़ाना 129.7 मिलियन लीटर गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के नदियों में बहाया जाता है. प्रदेश की कई बड़ी नदियों की जल गुणवत्ता राष्ट्रीय मानकों से भी नीचे जा चुकी है, जिनमें सतलुज, ब्यास, गिरी, सिरसा, यमुना और कई छोटी नदियाँ शामिल हैं। बढ़ते जल प्रदूषण की यह स्थिति अत्यंत गंभीर है.

रोजाना उत्पन्न होता है 210.5 मिलियन लीटर गंदा पानी
रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में रोजाना 210.5 मिलियन लीटर प्रदूषित पानी उत्पन्न होता है. प्रदेश के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की रोजाना क्षमता 119.5 मिलियन लीटर है, जिसमें केवल 80.8 मिलियन लीटर पानी को ठीक प्रकार से ट्रीट किया जाता है. बाकी 129.7 मिलियन लीटर प्रदूषित पानी बिना ट्रीटमेंट के ही नदियों में बहाया जा रहा है.

प्रदूषण के मुख्य कारण
जल प्रदूषण के कई मुख्य कारण हैं, जिनमें औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला गंदा पानी, शहरों और कस्बों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी, आंशिक रूप से ट्रीट किया गया सीवरेज पानी, और कृषि गतिविधियों से निकलने वाला रासायनिक कचरा शामिल हैं. वार्षिक रिपोर्ट में नदियों में जल गुणवत्ता की विस्तृत जांच की गई है. मासिक आधार पर सैंपल लिए गए और विभिन्न मानकों पर पानी की जांच की गई है. जल गुणवत्ता का आंकलन 191 नदियों के जल, 52 भूजल स्रोतों और अन्य स्त्रोतों को मिलाकर कुल 243 स्थानों पर किया गया है.

“सी” श्रेणी में रखे गए ब्यास नदी और अश्विनी खड्ड
जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए ब्यास नदी और अश्विनी खड्ड के जल को “सी” श्रेणी में रखा गया है. ब्यास नदी की जल गुणवत्ता लगातार कम हो रही है, और गिरी नदी और अश्विनी खड्ड में भी जल प्रदूषण बढ़ रहा है. ब्यास नदी और अश्विनी खड्ड में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानकों से कई गुना अधिक पाई गई है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसलिए इन दोनों को “सी” श्रेणी में रखा गया है.

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