1 रुपये में हवाई सफर, कौन हैं कैप्टन गोपीनाथ जिन्होंने आम आदमी को कराई आसमान की सैर, क्यों बंद हो गई उनकी कंपनी


Air Deccan Founder Story: हवाई चप्पल पहनने वाले आम आदमी के लिए हवाई सफर पहले भी असंभव था और आज भी मुश्किल है. लेकिन, एक वक्त ऐसा आया था जब आम आदमी के लिए आसमान की सैर करना आसान हो गया था. महज एक रूपये में फ्लाइट टिकट के ऑफर ने भारत एविएशन सेक्टर में मानों क्रांति ला दी थी. हालांकि, यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका, क्योंकि सस्ती फ्लाइट टिकट देने वाली कंपनी एयर डेक्कन बंद हो गई. इस एयरलाइन कंपनी का नाम फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि अक्षय कुमार की फिल्म सिरफिरा इसी पर बेस्ड है.

क्या आप जानते हैं इस फिल्म में अक्षय कुमार ने जिस व्यक्ति का रोल निभाया है, उस शख्स का नाम क्या है. आखिर कैसे उन्होंने 4-5 हजार रूपये में मिलने वाली फ्लाइट टिकट एक रुपये में बेचने की हिम्मत जुटाई. 4 सालों तक एयर डेक्कन ने आम आदमी को आसमान की सैर कराई लेकिन 2007 में इस कंपनी का नामोनिशान मिट गया. आइये आपको बताते हैं एयर डेक्कन और उसके फाउंडर कैप्टन जी आर गोपीनाथ की स्टोरी, जो फिल्म से थोड़ी अलग है.

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कौन हैं कैप्टन जी आर गोपीनाथ

एयर डेक्कन के फाउंडर रहे कैप्टन जी आर गोपीनाथ, भारतीय सेना के रिटायर्ड अफसर हैं. महज 28 साल की उम्र में आर्मी से रिटायर होने के बाद उन्होंने कई बिजनेस में हाथ आजमाया. एक इंटरव्यू में कैप्टन गोपीनाथ ने बीबीसी को बताया, “मैं अपनी युवावस्था से कुछ ऐसा करने के लिए बेचैन था जिसका फायदा आम आदमी को मिले.”

अमेरिका में मिला सस्ती फ्लाइट टिकट का आइडिया

1997 में उन्होंने भारत की पहली निजी चार्टर कंपनी के रूप में हेलीकॉप्टर सेवा की स्थापना की. हालांकि, सस्ती फ्लाइट सर्विस का आइडिया उन्हें साल 2000 में अमेरिका में छुट्टियों के दौरान आया, जहां कैप्टन गोपीनाथ ने फोनिक्स के कामकाज को देखा.

इस दौरान उन्होंने पाया कि अमेरिका एक दिन में 40,000 कमर्शियल फ्लाइट्स ऑपरेट होती हैं, जबकि भारत में यह संख्या 420 है. उन्होंने कैलकुलेशन किया कि ट्रेन और बस से यात्रा करने वाले लगभग 30 मिलियन (3 करोड़) भारतीयों में से 5% ने फ्लाइटस से उड़ान शुरू कर दिया, तो भारत में हर साल 530 मिलियन हवाई यात्री होंगे.

भारत लौटकर शुरू की ‘एयर डेक्कन’

कैप्टन गोपीनाथ ने कहा, ”मैं इस विचार के साथ भारत वापस आया कि आम आदमी को भी भारत में हवाई जहाज से उड़ान भरनी चाहिए.” अगस्त 2003 में उन्होंने छह, 48-सीटर ट्विन-इंजन फिक्स्ड-विंग टर्बोप्रॉप विमान के बेड़े के साथ एयर डेक्कन की स्थापना की. इन प्लेन ने और हुबली और बैंगलोर के दक्षिणी शहरों के बीच उड़ान भरी.

4 साल में खूब यात्री मिले

सस्ते हवाई सफर की कैप्टन गोपीनाथ की यह कोशिश रंग लाई और 2007 तक उनकी एयरलाइन 67 हवाई अड्डों से प्रतिदिन 380 उड़ानें संचालित करने लगी, जिनमें से कई छोटे शहरों में थीं.  इस दौरान हर दिन 25000 यात्री बेहद कम टिकट पर हवाई यात्रा कर रहे थे. डेक्कन एयर से करीब 3 करोड़ भारतीयों ने एक रुपये प्रति टिकट पर उड़ान भरी.

क्यों बंद हुई कंपनी

कैप्टन गोपीनाथ ने देश के आम आदमी के हवाई सफर का सपना तो पूरा कर दिया लेकिन कंपनी ज्यादा दिनों तक नहीं चला पाए. क्योंकि, घाटा बढ़ने के कारण एयर डेक्कन को लागत निकालने के लिए मुश्किलों का करना पड़ा. 2007 में कैप्टन गोपीनाथ ने अपनी कंपनी किंगफिशर को बेच दी.  इसके बाद माल्या ने एयर डेक्कन को किंगफिशर रेड नाम दिया.

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