1 बीघा में 100 क्विंटल प्याज का उत्पादन, इन 2 खास प्रजाति से चौगुना मुनाफा, किसानों ने रचा नया इतिहास


Agency:News18 Uttar Pradesh

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गाजीपुर के करइल के किसानों ने नंदी और चाइना किंग प्याज की खेती से चौगुना मुनाफा कमाया है. यह प्याज सर्दियों में तैयार होता है, जब बाजार में इसके दाम ऊंचे होते हैं.

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नंदी

नंदी और चाइना किंग प्याज की खेती से गाजीपुर के किसान बना रहे नई पहचान।”

गाजीपुर: जिले के मुहम्मदाबाद तहसील के करइल क्षेत्र के किसानों ने प्याज की खेती में एक नई सफलता हासिल की है. राजस्थान के अलवर की नंदी और चाइना किंग प्रजाति की प्याज उगाकर यहां के किसान चौगुना मुनाफा कमा रहे हैं. इन प्रजातियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये दिसंबर-जनवरी के ठंडे मौसम में तैयार हो जाती हैं, जब बाजार में प्याज के दाम 40-50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं.

किसान अंशुमान राय ने बताया कि नंदी और चाइना किंग प्याज की बुवाई जनवरी के अंत या फरवरी की शुरुआत में की जाती है. करीब दो महीने में नर्सरी तैयार हो जाती है, जिसके बाद पौधों को उखाड़कर सुखाया जाता है और लहसुन की तरह संरक्षित किया जाता है. फिर अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में इनकी रोपाई की जाती है. ये फसल 90 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाती है, जो सर्दियों के मौसम में बाजार में उतरती है.

प्रति बीघा 100 क्विंटल का उत्पादन
इन प्रजातियों की एक और खासियत है कि प्रति बीघा लगभग 100 क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है. सर्दियों के मौसम में तैयार होने के कारण इन प्रजातियों पर रोगों का प्रकोप भी कम होता है. किसान बताते हैं कि केवल 2-3 किलोग्राम बीज से एक बीघे की नर्सरी तैयार हो जाती है.

किसानों को मिल रहा चार गुना मुनाफा
इस सफल प्रयोग से किसानों को सामान्य प्रजाति की तुलना में चार गुना अधिक मुनाफा मिल रहा है. जहां सामान्य प्रजातियों के प्याज गर्मी के मौसम में तैयार होते हैं, वहां नंदी और चाइना किंग की फसल ठंड में तैयार होकर ऊंचे दामों में बिकती है. यह प्रयोग क्षेत्र के कई प्रगतिशील किसानों को आकर्षित कर रहा है, जो अब इन प्रजातियों की खेती की तैयारी में जुट गए हैं.

कीमतों में गिरावट एक चुनौती
हालांकि इस समय प्याज के बाजार मूल्य में गिरावट आई है, जिससे किसानों को कुछ हद तक नुकसान झेलना पड़ा है। फिर भी, किसानों का मानना है कि इन प्रजातियों की खेती से उनकी लागत कम और मुनाफा अधिक रहेगा।

नया मुकाम
गाजीपुर के करइल क्षेत्र के किसान इस नई तकनीक और प्रजातियों के जरिए प्याज की खेती में एक नई क्रांति ला रहे हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं।

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